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लखीमपुर खीरी: किस्मत की कमजोर रही बसपा का क्या गठबंधन से होगा बेड़ापार, खाते में दर्ज नहीं है एक भी जीत

2019 लोकसभा चुनाव को देखते हुए खीरी और धौरहरा सीट पर सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशियों ने भी ताल ठोंकी है. 16 लोकसभा चुनावों में आज तक बसपा का कोई भी उम्मीदवार खीरी की दोनों सीटों पर नहीं जीत सका.

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Published : Mar 14, 2019, 8:53 PM IST

2019 लोकसभा चुनाव

लखीमपुर खीरी: 2019 लोकसभा चुनाव को देखते हुए खीरी और धौरहरा सीट पर सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशियों ने ताल ठोकी है. जिले में बसपा हमेशा किंगमेकर रही पर किंग नहीं बन पाई. 16 लोकसभा चुनावों में आज तक बसपा का कोई भी उम्मीदवार खीरी की दोनों सीटों पर नहीं जीत सका.

2019 लोकसभा चुनाव: सपा-बसपा गठबंधन ने ठोकी ताल.


सन् 2000 के बाद से खीरी जिले में बसपा की ताकत लगातार बढ़ी हैं पर कभी बसपा प्रत्याशी खीरी और धौरहरा से जीत नहीं पाया. 2004 लोकसभा चुनाव में बसपा के प्रत्याशी दाऊद अहमद और समाजवादी पार्टी के रवि प्रकाश वर्मा की सीधी टक्कर हुई. इसमें समाजवादी पार्टी के रवि वर्मा जीत गए और दाऊद दूसरे नम्बर पर रहे.

इसी तरह 2009 के चुनाव में भी खीरी सीट पर बसपा की टक्कर कांग्रेस से हुई, जहां कांग्रेस प्रत्याशी जफर अली नकवी किसान कर्ज माफी की आंधी में बसपा के हाथी को उड़ा ले गए. कांग्रेस के जफर अली नकवी को 184982 वोट मिले तो बसपा के इलियास आजमी को 176205 वोट और कांग्रेस विजयी हुई. बसपा फिर दूसरे नम्बर पर सिमट कर रह गई.

यही हाल पहली बार संसदीय सीट बनी धौरहरा का रहा. धौरहरा से कांग्रेस सीट से चुनाव लड़ रहे जितिन प्रसाद बसपा के हाथी को पछाड़कर जीत गए. इसके बाद 2014 में मोदी लहर में एक बार फिर से बसपा के हाथी ने खीरी में हुंकार भरी और मोदी की आंधी में बसपा के हाथी को एक बार फिर जंगल का रास्ता देखना पड़ा.

खीरी संसदीय सीट से उतरे भाजपा प्रत्याशी अजय मिश्रा टैनी को 3,98,578 वोट मिले तो समाजवादी और कांग्रेस छोड़कर बसपा के हाथी की सवारी से संसद पहुंचने का ख्वाब संजोए अरविन्द गिरी को 2,88,304 वोट मिले. यही हाल धौरहरा सीट का रहा मोदी लहर में यहां भी रेखा वर्मा 3,60,357 वोट पाकर जीत गई, जबकि बसपा प्रत्याशी दाऊद अहमद को 2,34,682 वोटों से संतोष करना पड़ा.

इस बार हालांकि खीरी से गठबंधन प्रत्याशी के रूप में समाजवादी पार्टी से युवा चेहरा डॉ. पूर्वी वर्मा के रूप में उतरा है. वहीं धौरहरा सीट से गठबंधन प्रत्याशी अरशद सिद्दीकी मैदान में उतरे हैं. अब जनता को तय करना है कि 2019 में सपा-बसपा की ताकत मिलकर क्या करती है.

लखीमपुर खीरी: 2019 लोकसभा चुनाव को देखते हुए खीरी और धौरहरा सीट पर सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशियों ने ताल ठोकी है. जिले में बसपा हमेशा किंगमेकर रही पर किंग नहीं बन पाई. 16 लोकसभा चुनावों में आज तक बसपा का कोई भी उम्मीदवार खीरी की दोनों सीटों पर नहीं जीत सका.

2019 लोकसभा चुनाव: सपा-बसपा गठबंधन ने ठोकी ताल.


सन् 2000 के बाद से खीरी जिले में बसपा की ताकत लगातार बढ़ी हैं पर कभी बसपा प्रत्याशी खीरी और धौरहरा से जीत नहीं पाया. 2004 लोकसभा चुनाव में बसपा के प्रत्याशी दाऊद अहमद और समाजवादी पार्टी के रवि प्रकाश वर्मा की सीधी टक्कर हुई. इसमें समाजवादी पार्टी के रवि वर्मा जीत गए और दाऊद दूसरे नम्बर पर रहे.

इसी तरह 2009 के चुनाव में भी खीरी सीट पर बसपा की टक्कर कांग्रेस से हुई, जहां कांग्रेस प्रत्याशी जफर अली नकवी किसान कर्ज माफी की आंधी में बसपा के हाथी को उड़ा ले गए. कांग्रेस के जफर अली नकवी को 184982 वोट मिले तो बसपा के इलियास आजमी को 176205 वोट और कांग्रेस विजयी हुई. बसपा फिर दूसरे नम्बर पर सिमट कर रह गई.

