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कुशीनगर: बारिश ने अमवाखास बंधे पर चल रहे काम की खोली पोल

यूपी के कुशीनगर जिले में बारिश के चलते अमवाखास बंधे पर चल रहे निर्माण कार्य के दौरान एक बड़ा हिस्सा धंस गया है. बता दें कि अभी तीन दिन पहले ही जलशक्ति मंत्री ने इस परियोजना का निरीक्षण किया था.

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अमवाखास बांध.
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Published : Jul 20, 2020, 7:28 PM IST

कुशीनगर: जनपद के अमवाखास बंधे पर चल रही परियोजनाओं का तीन दिन पहले जलशक्ति मंत्री ने निरीक्षण किया था. वहीं 24 घंटे की तेज बारिश से बंधे पर चल रहे निर्माण कार्य में एक बड़ा हिस्सा धंस गया है. स्थानीय स्तर पर कामकाज देख रहे अधिकारी इसे नदी की सामान्य प्रक्रिया करार दे रहे हैं.

परियोजना के तहत चल रहा है निर्माण कार्य
जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष नारायणी नदी के हुए तेज कटान को लेकर इस वर्ष शासन ने अमवाखास बंधे के 7.750 किमी से 7.810 किमी के जमीन पर तीन करोड़ आठ लाख की लागत से रिवेटमेंट, उस पर बीस मीटर के अंतराल पर टीथ और आर.सी.सी. परक्युपाइन लगवाने की परियोजना स्वीकृत की गयी है. वहीं विभाग की मानें तो इस परियोजना का कार्य करीब पूरा कर लिया गया है.

बारिश ने खोली पोल
पिछले चौबीस घण्टे के दौरान हुई तेज बरसात मे पूरे बचाव कार्य की पोल खुलकर सामने आ गई है. जानकारों की मानें तो चल रहे कार्य में रिवेटमेंट का टीथ और रिवेटमेंट का अगला हिस्सा काफी हद तक धंसा नजर आ रहा है. इस कारण रिवेटमेंट के बीच अच्छा खासा गैप दिखाई दे रहा है. जानकार बता रहे हैं कि मौके पर डाले गए बड़े पत्थरों का वायर क्रेट का जो एक घन मीटर का मानक है, उसे पूरा नहीं किया गया है. बारिश के कारण ही हल्के मिट्टी में लगाए गए बोर्ड भी जहां-तहां गिरे पड़े हैं.

लोगों का आरोप है कि
विभाग के अधिकारियों की योजना के मुताबिक तीन दिन पूर्व निरीक्षण के दौरान जलशक्ति मंत्री डॉ महेंद्र सिंह द्वारा ज्यादा समय नारायणी नदी की आरती व पूजा में निकल गया, वो पूरा ध्यान अपना बचाव कार्य के निरीक्षण पर दे ही नहीं पाए. सहायक अभियंता हरिशंकर पांडेय का कहना है कि रिवेटमेंट नहीं धंसा है. रिवेटमेंट का एप्रन लांच हुआ है. नदी चलेगी तो ऐसा होगा ही. उसका नाम ही है लांचिंग एप्रन और वह लांच होता है, इसमें कोई खतरा नहीं है.

कुशीनगर: जनपद के अमवाखास बंधे पर चल रही परियोजनाओं का तीन दिन पहले जलशक्ति मंत्री ने निरीक्षण किया था. वहीं 24 घंटे की तेज बारिश से बंधे पर चल रहे निर्माण कार्य में एक बड़ा हिस्सा धंस गया है. स्थानीय स्तर पर कामकाज देख रहे अधिकारी इसे नदी की सामान्य प्रक्रिया करार दे रहे हैं.

परियोजना के तहत चल रहा है निर्माण कार्य
जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष नारायणी नदी के हुए तेज कटान को लेकर इस वर्ष शासन ने अमवाखास बंधे के 7.750 किमी से 7.810 किमी के जमीन पर तीन करोड़ आठ लाख की लागत से रिवेटमेंट, उस पर बीस मीटर के अंतराल पर टीथ और आर.सी.सी. परक्युपाइन लगवाने की परियोजना स्वीकृत की गयी है. वहीं विभाग की मानें तो इस परियोजना का कार्य करीब पूरा कर लिया गया है.

बारिश ने खोली पोल
पिछले चौबीस घण्टे के दौरान हुई तेज बरसात मे पूरे बचाव कार्य की पोल खुलकर सामने आ गई है. जानकारों की मानें तो चल रहे कार्य में रिवेटमेंट का टीथ और रिवेटमेंट का अगला हिस्सा काफी हद तक धंसा नजर आ रहा है. इस कारण रिवेटमेंट के बीच अच्छा खासा गैप दिखाई दे रहा है. जानकार बता रहे हैं कि मौके पर डाले गए बड़े पत्थरों का वायर क्रेट का जो एक घन मीटर का मानक है, उसे पूरा नहीं किया गया है. बारिश के कारण ही हल्के मिट्टी में लगाए गए बोर्ड भी जहां-तहां गिरे पड़े हैं.

लोगों का आरोप है कि
विभाग के अधिकारियों की योजना के मुताबिक तीन दिन पूर्व निरीक्षण के दौरान जलशक्ति मंत्री डॉ महेंद्र सिंह द्वारा ज्यादा समय नारायणी नदी की आरती व पूजा में निकल गया, वो पूरा ध्यान अपना बचाव कार्य के निरीक्षण पर दे ही नहीं पाए. सहायक अभियंता हरिशंकर पांडेय का कहना है कि रिवेटमेंट नहीं धंसा है. रिवेटमेंट का एप्रन लांच हुआ है. नदी चलेगी तो ऐसा होगा ही. उसका नाम ही है लांचिंग एप्रन और वह लांच होता है, इसमें कोई खतरा नहीं है.

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