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खीरी लोकसभा 2019: मंझे हुए सियासतदारों के आगे गठबंधन का युवा चेहरा

लखीमपुर खीरी में 2019 के चुनावी समर में सभी पार्टियों के योद्धा लाव-लश्कर के साथ उतर चुके हैं. सवाल है कि इंडो नेपाल के बॉर्डर से सटे जंगलों और गन्ने की खेती वाली उपजाऊ जमीन के इस जिले में इस बार किस पार्टी का परचम लहराएगा?

जानकारी देते संवाददाता.
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Published : Mar 25, 2019, 11:16 PM IST

लखीमपुर खीरी: 16 लाख वोटर्स वाले खीरी जिले में इस बार सियासी पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति के साथ जनता को अपने पाले में करने में नए-नए पैंतरे आजमा रही हैं. 2014 में यहां से अरसे बाद बीजेपी के अजय मिश्रा ने मोदी लहर में अपनी जीत का परचम लहराया था. वहीं इस बार बीजेपी की राह आसान नजर नहीं आ रही है.

जानकारी देते संवाददाता.


2014 में बीजेपी के अजय मिश्रा ने यहां से जीत हासिल की थी. जिसकी वजह लोग मोदी लहर भी बता रहे थे. जिसके बाद बीजेपी ने एक बार फिर मौजूदा सांसद पर भरोसा जताया है. वहीं कांग्रेस ने भी अपने पुराने प्रत्याशी जफर अली नकवी को जनता का दिल जीतने की उम्मीद से एक बार फिर मौका दिया है. 2014 में जफर अली नकवी तीसरे स्थान पर रहे थे.


2019 का चुनाव इसलिए भी अलग है क्योंकि इस बार सपा और बसपा अलग-अलग नहीं लड़ रहे. 2009 और 2014 के रिजल्ट देखें, तो सपा बसपा के वोट मिलाने पर गठबंधन का पलड़ा भारी हो जाता है और यही वजह है कि इस बार गठबंधन ने कांग्रेस और भाजपा दोनों के माथे पर शिकन जरूर ला दी हैं.


खीरी के रण में खास बात यह भी है कि एक तरफ कांग्रेस और भाजपा से तजुर्बे दार मंझे हुए सियासतदारों को चुनाव मैदान में उतारा हैं तो गठबंधन ने एक युवा चेहरा चुनावी समर में खड़ा किया. 29 साल की डॉ पूर्वी वर्मा को गठबंधन ने अपना प्रत्याशी बनाया है. हालांकि पूर्वी वर्मा का सियासी सफर देखें तो ज्यादा नहीं है, लेकिन वह जिस घर में पली बढ़ी हैं. वह जरूर सियासतदारों का है. वह पूर्व सांसद बाल गोविंद वर्मा की बेटी हैं.


कुर्मी बाहुल्य खीरी जिले में यूं तो गठबंधन प्रत्याशी पूर्वी वर्मा के घर से कई बार लोग सांसद रहे हैं, लेकिन 2019 का रण पूर्वी जीतेगी या भाजपा के अजय मिश्रा और या फिर कांग्रेस के जफर अली नकवी यह कहना अभी मुश्किल होगा. क्योंकि जनता किसको पसंद करती है यह 23 मई को ही पता चलेगा.

लखीमपुर खीरी: 16 लाख वोटर्स वाले खीरी जिले में इस बार सियासी पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति के साथ जनता को अपने पाले में करने में नए-नए पैंतरे आजमा रही हैं. 2014 में यहां से अरसे बाद बीजेपी के अजय मिश्रा ने मोदी लहर में अपनी जीत का परचम लहराया था. वहीं इस बार बीजेपी की राह आसान नजर नहीं आ रही है.

जानकारी देते संवाददाता.


2014 में बीजेपी के अजय मिश्रा ने यहां से जीत हासिल की थी. जिसकी वजह लोग मोदी लहर भी बता रहे थे. जिसके बाद बीजेपी ने एक बार फिर मौजूदा सांसद पर भरोसा जताया है. वहीं कांग्रेस ने भी अपने पुराने प्रत्याशी जफर अली नकवी को जनता का दिल जीतने की उम्मीद से एक बार फिर मौका दिया है. 2014 में जफर अली नकवी तीसरे स्थान पर रहे थे.


2019 का चुनाव इसलिए भी अलग है क्योंकि इस बार सपा और बसपा अलग-अलग नहीं लड़ रहे. 2009 और 2014 के रिजल्ट देखें, तो सपा बसपा के वोट मिलाने पर गठबंधन का पलड़ा भारी हो जाता है और यही वजह है कि इस बार गठबंधन ने कांग्रेस और भाजपा दोनों के माथे पर शिकन जरूर ला दी हैं.


खीरी के रण में खास बात यह भी है कि एक तरफ कांग्रेस और भाजपा से तजुर्बे दार मंझे हुए सियासतदारों को चुनाव मैदान में उतारा हैं तो गठबंधन ने एक युवा चेहरा चुनावी समर में खड़ा किया. 29 साल की डॉ पूर्वी वर्मा को गठबंधन ने अपना प्रत्याशी बनाया है. हालांकि पूर्वी वर्मा का सियासी सफर देखें तो ज्यादा नहीं है, लेकिन वह जिस घर में पली बढ़ी हैं. वह जरूर सियासतदारों का है. वह पूर्व सांसद बाल गोविंद वर्मा की बेटी हैं.