यही हाल पहली बार संसदीय सीट बनी धौरहरा का रहा. धौरहरा से कांग्रेस सीट से चुनाव लड़ रहे जितिन प्रसाद बसपा के हाथी को पछाड़कर जीत गए. इसके बाद 2014 में मोदी लहर में एक बार फिर से बसपा के हाथी ने खीरी में हुंकार भरी और मोदी की आंधी में बसपा के हाथी को एक बार फिर जंगल का रास्ता देखना पड़ा.

खीरी संसदीय सीट से उतरे भाजपा प्रत्याशी अजय मिश्रा टैनी को 3,98,578 वोट मिले तो समाजवादी और कांग्रेस छोड़कर बसपा के हाथी की सवारी से संसद पहुंचने का ख्वाब संजोए अरविन्द गिरी को 2,88,304 वोट मिले. यही हाल धौरहरा सीट का रहा मोदी लहर में यहां भी रेखा वर्मा 3,60,357 वोट पाकर जीत गई, जबकि बसपा प्रत्याशी दाऊद अहमद को 2,34,682 वोटों से संतोष करना पड़ा.

इस बार हालांकि खीरी से गठबंधन प्रत्याशी के रूप में समाजवादी पार्टी से युवा चेहरा डॉ. पूर्वी वर्मा के रूप में उतरा है. वहीं धौरहरा सीट से गठबंधन प्रत्याशी अरशद सिद्दीकी मैदान में उतरे हैं. अब जनता को तय करना है कि 2019 में सपा-बसपा की ताकत मिलकर क्या करती है.

Intro:लखीमपुर-2019 में खीरी और धौरहरा सीट पर सपा बसपा गठबंधन के प्रत्याशियों ने ताल ठोंकी है पर खीरी जिले की जनता कभी बसपा के हाथी की सवारी नहीं कर सकी। मतलब बसपा हमेशा जिले में किंगमेकर रही पर किंग नहीं बन पाई। न ही बसपा के हाथी की सवारी कर कोई प्रत्याशी खीरी धौरहरा से संसद की ड्योढ़ी तक पहुँच पाया। 16 लोकसभा चुनावों में आजतक बसपा का खाता खीरी की दोनों सीटों से नहीं खुल सका।
सन 2000 के बाद से खीरी जिले में बसपा की ताकत लगातार बढ़ी है। पर कभी बसपा प्रत्याशी खीरी और धौरहरा से जीत का सेहरा नहीं बाँध पाई। यूपी में बसपा राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने बसपा को एक गति दी। इसी के साथ खीरी जिले में भी बसपा के वोटर चुनाव दर चुनाव बढ़ते चले गए।


Body:2004 के लोकसभा चुनाव से बसपा ने खीरी जिले में नम्बर दो की पोजिशन अख्तियार कर ली। 2004 में समाजवादी पार्टी के रवि प्रकाश वर्मा की बसपा के प्रत्याशी दाऊद अहमद से सीधी टक्कर हुई। दोनों आमने सामने थे। पर आखिरकार सोशल इंजीनियरिंग फेल हो गई। समाजवादी पार्टी के रवि वर्मा जीत गए। दाऊद दूसरे नम्बर पर रहे।
इसी तरह 2009 का चुनाव आया। खीरी सीट पर बसपा की टक्कर इस बार काँग्रेस से हुई। काँग्रेस प्रत्याशी जफर अली नकवी किसान कर्जमाफी की आंधी में बसपा के हाथी को उड़ा ले गए। काँग्रेस के जफर अली नकवी को 184982 वोट मिले तो बसपा के इलियास आजमी को 176205 वोट। काँग्रेस विजयी हुई। बसपा फिर दूसरे नम्बर पर सिमट कर रह गई।
यही हाल पहली बार संसदीय सीट बनी धौरहरा का रहा। धौरहरा से काँग्रेस सीट से चुनाव लड़ रहे जितिन प्रसाद बसपा के हाथी को पछाड़ जीत गए। जितिन प्रसाद को 391391वोट मिले वहीं बसपा प्रत्याशी राजेश वर्मा को 206822 वोट से सन्तोष करना पड़ा। पर दूसरे नम्बर की हैसियत बसपा ने धौरहरा में भी हासिल की।


Conclusion:इसके बाद 2014 में मोदी लहर में एक बार फिर से बसपा के हाथी ने खीरी में हुंकार भरी। पर मोदी की आंधी में बसपा के हाथी को एक बार फिर जंगल का रास्ता देखना पड़ा। खीरी संसदीय सीट से उतरे भाजपा प्रत्याशी अजय मिश्रा टैनी को 398578 वोट मिले तो समाजवादी और काँग्रेस छोड़कर बसपा के हाथी की सवारी से संसद पहुँचने का ख्वाब सँजोए अरविन्द गिरी को 288304 वोट मिले। यही हाल धौरहरा सीट का रहा मोदी लहर में यहाँ भी रेखा वर्मा 360357 वोट पाकर जीत गई। जबकि बसपा प्रत्याशी दाऊद अहमद को 234682 वोटों से सन्तोष करना पड़ा। दाऊद दूसरे नम्बर पर यहाँ भी रहे।
इस बार हालांकि खीरी से गठबबधन प्रत्याशी के रूप में समाजवादी पार्टी से युवा चेहरा डॉ पूर्वी वर्मा के रूप में उतरा है। वहीं धौरहरा सीट से गठबन्धन प्रत्याशी अरशद सिद्दीकी मैदान में उतरे हैं। अब जनता को तय करना है कि 2019 में सपा बसपा की ताकत मिलकर क्या गुल खिलाती है।

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