कुशीनगर: ग्रामीण इलाकों मे महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए योगी सरकार ने महिला मेटो को रखने का फैसला लिया था. महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना में इनकी भूमिका अहम रखी गयी थी. मनरेगा महिला मेट उपेक्षा की शिकार हो गईं हैं. कुशीनगर की महिला मेट ने शुक्रवार को जिलाधिकारी कार्यालय पर ज्ञापन देकर अधिकारियों को अपनी समस्याओं से अवगत कराया.
बता दें कि मनरेगा महिला मेटो की नियुक्ति लगभग दो साल पहले हुई थी. इन गांवो में ग्राम रोजगार सेवकों का अभाव है. वहां, महिला मेटो की भूमिका अहम है. इसमें प्रति 20 मनरेगा मजदूरों पर एक महिला मेट नियुक्त की गई थी लेकिन, कुशीनगर में महिला मेटो को आज भी काम नही मिल रहा है. ग्रामप्रधान और जिम्मेदारों ने 20 से नीचे के मजदूरों का मस्टरोल जारी कर दिया है. 20 मजदूर की संख्या न होने से महिला मेट को काम नही मिल रहा है. लगभग दो सालों पहले हुई नियुक्ति के बाद भी यह महिलाएं बेरोजगारी से जूझ रही है. शुक्रवार को महिला मेट ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर अधिकारियों से अपनी 3 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन दिया.
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जिले के महिला मेटो की प्रान्तीय उपाध्यक्ष शशिकला सिंह ने बताया कि हम लोग नियुक्ति के बाद भी बेरोजगार है क्योंकि, ब्लॉक से प्रधान और गांव के प्रधान से ब्लॉक पर काम मांगने के लिए दौड़ाया जाता है. अगर 20 मजदूर लगेंगे तब हम महिला मेट की उपस्थिति मानी जाएगी. इसमें हम मजदूरों की सुविधाओं और हाजिरी का लेखा-जोखा रखते हैं. इस काम के लिए 350 रुपये की दैनिक मजदूरी निर्धारित है. हमारे काम से प्रधान और जिम्मेदार गड़बड़ी नही कर पाते इसलिए, हम लोगों को काम नही देते. इसके लिए वह मजदूरों के लिए जारी मस्टरोल में 20 मजदूरों की एक साथ संख्या होने ही नही देते. चाहे उस साइट पर 100 भी मजदूर क्यो न लगे हो. इस कारण हम बेकाम हो गए हैं.
महिला मेट की जिलाध्यक्ष रीमा ने बताया कि हमने ज्ञापन सौंपे है. हमारी मांग है कि हमे निर्धारित मानदेय मिले. हमे ब्लाक कर्मी में नियुक्त किया जाए. 20 मजदूरों की लिमिट हटाकर बिन महिला मेट के हस्ताक्षर के मस्टरोल जारी न किया जाए. हमे बेहतर काम के लिए सरकार स्मार्टफोन भी उपलब्ध कराएं.
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