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दीवाली ने लौटाई मूर्तिकारों के चेहरे पर रौनक, बोले- तैयारियों से ज्यादा रही डिमांड

कुशीनगर में बंगाल से आए मूर्तिकारों का कहना है कि इस बार उन्होंने मूर्ति बनाने की तैयारियां कम की थी. लेकिन मूर्तियों की डिमांड काफी आई थी, जिससे वह काफी खुश है.

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मां दूर्गा की प्रतिमा
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Published : Oct 23, 2022, 8:00 AM IST

कुशीनगर: इस बार की दीवाली बंगाल से आये मूर्तिकारों के चेहरे पर रौनक लायी हैं. लक्ष्मी पूजा की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी हैं, जिसे देखते हुए लक्ष्मी गणेश और सम्बंधित देवी देवताओं की अस्थायी मुर्तिया पण्डालों के लिए शनिवार को सुबह ही निकलने लगी. देर रात तक लगभग सारी मुर्ती मूर्तिकारों के पास से पंडालों के लिए निकल गई, जिससे मूर्ति निर्माता काफी खुश दिखे.

जानकारी के मुताबिक मूर्तिकार विश्वजीत पाल
दरअसल, हिंदू देवी-देवताओं की मूर्ति बनाने कुशीनगर जिले में 3000 से भी अधिक बंगाल से कारीगर आते हैं. ये अलग-अलग कस्बों और बाजारों मे पांडाल बनाकर दशहरा से लेकर दीवाली और छठ पर मूर्ति बनाते हैं. इनका साथ स्थानीय मजदूर भी देते है. कोरोना में मूर्तिकला चौपट हो गई थी. लेकिन इस बार सरकार की पाबंदी और बाजार में रौनक के साथ इन मूर्तिकारों के दिन लौट आए है.
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मां दुर्गा की प्रतिमा
बंगाल से आये मूर्तिकार विश्वजीत पाल ने बताया कि कोरोना काल मे कारोबार चौपट हो गया था. पिछले साल जब पाबन्दी हटी तो लगा कि मूर्ति कारोबार चलेगा. मूर्ति भी बनायी पर बिक्री नहीं हुई. बल्कि कई मुर्तिया काटनी पड़ी. इस लिए अबकी बार भी वह डर रहे थे तो उन्होंने कम तैयारियां की. लेकिन मूर्ति की डिमांड इतनी रही कि उसकी आपूर्ति नहीं कर सके. लोगों के पास पैसे कम हैं. इसलिए डिमांड के हिसाब से लोग पैसे तो नहीं दिए. परंतु बिक्री अच्छी रही.
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कुशीनगर में बनाई गई भगवान की प्रतिमा

यह भी पढ़ें- प्रभारी सीडीपीओ के खिलाफ मुकदमा दर्ज, बाल विकास परियोजना कार्यालय में घूस लेते का वीडियो हुआ था वायरल

कुशीनगर: इस बार की दीवाली बंगाल से आये मूर्तिकारों के चेहरे पर रौनक लायी हैं. लक्ष्मी पूजा की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी हैं, जिसे देखते हुए लक्ष्मी गणेश और सम्बंधित देवी देवताओं की अस्थायी मुर्तिया पण्डालों के लिए शनिवार को सुबह ही निकलने लगी. देर रात तक लगभग सारी मुर्ती मूर्तिकारों के पास से पंडालों के लिए निकल गई, जिससे मूर्ति निर्माता काफी खुश दिखे.

जानकारी के मुताबिक मूर्तिकार विश्वजीत पाल
दरअसल, हिंदू देवी-देवताओं की मूर्ति बनाने कुशीनगर जिले में 3000 से भी अधिक बंगाल से कारीगर आते हैं. ये अलग-अलग कस्बों और बाजारों मे पांडाल बनाकर दशहरा से लेकर दीवाली और छठ पर मूर्ति बनाते हैं. इनका साथ स्थानीय मजदूर भी देते है. कोरोना में मूर्तिकला चौपट हो गई थी. लेकिन इस बार सरकार की पाबंदी और बाजार में रौनक के साथ इन मूर्तिकारों के दिन लौट आए है.
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मां दुर्गा की प्रतिमा
बंगाल से आये मूर्तिकार विश्वजीत पाल ने बताया कि कोरोना काल मे कारोबार चौपट हो गया था. पिछले साल जब पाबन्दी हटी तो लगा कि मूर्ति कारोबार चलेगा. मूर्ति भी बनायी पर बिक्री नहीं हुई. बल्कि कई मुर्तिया काटनी पड़ी. इस लिए अबकी बार भी वह डर रहे थे तो उन्होंने कम तैयारियां की. लेकिन मूर्ति की डिमांड इतनी रही कि उसकी आपूर्ति नहीं कर सके. लोगों के पास पैसे कम हैं. इसलिए डिमांड के हिसाब से लोग पैसे तो नहीं दिए. परंतु बिक्री अच्छी रही.
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कुशीनगर में बनाई गई भगवान की प्रतिमा

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