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सामूहिक प्रयास से धरा का हर भाग हो सकता है हरा: वृक्ष मित्र जितेन्द्र यादव

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के मठिया धीर गांव के रहने वाले जितेन्द्र यादव लावारिस पौधों की सेवा करके उन्हें वृक्ष का रूप देने का काम करते हैं. जितेन्द्र के सेवा भाव को देखते हुए अब लोगों ने उन्हें वृक्ष मित्र कहकर बुलाना शुरू कर दिया है. जितेन्द्र की टीम ने अब तक 18 हजार से अधिक वृक्षों का रोपण किया है.

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Published : Sep 25, 2019, 7:41 AM IST

ईटीवी भारत ने वृक्ष मित्र जितेन्द्र यादव से की खास बातचीत.

कुशीनगर: 'एक वृक्ष दस पुत्र समान', इस स्लोगन को वास्तविक रूप से चरितार्थ कर रहे हैं जिले के मठिया धीर गांव के रहने वाले जितेन्द्र यादव. जितेंद्र अपने घर के आंगन में बनी छोटी सी पौधशाला में लावारिस पौधों की सेवा करके उन्हें वृक्ष का रूप देने का काम करते हैं. इसके बाद इनकी टीम द्वारा दस से पन्द्रह फुट के इन वृक्षों को ऐसे स्थानों पर स्थापित किया जाता है, जहां आमजन इसका लाभ उठा सकें. वर्ष 1985 से शुरू हुए इस कार्य मे जितेन्द्र की टीम ने अब तक 18 हजार से अधिक वृक्षों का रोपण कर पर्यावरण संरक्षण के लिए अनूठी पहल की है.

ईटीवी भारत ने वृक्ष मित्र जितेन्द्र यादव से की खास बातचीत.

वृक्ष मित्र के नाम से जानें जाते हैं जितेंद्र
जिले के रामकोला कस्बे के निकट मठिया धीर गांव के रहने वाले जितेन्द्र यादव को लोग अब वृक्ष मित्र के नाम से ही जानते हैं. जितेन्द्र ने हाईस्कूल की शिक्षा के दौरान अपने एक शिक्षक की प्रेरणा से पर्यावरण सरंक्षण के लिए 1985 मे काम करना प्रारंभ किया था.

34 साल से लावारिस पौधों की सेवा कर रहे हैं जितेन्द्र यादव
गरीबी के बीच पर्यावरण संरक्षण के लिए अकेले लावारिस पौधों को घर लाकर उसकी सेवा और फिर उसे किसी सार्वजनिक स्थान पर रोपित करते थे. इस अभियान के 34 साल में जितेन्द्र यादव के साथ निःस्वार्थ व सेवा भाव से काम करने वाले नौजवानों की एक टीम आ खड़ी हुई है. 25-30 युवकों की यह टीम अब पौधरोपण नहीं बल्कि पौधों को अपने आंगन मे बड़ाकर उसे वृक्ष का रूप देकर सार्वजनिक स्थानों पर आम लोगों के सहयोग से लगाने का काम करती है.

पर्यावरण संरक्षण के लिए किया निःस्वार्थ भाव से काम
पर्यावरण संरक्षण के लिए निःस्वार्थ भाव से अपने काम को अंजाम देने वाले जितेन्द्र यादव की पहचान ग्रामीण इलाके से अब बाहर शहर तक निकलने लगी है. जितेन्द्र के सेवा भाव को देखते हुए अब लोगों ने उन्हें वृक्ष मित्र कहकर बुलाना शुरू कर दिया है. समाज में अभी भी कुछे ऐसे लोग हैं जो पर्दे के पीछे रहकर ही समाज हित में अपना बड़ा योगदान दे रहे हैं.

हर गांव मे 150-200 नौजवान हैं. यदि महीने में एक पेड़ लगाने और उसे संरक्षित करने का संकल्प ले लें तो धरा का हर भाग हरा हो सकता है. ये अत्यन्त जरूरी कार्य भी है, क्योंकि आगे आने वाले दिनों में बड़ा संकट हम लोगों के सामने पर्यावरण को लेकर ही होने वाला है.
-जितेन्द्र यादव, पर्यावरण प्रेमी

कुशीनगर: 'एक वृक्ष दस पुत्र समान', इस स्लोगन को वास्तविक रूप से चरितार्थ कर रहे हैं जिले के मठिया धीर गांव के रहने वाले जितेन्द्र यादव. जितेंद्र अपने घर के आंगन में बनी छोटी सी पौधशाला में लावारिस पौधों की सेवा करके उन्हें वृक्ष का रूप देने का काम करते हैं. इसके बाद इनकी टीम द्वारा दस से पन्द्रह फुट के इन वृक्षों को ऐसे स्थानों पर स्थापित किया जाता है, जहां आमजन इसका लाभ उठा सकें. वर्ष 1985 से शुरू हुए इस कार्य मे जितेन्द्र की टीम ने अब तक 18 हजार से अधिक वृक्षों का रोपण कर पर्यावरण संरक्षण के लिए अनूठी पहल की है.

ईटीवी भारत ने वृक्ष मित्र जितेन्द्र यादव से की खास बातचीत.

वृक्ष मित्र के नाम से जानें जाते हैं जितेंद्र
जिले के रामकोला कस्बे के निकट मठिया धीर गांव के रहने वाले जितेन्द्र यादव को लोग अब वृक्ष मित्र के नाम से ही जानते हैं. जितेन्द्र ने हाईस्कूल की शिक्षा के दौरान अपने एक शिक्षक की प्रेरणा से पर्यावरण सरंक्षण के लिए 1985 मे काम करना प्रारंभ किया था.

