लखीमपुर खीरी: 16 लाख वोटर्स वाले खीरी जिले में इस बार सियासी पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति के साथ जनता को अपने पाले में करने में नए-नए पैंतरे आजमा रही हैं. 2014 में यहां से अरसे बाद बीजेपी के अजय मिश्रा ने मोदी लहर में अपनी जीत का परचम लहराया था. वहीं इस बार बीजेपी की राह आसान नजर नहीं आ रही है.
2014 में बीजेपी के अजय मिश्रा ने यहां से जीत हासिल की थी. जिसकी वजह लोग मोदी लहर भी बता रहे थे. जिसके बाद बीजेपी ने एक बार फिर मौजूदा सांसद पर भरोसा जताया है. वहीं कांग्रेस ने भी अपने पुराने प्रत्याशी जफर अली नकवी को जनता का दिल जीतने की उम्मीद से एक बार फिर मौका दिया है. 2014 में जफर अली नकवी तीसरे स्थान पर रहे थे.
2019 का चुनाव इसलिए भी अलग है क्योंकि इस बार सपा और बसपा अलग-अलग नहीं लड़ रहे. 2009 और 2014 के रिजल्ट देखें, तो सपा बसपा के वोट मिलाने पर गठबंधन का पलड़ा भारी हो जाता है और यही वजह है कि इस बार गठबंधन ने कांग्रेस और भाजपा दोनों के माथे पर शिकन जरूर ला दी हैं.
खीरी के रण में खास बात यह भी है कि एक तरफ कांग्रेस और भाजपा से तजुर्बे दार मंझे हुए सियासतदारों को चुनाव मैदान में उतारा हैं तो गठबंधन ने एक युवा चेहरा चुनावी समर में खड़ा किया. 29 साल की डॉ पूर्वी वर्मा को गठबंधन ने अपना प्रत्याशी बनाया है. हालांकि पूर्वी वर्मा का सियासी सफर देखें तो ज्यादा नहीं है, लेकिन वह जिस घर में पली बढ़ी हैं. वह जरूर सियासतदारों का है. वह पूर्व सांसद बाल गोविंद वर्मा की बेटी हैं.
कुर्मी बाहुल्य खीरी जिले में यूं तो गठबंधन प्रत्याशी पूर्वी वर्मा के घर से कई बार लोग सांसद रहे हैं, लेकिन 2019 का रण पूर्वी जीतेगी या भाजपा के अजय मिश्रा और या फिर कांग्रेस के जफर अली नकवी यह कहना अभी मुश्किल होगा. क्योंकि जनता किसको पसंद करती है यह 23 मई को ही पता चलेगा.