कुर्मी बाहुल्य खीरी जिले में यूं तो गठबंधन प्रत्याशी पूर्वी वर्मा के घर से कई बार लोग सांसद रहे हैं, लेकिन 2019 का रण पूर्वी जीतेगी या भाजपा के अजय मिश्रा और या फिर कांग्रेस के जफर अली नकवी यह कहना अभी मुश्किल होगा. क्योंकि जनता किसको पसंद करती है यह 23 मई को ही पता चलेगा.

Intro:लखीमपुर-खीरी जिले में 2019 के चुनावी महासमर में सभी पार्टियों के योद्धा लाव लश्कर के साथ चुनावी समर में उतर चुके हैं। इंडो नेपाल के बॉर्डर से सटे इस जंगलो और गन्ने की खेती वाले उपजाऊ जमीनों वाले इस जिले में इस बार किस पार्टी का परचम लहराएगा ये जनता 29 अप्रैल को तय करेगी।
16 लाख वोटरों वाले खीरी जिले में इस बार चुनावी रण में सियासी पार्टियाँ अपनी अपनी रणनीति के साथ जनता को अपने पाले में करने में नए नए पैंतरों को आजमाएंगी।
खीरी जिले में 2014 में अरसे बाद बीजेपी के अजय मिश्रा ने मोदी लहर में अपना जीत का परचम लहराया था। भाजपा के कर्मठ योद्धा अजय मिश्रा पर ही भाजपा ने 2019 के चुनावी समर में भी भरोसा कर चुनाव मैदान में उतारा है। 2014 अजय मिश्रा को 398578 वोट मिले थे। अजय मिश्रा ने बसपा के हाथी पर सवार अरविन्द गिरी को सीधी टक्कर दी थी। बसपा प्रत्याशी अरविन्द गिरी को 288304 वोट हासिल हुए थे। वहीं काँग्रेस के 2009 के विजेता जफर अली नकवी तीसरे पायदान पर खिसक गए थे। जफर अली नकवी को 183940 वोट मिले थे। समाजवादी पार्टी से लड़े रविप्रकाश वर्मा को 160112 वोट मिले थे।


Body:पर 2019 के रणक्षेत्र में स्थितियां बदली नजर आ रही। एक तो काँग्रेस और भाजपा ने अपने पुराने अनुभवी और धुरन्धर योद्धाओं को चुनावी रण में उतारा है। काँग्रेस ने इस बार फिर से जफर अली नकवी को शारदा घाघरा के कछार की धरती की जनता का दिल जीतने की उम्मीद के साथ चुनावी रण में उतारा है। 2009 में जफर अली नकवी को 184982 वोट मिले थे। और वो जीत गए थे। जबकि बसपा के प्रत्याशी इलियास आदमी को 176205 वोट पाकर दूसरे नम्बर पर रहे थे। भाजपा 2009 के इलेक्शन में तीसरे नंबर पर थी और समाजवादी पार्टी चौथे नंबर पर। भाजपा से 2009 में भी 2014 के विजेता अजय मिश्र टेनी लड़े थे। और 162850 वोट उन्होंने हासिल किए थे। वहीं समाजवादी पार्टी के रवि प्रकाश वर्मा 2009 में भी 153491 वोट पाकर चौथे ही स्थान पर ही रह गए थे। मतलब खेती किसानी वाली खीरी की जनता ने काँग्रेस की कर्जमाफी में कांग्रेस को सरमाथे पर बिठाया और जफर को 2009 में दिल्ली पहुँचाया।


Conclusion:2019 का चुनाव इस मायने में भी अलग है इस बार सपा और बसपा अलग अलग नहीं लड़ रहे। 2009 और 2014 के रिजल्ट देखें तो सपा बसपा के वोट मिलाने पर गठबंधन का पलड़ा भारी हो जाता है। और यही वजह है कि इस बार गठबंधन ने कांग्रेस और भाजपा दोनों के माथे पर शिकन जरूर ला दी है। खीरी के रण में खास बात यह भी है कि एक तरफ कांग्रेस और भाजपा से तजुर्बे दार मंझे हुए सियासत दा चुनाव मैदान में उतारे हैं तो गठबंधन से एक युवा चेहरा चुनावी समर में उनका सामना करेगा। 29 साल की डॉ पूर्वी वर्मा को गठबंधन ने अपना प्रत्याशी बनाया है । हालांकि पूर्वी वर्मा का सियासी सफर देखें तो ज्यादा नहीं पर वह जिस घर आने में पली बढ़ी हैं। वहाँ बचपन से ही राजनीति का ककहरा पढ़ती चली आईं हैं। यह वह घराना है जिसने खीरी का आधे से ज्यादा बार लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया है। जी हां पूर्व सांसद बाल गोविंद वर्मा,उषा वर्मा,रवि प्रकाश वर्मा की बेटी पूर्वी वर्मा को गठबंधन ने अपना प्रत्याशी बनाया है। कुर्मी बाहुल्य खीरी जिले में यूं तो गठबंधन प्रत्याशी पूर्वी वर्मा के घर में कई बार सांसद ही रही। पर 2019 का रण पूर्वी जीतेगी या भाजपा के अजय मिश्रा और या फिर कांग्रेस के जफर अली नकवी यह कहना अभी मुश्किल होगा। क्योंकि जनता किसको पसंद करती है या 29 अप्रैल को ईवीएम में किसकी किस्मत कैद होगी इसका पता 23 मई को ही चलेगा। जब ईवीएम खुलेंगी।
पीटीसी-प्रशान्त पाण्डेय
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प्रशान्त पाण्डेय
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