34 साल से लावारिस पौधों की सेवा कर रहे हैं जितेन्द्र यादव
गरीबी के बीच पर्यावरण संरक्षण के लिए अकेले लावारिस पौधों को घर लाकर उसकी सेवा और फिर उसे किसी सार्वजनिक स्थान पर रोपित करते थे. इस अभियान के 34 साल में जितेन्द्र यादव के साथ निःस्वार्थ व सेवा भाव से काम करने वाले नौजवानों की एक टीम आ खड़ी हुई है. 25-30 युवकों की यह टीम अब पौधरोपण नहीं बल्कि पौधों को अपने आंगन मे बड़ाकर उसे वृक्ष का रूप देकर सार्वजनिक स्थानों पर आम लोगों के सहयोग से लगाने का काम करती है.

पर्यावरण संरक्षण के लिए किया निःस्वार्थ भाव से काम
पर्यावरण संरक्षण के लिए निःस्वार्थ भाव से अपने काम को अंजाम देने वाले जितेन्द्र यादव की पहचान ग्रामीण इलाके से अब बाहर शहर तक निकलने लगी है. जितेन्द्र के सेवा भाव को देखते हुए अब लोगों ने उन्हें वृक्ष मित्र कहकर बुलाना शुरू कर दिया है. समाज में अभी भी कुछे ऐसे लोग हैं जो पर्दे के पीछे रहकर ही समाज हित में अपना बड़ा योगदान दे रहे हैं.

हर गांव मे 150-200 नौजवान हैं. यदि महीने में एक पेड़ लगाने और उसे संरक्षित करने का संकल्प ले लें तो धरा का हर भाग हरा हो सकता है. ये अत्यन्त जरूरी कार्य भी है, क्योंकि आगे आने वाले दिनों में बड़ा संकट हम लोगों के सामने पर्यावरण को लेकर ही होने वाला है.
-जितेन्द्र यादव, पर्यावरण प्रेमी

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एक वृक्ष दस पुत्र समान, इस स्लोगन को वास्तविक रुप से चरितार्थ कर रहे हैं कुशीनगर के जितेन्द्र यादव, वो जिले के मठिया धीर गाँव मे अपने घर के आँगन में बनी छोटी सी पौधशाला में लावारिस पौधों की सेवा करके उन्हें वृक्ष का रुप देने का काम करते है, इसके बाद इनकी टीम द्वारा दस, पन्द्रह फुट के इन वृक्षों को ऐसे स्थानों पर स्थापित किया जाता है जहाँ आमजन इसका लाभ उठा सकें. वर्ष 1985 से शुरु हुए इस कार्य मे जितेन्द्र की टीम ने अब तक 18 हजार से अधिक वृक्षों का रोपण कर पर्यावरण संरक्षण के लिए अनूठी पहल की है.


Body:जिले के रामकोला कस्बे के निकट मठिया धीर गाँव के रहने वाले जितेन्द्र यादव को लोग अब वृक्ष मित्र के नाम से ही जानते है, जितेन्द्र ने हाई स्कूल की शिक्षा के दौरान अपने एक शिक्षक की प्रेरणा से पर्यावरण सरंक्षण के लिए 1985 मे काम करना प्रारंभ किया

गरीबी के बीच पर्यावरण संरक्षण के लिए अकेले लावारिस पौधों को घर लाकर उसकी सेवा और फिर उसे किसी सार्वजनिक स्थान पर रोपित करने के शुरु हुए इस अभियान के 34 साल में जितेन्द्र यादव के साथ निःस्वार्थ व सेवा भाव से काम करने वाले नौजवानों की एक टीम आ खड़ी हुई है

25 - 30 युवकों की यह टीम अब पौधरोपण नही बल्कि पौधों को अपने आँगन मे बड़ाकर उसे वृक्ष का रुप देकर सार्वजनिक स्थानों पर आमलोगों के सहयोग से लगाने का काम करती है

जितेन्द्र यादव ने ईटीवी भारत से अपने गाँव मठिया धीर मे बात करते हुए बताया कि हर गाँव मे डेढ़ दो सौ नौजवान हैं यदि महीने में एक पेड़ लगाने और उसे संरक्षित करने का संकल्प ले लें तो धरा का हर भाग हरा हो सकता है, ये अत्यन्त जरुरी कार्य भी है क्योंकि आगे आने वाले दिनों में बड़ा संकट हम लोगों के सामने पर्यावरण को लेकर ही होने वाला है

बाइट - जितेन्द्र यादव, पर्यावरण प्रेमी


Conclusion:vo पर्यावरण संरक्षण के लिए निःस्वार्थ भाव से अपने काम को अंजाम देने वाले जितेन्द्र यादव की पहचान ग्रामीण इलाके से अब बाहर शहर तक निकलने लगी है, जितेन्द्र के सेवा भाव को देखते हुए अब लोगों ने उन्हें वृक्ष मित्र कहकर बुलाना शुरु कर दिया है, समाज मे अभी भी कुछेक ऐसे लोग हैं जो पर्दे के पीछे रहकर ही समाज हित मे अपना बड़ा योगदान दे रहे हैं

End P2C

सूर्य प्रकाश राय
कुशीनगर
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