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लखीमपुर खीरी: जिले की आबोहवा में जहर घोल रहे गन्ना कोल्हू, नहीं चेत रहे जिम्मेदार - lakhimpur kheri environmental

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में गांव के चारों ओर लगी गन्ना कोल्हू की चिमनियां अब भी वातावरण में जहर घोल रही हैं. वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार एक्यूआई का स्तर शहरवासियों के लिए बेहद खतरनाक होता जा रहा है.

गांव और शहर की आबोहवा में जहर घोल रहे गन्ना कोल्हू और कूड़े के ढेर.
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Published : Nov 18, 2019, 10:50 AM IST

लखीमपुर खीरी: दिवाली पर आतिशबाजी से खराब हुई जिले की आबोहवा में कुछ दिन बाद सुधार हुआ, लेकिन धुआं उगल रहे कूड़े के ढ़ेर और गन्ना कोल्हू की चिमनियों ने फिर से वातावरण प्रदूषित कर दिया है. छाई धुंध से वायु गुणवत्ता सूचकांक 248 पहुंच गया है. डॉक्टरों का कहना है कि एक्यूआई का यह स्तर शहरवासियों के लिए बेहद खतरनाक है. अभी से यदि इसमें सुधार लाने के प्रयास नहीं किए गए तो आने वाले दिनों में जिले की स्थिति भी दिल्ली एनसीआर जैसी होगी.

गांव और शहर की आबोहवा में जहर घोल रहे गन्ना कोल्हू और कूड़े के ढेर.

वातावरण में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए एनजीटी निरंतर दिशा-निर्देश जारी कर रहा है. जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण न तो कूड़ा जलना बंद हो रहा है और न ही गन्ना कोल्हू की चिमनियों से निकलते धुएं पर ही लगाम लग रही है. नगर पालिका के पास कूड़ा डालने की जगह नहीं है. ऐसे में शहर से निकला कूड़ा इसके बाहर सड़कों के किनारे डलवाया जा रहा है. ढेर बन जाने पर इसमें आग लगा दी जाती है. कूड़ा जलाने से हवा में जहर घुल रहा है, जो नगरवासियों के साथ ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए भी मुसीबत बन रहा है.

धुआं उगल रहे कूड़े के ढेर
शनिवार सुबह शहर के बाहर इस कदर धुंध थी कि वाहन चालक लाइट जलाकर चलने को मजबूर थे. जिले के कार्यक्रम में आये सीएम योगी आदित्यनाथ ने कृषि महाविद्यालय के लोकार्पण के मौके पर पराली और खरपतवार को न जलाने के लिए लोगों से आग्रह किया था. इसका असर पालिका के जिम्मेदारों पर नहीं दिखा. जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते शहर के बाहर लगे कूड़े के ढेर धुआं उगल रहे हैं, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के साथ मानव जीवन के लिए भी घातक बने हैं. गांव जलालपुर में संक्रमण से हुई मौतों में भी प्रशासन ने गन्ना कोल्हू को जिम्मेदार ठहराया था. इन सबके बावजूद भी जिले में गन्ना कोल्हू की चिमनियां वातावरण में लगातार काला धुआं रूपी जहर घोल रही हैं.

लखीमपुर खीरी: दिवाली पर आतिशबाजी से खराब हुई जिले की आबोहवा में कुछ दिन बाद सुधार हुआ, लेकिन धुआं उगल रहे कूड़े के ढ़ेर और गन्ना कोल्हू की चिमनियों ने फिर से वातावरण प्रदूषित कर दिया है. छाई धुंध से वायु गुणवत्ता सूचकांक 248 पहुंच गया है. डॉक्टरों का कहना है कि एक्यूआई का यह स्तर शहरवासियों के लिए बेहद खतरनाक है. अभी से यदि इसमें सुधार लाने के प्रयास नहीं किए गए तो आने वाले दिनों में जिले की स्थिति भी दिल्ली एनसीआर जैसी होगी.

गांव और शहर की आबोहवा में जहर घोल रहे गन्ना कोल्हू और कूड़े के ढेर.

