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लॉकडाउन में अस्थियां भी हुईं 'लॉक', आत्मा को मोक्ष का इंतजार

लॉकडाउन के चलते इंसान ही नहीं, बल्कि अस्थियां भी लॉक हो गई हैं. यूपी के लखीमपुर खीरी में श्मशान घाट में सैकड़ों लोगों की अस्थियां रखी गई हैं. लोग गंगा में अस्थियों को प्रवाहित नहीं कर पा रहे हैं. फिलहाल, लॉकडाउन की वजह से आत्मा की मुक्ति के रास्ते भी बंद हो गए हैं.

lockdown effect on immersion of bones
लखीमपुर खीरी में लॉकडाउन के चलते अस्थियों का नहीं हो पा रहा विसर्जन.
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Published : May 2, 2020, 7:49 PM IST

लखीमपुर खीरी: लॉकडाउन में आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है. ऐसे में श्मशान घाट में सैकड़ों अस्थियां भी लॉक हो गई हैं. अपने प्रियजनों की अस्थियों को लोग गंगा में प्रवाहित कराने नहीं ले जा पा रहे हैं. ऐसे में आत्माएं भी मोक्ष का इंतजार कर रही हैं.

लॉकडाउन के चलते अस्थियों का नहीं हो पा रहा विसर्जन.

मुक्तिधाम के पंडित अशोक दास ने बताया कि एक कमरे में 100 से ज्यादा अस्थियां विसर्जित होने के लिए रखी हैं. वे रोज अस्थियों की गिनती करते हैं. अस्थियों की तादाद रोज बढ़ती जा रही है. अब तक 110 से ज्यादा लोगों की अस्थियां लॉकडाउन में श्मशान घाट के इस अस्थि केंद्र में इकट्ठी हो गई हैं.

अस्थियों का नहीं हो पा रहा विसर्जन
पण्डित अशोक दास कहते हैं, 'हम अस्थियों को पूरी सुरक्षा और सम्मान के साथ रखे हैं. लॉकडाउन की वजह से लोग अस्थियों को प्रवाहित करने के लिए गंगा तक नहीं जा पा रहे हैं. कई दिन हो गए. लोग अस्थियां लेने नहीं आ पा रहे हैं.'

लॉकडाउन का पड़ा असर
हिन्दू धर्म में आत्मा को जन्म मुक्ति के झंझटों से मुक्ति के लिए मोक्ष बहुत जरूरी माना जाता है. उसके लिए लोग अंतिम संस्कार के बाद परिजनों की अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करते हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से आत्मा की मुक्ति के रास्ते भी बंद हो गए हैं. फिलहाल उस पर भी ब्रेक लगा हुआ है.

1920 में प्लेग से हुई थी लाखों लोगों की मौत
पंडित अशोक दास कहते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसा वक्त कभी नहीं देखा, जब इतने दिनों तक लोग अपने परिजनों की अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने के लिए नहीं ले जा पाए. वे कहते हैं कि बुजुर्ग बताया करते थे कि 1920 में प्लेग की बीमारी फैली थी तो लाखों मौतें हुईं थी. अब इस वक्त कोरोना वायरस का खौफ और लोगों के बाहर निकलने पर लगी पाबन्दी में आत्मा भी लॉक हो गई हैं.

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पंडित अशोक दास का कहना है कि वह इंतजार कर रहे हैं. जो लोग आएंगे, उनको अस्थियां सौंप दी जाएंगी और जो नहीं आएंगे, उनकी अस्थियों को वह खुद सम्मान सहित लॉकडाउन के बाद गंगा में प्रवाहित करा देंगे.

लखीमपुर खीरी: लॉकडाउन में आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है. ऐसे में श्मशान घाट में सैकड़ों अस्थियां भी लॉक हो गई हैं. अपने प्रियजनों की अस्थियों को लोग गंगा में प्रवाहित कराने नहीं ले जा पा रहे हैं. ऐसे में आत्माएं भी मोक्ष का इंतजार कर रही हैं.

लॉकडाउन के चलते अस्थियों का नहीं हो पा रहा विसर्जन.

मुक्तिधाम के पंडित अशोक दास ने बताया कि एक कमरे में 100 से ज्यादा अस्थियां विसर्जित होने के लिए रखी हैं. वे रोज अस्थियों की गिनती करते हैं. अस्थियों की तादाद रोज बढ़ती जा रही है. अब तक 110 से ज्यादा लोगों की अस्थियां लॉकडाउन में श्मशान घाट के इस अस्थि केंद्र में इकट्ठी हो गई हैं.

अस्थियों का नहीं हो पा रहा विसर्जन
पण्डित अशोक दास कहते हैं, 'हम अस्थियों को पूरी सुरक्षा और सम्मान के साथ रखे हैं. लॉकडाउन की वजह से लोग अस्थियों को प्रवाहित करने के लिए गंगा तक नहीं जा पा रहे हैं. कई दिन हो गए. लोग अस्थियां लेने नहीं आ पा रहे हैं.'

लॉकडाउन का पड़ा असर
हिन्दू धर्म में आत्मा को जन्म मुक्ति के झंझटों से मुक्ति के लिए मोक्ष बहुत जरूरी माना जाता है. उसके लिए लोग अंतिम संस्कार के बाद परिजनों की अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करते हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से आत्मा की मुक्ति के रास्ते भी बंद हो गए हैं. फिलहाल उस पर भी ब्रेक लगा हुआ है.

1920 में प्लेग से हुई थी लाखों लोगों की मौत
पंडित अशोक दास कहते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसा वक्त कभी नहीं देखा, जब इतने दिनों तक लोग अपने परिजनों की अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने के लिए नहीं ले जा पाए. वे कहते हैं कि बुजुर्ग बताया करते थे कि 1920 में प्लेग की बीमारी फैली थी तो लाखों मौतें हुईं थी. अब इस वक्त कोरोना वायरस का खौफ और लोगों के बाहर निकलने पर लगी पाबन्दी में आत्मा भी लॉक हो गई हैं.

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पंडित अशोक दास का कहना है कि वह इंतजार कर रहे हैं. जो लोग आएंगे, उनको अस्थियां सौंप दी जाएंगी और जो नहीं आएंगे, उनकी अस्थियों को वह खुद सम्मान सहित लॉकडाउन के बाद गंगा में प्रवाहित करा देंगे.

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