कुशीनगर/प्रयागराज: रक्षाबंधन के त्यौहार में शुभ मुहूर्त को लेकर लोगों में असमंजस बना हुआ है. राखी के मुहूर्त और नियमों जानकारी महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पांडेय ने दी.
उन्होंने बताया कि श्रावण शुक्ल पूर्णिमा (shravan purnima 2022) इस वर्ष (2022) 11 अगस्त गुरुवार की सुबह 9:36am से शुक्रवार 12 अगस्त की सुबह 7:16am तक है. वहीं, भद्र पूर्णिमा गुरुवार (11 अगस्त) रात्रि 8:25pm तक है. भद्रा काल में रक्षाबंधन का पुनीत पर्व वर्जित है. ”भद्रायाम् द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा” भद्रा में श्रावणी (उपाकर्म रक्षाबंधन) और होलिका दहन नहीं होना चाहिए. इसलिए 11 अगस्त गुरुवार की रात्रि 8:26pm के बाद आवश्यक होने पर या शुक्रवार को उदया तिथि में 12 अगस्त की सुबह 7:16am तक रक्षाबंधन का पुनीत पर्व मनाया जाना शुभ होगा.
प्रयागराज की पंडित शिप्रा सचदेव ने बताया कि भाई-बहन के प्यार का प्रतीक राखी का त्यौहार हर साल सावन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बहनें भाईयों की कलाई पर प्यार का धागा बांधती हैं. उसे रक्षाबंघन कहते है. इसके साथ ही बहनें अपने भाइयों की लंबी आयु की कामना करती हैं. वहीं, भाई प्रेमरूपी रक्षा धागे को बंधवाकर अपनी बहन की जीवन भर रक्षा करने का संकल्प लेते हैं.
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राखी बांधने का शुभ मुहूर्त: उदया तिथि के अनुसार शुक्रवार 12अगस्त को सुबह 5:30am से 7:16am बजे तक उत्तम मुहूर्त है. ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पांडेय ने बताया कि बहनें भाईयों को रक्षा बांधते समय भगवान गणेश का ध्यान कर उनसे मंगल की कामना करें. श्रावणी (रक्षाबंधन) को सनातन धर्मियों के लिए वर्ष का प्रथम त्यौहार माना गया है. इस दिन कुल पुरोहित अपने यजमानों और बहनें अपने भाईयों को रक्षा बांध कर तिलक लगाकर चिरंजीवी, सर्वत्र विजयी होने की कामना करती हैं. रक्षा बांधने का एक मन्त्र सर्व प्रचलित है. जैसे "येन बद्धो बली राजा दान वेंद्रो महा बल, तेन त्वां प्रति बद्धनामि रक्षे माचल माचल". इसी मन्त्र से प्राचीन काल में द्रोपदी ने श्री कृष्ण को और देव गुरु वृहस्पति ने इन्द्र को रक्षा बांधी थी. इसी दिन श्रावणी का उपाकर्म ब्राह्मणों द्वारा किया जाता है. जिसमें वेद पाठी ब्राह्मण शुक्ल यजुर्वेद के मंत्रों से यज्ञोपवित की शुद्धि और प्रतिष्ठा करते हैं.
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