लखीमपुर खीरी: दिवाली पर आतिशबाजी से खराब हुई जिले की आबोहवा में कुछ दिन बाद सुधार हुआ, लेकिन धुआं उगल रहे कूड़े के ढ़ेर और गन्ना कोल्हू की चिमनियों ने फिर से वातावरण प्रदूषित कर दिया है. छाई धुंध से वायु गुणवत्ता सूचकांक 248 पहुंच गया है. डॉक्टरों का कहना है कि एक्यूआई का यह स्तर शहरवासियों के लिए बेहद खतरनाक है. अभी से यदि इसमें सुधार लाने के प्रयास नहीं किए गए तो आने वाले दिनों में जिले की स्थिति भी दिल्ली एनसीआर जैसी होगी.
वातावरण में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए एनजीटी निरंतर दिशा-निर्देश जारी कर रहा है. जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण न तो कूड़ा जलना बंद हो रहा है और न ही गन्ना कोल्हू की चिमनियों से निकलते धुएं पर ही लगाम लग रही है. नगर पालिका के पास कूड़ा डालने की जगह नहीं है. ऐसे में शहर से निकला कूड़ा इसके बाहर सड़कों के किनारे डलवाया जा रहा है. ढेर बन जाने पर इसमें आग लगा दी जाती है. कूड़ा जलाने से हवा में जहर घुल रहा है, जो नगरवासियों के साथ ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए भी मुसीबत बन रहा है.
धुआं उगल रहे कूड़े के ढेर
शनिवार सुबह शहर के बाहर इस कदर धुंध थी कि वाहन चालक लाइट जलाकर चलने को मजबूर थे. जिले के कार्यक्रम में आये सीएम योगी आदित्यनाथ ने कृषि महाविद्यालय के लोकार्पण के मौके पर पराली और खरपतवार को न जलाने के लिए लोगों से आग्रह किया था. इसका असर पालिका के जिम्मेदारों पर नहीं दिखा. जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते शहर के बाहर लगे कूड़े के ढेर धुआं उगल रहे हैं, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के साथ मानव जीवन के लिए भी घातक बने हैं. गांव जलालपुर में संक्रमण से हुई मौतों में भी प्रशासन ने गन्ना कोल्हू को जिम्मेदार ठहराया था. इन सबके बावजूद भी जिले में गन्ना कोल्हू की चिमनियां वातावरण में लगातार काला धुआं रूपी जहर घोल रही हैं.