कुशीनगर: आयुर्वेद पद्धति को बढ़ावा देने और लोगों की सुविधा का ख्याल रखते हुए प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में जुटी हुई है. इसी को लेकर दो साल पहले विकास भवन कैम्पस में राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय की स्थापना कराई गई थी. लेकिन, अफसरों और जिम्मेदारों की अनदेखी से अस्पताल लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पा रहा है. इस अस्पताल पर डॉक्टर की तैनाती होते हुए भी डॉक्टर नदारद रहते हैं. मजबूरी में फार्मासिस्ट लोगों का इलाज करता है.
जिले में 42 राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल है संचालित
जिले में 42 राजकीय आयुर्वेदिक और दो यूनानी चिकित्सालय संचालित हैं. लेकिन, मात्र 17 अस्पतालों पर डॉक्टरों की तैनाती है. अन्य अस्पताल फार्मासिस्ट और वार्ड ब्वाय के भरोसे चल रहे हैं. ऐसे में मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल पा रहा है. विभागीय अफसरों की अनदेखी के कारण अधिकांश आयुर्वेदिक अस्पतालों का ताला नहीं खुलता है.
किराये के भवन में 13 अस्पताल
जिला में 13 आयुर्वेदिक अस्पताल किराए के भवन में संचालित हो रहे हैं. इसमें मगहरा, रावतपार अमेठिया, बैरौना, बरियारपुर, लार रोड, मझौलीराज, बढ़या हरदो, श्रीनगर, भोसिमपुर, रायबारी, भटनी, बरडीहा शहर के चटनी गड़ही के पास शामिल हैं. इसके अलावा मदनपुर और शहर के खरजरवा में यूनानी अस्पताल संचालित होता है. वहीं इस दौरान आयुर्वेद अस्पताल पर तैनात फार्मासिस्ट उपेन्द्र मणि त्रिपाठी का कहना था कि जब डॉक्टर साहिबा लम्बी छुट्टी पर चली जाती है तो विभाग के आदेश पर मजबूरी में मरीजों का इलाज करना पड़ता है.