कुशीनगर : नारायणी नदी पर तबाही के भयावह मंजर से तमकुहीराज तहसील का बड़ा इलाका प्रभावित होता हैं. सरकारों ने नदियों के बांध और ठोकरों के निर्माण व मरम्मत में करोड़ो रूपये हर वर्ष खर्च करती है. लेकिन, नदी का पानी कम होते ही विभाग और जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण नारायणी नदी की सफेद बालू का काला कारोबार जोरो पर चलता है. वही बरवापट्टी थानाक्षेत्र के इलाके में खनन माफिया बेखौफ नदियों के बाँध के ठोकरों से खनन कर भविष्य में तबाही की इबारत लिख रहे है. लेकिन विभाग और सभी जिम्मेदार अधिकारी आँखे मूंदे हुए है. जिससे स्थानीय लोगों की चिंताए बढ़ी हुई हैं.
तमकुहीराज तहसील के बरवापट्टी थाना क्षेत्र (Barwapatti police station area) के अमवाखास बांध पर बने ठोकर के बगल में इन दिनों बालू खनन हो रहा है. खनन बांध के नीचे से हो रहा है. बाढ़ से सुरक्षा के लिए बनाई गई ठोकर के पास खनन करने से आसपास के ग्रामीणों में आक्रोश है. बालू के अवैध खनन से बांध को खतरा हो रहा है. बाढ़ आने पर नदी की धार मोड़ने के लिए यह ठोकर विशेष भूमिका निभाती है. ठोकर के किनारे खनन होने से गढ्ढे बन जा रहे हैं जो बरसात के दिनों में या बाढ़ आने पर नदी से जुड़ जाएंगे. नदी सीधे बंधे व ठोकर से टकराने लगेगी और बंधे के लिए गंम्भीर खतरा पैदा हो रहे हैं. गढ्ढे में नदी के रोलबैक करने से आसानी से बांध पर दबाव बना देंगी.
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इसके बाद जो तबाही का मंजर होगा. उसकी कल्पना करना मुश्किल है. कई गांव तबाह हो जाएंगे. इसी भयंकर तबाही व अन्य तकनीकी कारणों के चलते बाढ़ खण्ड के अभियंता भी बालू खनन को बांध के लिए खतरा मानते हैं. बरवापट्टी में बड़ी गंडक नदी का ढाल होने के कारण नदी का करंट यहां काफी रहता है. बरसात के दिनों में नदी कहर बनकर बरपती है. इसलिए बाढ़ के खतरे से बचाने के लिए सरकार ने बांध का निर्माण करा रखा है. बीते कुछ वर्षों से नदी का सबसे ज्यादा दबाव अमवाखास तटबंध पर रहा है.
जिला खनन अधिकारी से इस सम्बंध में पूछा गया तो उन्होंने मामले से अनभिज्ञता जाहिर किया. वहीं अब मौके का निरीक्षण करके उचित कार्रवाई की बात कही.
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