लखीमपुर खीरी: जिले में लॉकडाउन के दौरान सदर कोतवाली इलाके में छत्तीसगढ़ की एक महिला करीब दो महीने पहले अपनी बेटी के साथ घर से लड़कर चली आई थी और लखीमपुर खीरी में एक महिला के पास रहने लगी थी. तभी उस पर कुछ गिरोह की महिलाओं की नजर पड़ गई और वह उन दोनों को बेचने के लिए सौदा तय करने लगी. तभी छत्तीसगढ़ की इस महिला की मुलाकात समाजसेवी मोहन बाजपेई से हो गई, उन्होंने महिला और उसकी बच्ची को बिकने से बचा लिया.
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छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के सिंघरी की रहने वाली एक महिला दो महीने पहले अपने घर से लड़-झगड़कर अपनी बेटी को लेकर हरिद्वार चली गई. हरिद्वार में इस महिला को खीरी की एक महिला मिल गई जो उसे अपने साथ लेकर खीरी चली आई. दो महीनों तक यह महिला काम के लालच में उस महिला के साथ रही पर खीरी की वह महिला उसे बेटी समेत बेचने की फिराक में लग गई.
यह बात जब छत्तीसगढ़ की उस महिला को समझ में आई तो वहां से किसी तरह निकल आई. पीड़ित महिला ने बताया कि वह लॉकडाउन में कुष्ठ आश्रम में रहने लगी. यहां भी एक महिला उसकी शादी कराने को लेकर दबाव डालने लगी. कुष्ठ आश्रम पर समाजसेवी मोहन बाजपेई लाकडाउन की वजह से गरीबों को खाना बांटने आते थे. तभी यह महिला मोहन को मिली और पूछने पर रोने लगी. उससे रोने का कारण पूछा गया तो महिला ने पूरी बात बताई.
मोहन बाजपेई इस महिला को वन स्टॉप सेंटर ले आए. वहां पर इस महिला और उसकी 10 साल की बेटी को रखा गया है.