वातावरण में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए एनजीटी निरंतर दिशा-निर्देश जारी कर रहा है. जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण न तो कूड़ा जलना बंद हो रहा है और न ही गन्ना कोल्हू की चिमनियों से निकलते धुएं पर ही लगाम लग रही है. नगर पालिका के पास कूड़ा डालने की जगह नहीं है. ऐसे में शहर से निकला कूड़ा इसके बाहर सड़कों के किनारे डलवाया जा रहा है. ढेर बन जाने पर इसमें आग लगा दी जाती है. कूड़ा जलाने से हवा में जहर घुल रहा है, जो नगरवासियों के साथ ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए भी मुसीबत बन रहा है.

धुआं उगल रहे कूड़े के ढेर
शनिवार सुबह शहर के बाहर इस कदर धुंध थी कि वाहन चालक लाइट जलाकर चलने को मजबूर थे. जिले के कार्यक्रम में आये सीएम योगी आदित्यनाथ ने कृषि महाविद्यालय के लोकार्पण के मौके पर पराली और खरपतवार को न जलाने के लिए लोगों से आग्रह किया था. इसका असर पालिका के जिम्मेदारों पर नहीं दिखा. जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते शहर के बाहर लगे कूड़े के ढेर धुआं उगल रहे हैं, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के साथ मानव जीवन के लिए भी घातक बने हैं. गांव जलालपुर में संक्रमण से हुई मौतों में भी प्रशासन ने गन्ना कोल्हू को जिम्मेदार ठहराया था. इन सबके बावजूद भी जिले में गन्ना कोल्हू की चिमनियां वातावरण में लगातार काला धुआं रूपी जहर घोल रही हैं.

Intro:लखीमुपर खीरी। दिवाली पर आतिशबाजी से खराब हुई जिले की आबोहवा में कुछ दिन बाद सुधार हुआ। मगर, धुआं उगल रहे कूड़े के ढ़ेर और कोल्हु की चिमनियों ने फिर से वातावरण प्रदूषित कर दिया है। छाई धुंध से वायु गुणवत्ता सूचकांक 248 पहुंच गया। डॉक्टरों का कहना है कि एक्यूआई का यह स्तर शहरवासियों के लिए बेहद खतरनाक है। अभी से यदि इसमें सुधार लाने के प्रयास नहीं किए गए तो आने वाले दिनों में जिले की स्थिति भी दिल्ली और एनसीआर जैसी होगी।Body:
वातावरण में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए एनजीटी निरंतर दिशा निर्देश जारी कर रहा है। मगर, जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण न तो कूड़ा जलना बंद हो रहा है और न ही कोल्हू की चिमनियों से निकलते धुएं पर ही लगाम लग रही है। नगर पालिका के पास कूड़ा डालने की जगह नहीं है। ऐसे में शहर से निकला कूड़ा इसके बाहर सड़कों के किनारे डलवाया जा रहा है। ढेर बन जाने पर इसमें आग लगा दी जाती है। कूड़ा जलाने से हवा में जहर घुल रहा है, जो नगरवासियों के साथ ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए भी मुसीबत बन रहा है। शनिवार सुबह शहर के बाहर इस कदर धुंध थी कि वाहन चालक लाइट जलाकर चलने को मजबूर थे। का असर कुछ कम हुआ। अभी लखीमपुर एक कार्यक्रम में आये सीएम योगी आदित्यनाथ ने कृषि महाविद्यालय के लोकार्पण के मौके पर पराली और खरपतवार को न जलाने के लिए लोगों से आग्रह किया था। मगर, इसका असर पालिका के जिम्मेदारों पर नहीं दिखा। जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते शहर के बाहर लगे कूड़े के ढेर धुआं उगल रहे हैं, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के साथ मानव जीवन के लिए भी घातक बने हैं। अभी हाल में ही गांव जलालपुर में संक्रमण से हुई लगभग डेढ़ दर्जन मौतों मैं भी प्रशासन ने गन्ना कोल्हू को जिम्मेदार ठहराया था लेकिन इन सबके बावजूद भी जिले में गन्ना कोल्हू की चिमनिया वातावरण में लगातार काला धुआं रूपी जहर घोल रही है

बाइट। शेलेन्द्र सिंह जिला अधिकारी खीरीConclusion:
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