ETV Bharat / state

कुशीनगर: बिना दहेज के रचाई शादी, समाज को दिखाया आइना

कुशीनगर के विशनपुरा की स्वाती जायसवाल से बिना दहेज की शादी करके देवरिया के राजेश जायसवाल ने लालची समाज को आइना दिखाने का काम किया है. वहीं, शादी भी एक मंदिर में बिल्कुल साधारण तरीके से की.

Etv Bharat
कुशीनगर के विशुनपुरा में बिना दहेज के शादी
author img

By

Published : Aug 8, 2022, 1:53 PM IST

कुशीनगर: जिले के विशुनपुरा थाना क्षेत्र के दुदही निवासी एक परिवार ने दहेज लोभी समाज को आइना दिखाया है. दुल्हन की मां को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का पता चलने के बाद पिता ने लड़के वालों से बेटी की तय शादी न कर पाने की बात कही. इसके बाद वर पक्ष ने नए रिश्तेदार के परिवार पर आए संकट में हर तरह से साथ देने का वादा किया और बीती 5 अगस्त को तय तारीख से पहले बिना दहेज और साधारण तरीके से मंदिर में विवाह किया. लड़के वालों की इस पहल की हर कोई प्रसंशा कर रहा है. वहीं, लड़की के पिता और परिवार ऐसे रिश्तेदार पाकर काफी खुश हैं.

अक्सर दहेज के लिए बेटियों के दरवाजे से बारात लौटने समाज में विशुनपुरा थाना क्षेत्र के दुदही गोला बाजार का एक परिवार मिसाल बन गया है. दुदही के रहने वाले नरेंद्र जायसवाल ने अपने छोटे बेटे दीपक जायसवाल का विवाह देवरिया के राघव नगर निवासी सुशील जायसवाल की बेटी स्वाति साथ तय किया था. दोनों परिवार ने बीते मार्च में बड़े धूमधाम से दोनों की सगाई की थी. 8 दिसम्बर को दोनों के विवाह का शुभ मुहूर्त तय किया गया. लेकिन, नियति को कुछ और ही मंजूर था.

ये भी पढ़ें- हाईस्कूल और इंटर के छात्रों को रोजगार के लिए ऐसे तैयार करेगी योगी सरकार, ये है योजना

10 दिन पहले लड़की की मां इंदु देवी के सीने में तेज दर्द हुआ. उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां जांच में कैंसर बीमारी की डॉक्टरों ने पुष्टि की. छोटी सी पारचून की दुकान चलाने और बच्चों को पढ़ाकर घर का खर्च चलाने वाले लड़की के पिता को झंकझोर कर रख दिया. पत्नी की बीमारी का इलाज दिसंबर में बेटी के विवाह में बांधा बन गया. मजबूर बेटी का बाप सुशील जायसवाल एक दिन लड़के के घर दुदही पहुंचा. सुशील ने लड़कों वालों से पत्नी के इलाज के कारण वादे का उपहार तो दूर अपनी बेटी की शादी का खर्च भी उठा पाने में असमर्थता जाहिर की.

ये भी पढ़ें- राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को CM योगी ने दी शुभकामनाएं

इसके बाद नरेंद्र जायसवाल, उनकी पत्नी और उनका बड़ा बेटा राजेश ने होने वाली बहु के परिवार वालों के साथ खड़े रहने का निर्णय लिया. वर पक्ष दूसरा शुभ मुहूर्त 5 अगस्त की लग्न पत्रिका लेकर देवरिया पहुंचे और बिना कोई उपहार लिए विवाह करने की बात कही. इसके साथ ही लड़के वालों ने बीमारी के इलाज में भी सहयोग करने की इच्छा जताई.

नरेंद्र जायसवाल का यह फैसला सुनते ही सुशील जायसवाल और उनका परिवार भावुक हो गया. इसके बाद 5 अगस्त को बिना किसी उपहार के सिधुवा मंदिर में विवाह संपन्न हुआ. इस दहेज लोभी समाज में नरेंद्र जायसवाल की और उनके परिवार की लोगों की इस सहृदयता ने पूरे नगर पंचायत का दिल जीत लिया. हर तरफ इनकी चर्चा हो रही है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

कुशीनगर: जिले के विशुनपुरा थाना क्षेत्र के दुदही निवासी एक परिवार ने दहेज लोभी समाज को आइना दिखाया है. दुल्हन की मां को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का पता चलने के बाद पिता ने लड़के वालों से बेटी की तय शादी न कर पाने की बात कही. इसके बाद वर पक्ष ने नए रिश्तेदार के परिवार पर आए संकट में हर तरह से साथ देने का वादा किया और बीती 5 अगस्त को तय तारीख से पहले बिना दहेज और साधारण तरीके से मंदिर में विवाह किया. लड़के वालों की इस पहल की हर कोई प्रसंशा कर रहा है. वहीं, लड़की के पिता और परिवार ऐसे रिश्तेदार पाकर काफी खुश हैं.

अक्सर दहेज के लिए बेटियों के दरवाजे से बारात लौटने समाज में विशुनपुरा थाना क्षेत्र के दुदही गोला बाजार का एक परिवार मिसाल बन गया है. दुदही के रहने वाले नरेंद्र जायसवाल ने अपने छोटे बेटे दीपक जायसवाल का विवाह देवरिया के राघव नगर निवासी सुशील जायसवाल की बेटी स्वाति साथ तय किया था. दोनों परिवार ने बीते मार्च में बड़े धूमधाम से दोनों की सगाई की थी. 8 दिसम्बर को दोनों के विवाह का शुभ मुहूर्त तय किया गया. लेकिन, नियति को कुछ और ही मंजूर था.

ये भी पढ़ें- हाईस्कूल और इंटर के छात्रों को रोजगार के लिए ऐसे तैयार करेगी योगी सरकार, ये है योजना

10 दिन पहले लड़की की मां इंदु देवी के सीने में तेज दर्द हुआ. उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां जांच में कैंसर बीमारी की डॉक्टरों ने पुष्टि की. छोटी सी पारचून की दुकान चलाने और बच्चों को पढ़ाकर घर का खर्च चलाने वाले लड़की के पिता को झंकझोर कर रख दिया. पत्नी की बीमारी का इलाज दिसंबर में बेटी के विवाह में बांधा बन गया. मजबूर बेटी का बाप सुशील जायसवाल एक दिन लड़के के घर दुदही पहुंचा. सुशील ने लड़कों वालों से पत्नी के इलाज के कारण वादे का उपहार तो दूर अपनी बेटी की शादी का खर्च भी उठा पाने में असमर्थता जाहिर की.

ये भी पढ़ें- राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को CM योगी ने दी शुभकामनाएं

इसके बाद नरेंद्र जायसवाल, उनकी पत्नी और उनका बड़ा बेटा राजेश ने होने वाली बहु के परिवार वालों के साथ खड़े रहने का निर्णय लिया. वर पक्ष दूसरा शुभ मुहूर्त 5 अगस्त की लग्न पत्रिका लेकर देवरिया पहुंचे और बिना कोई उपहार लिए विवाह करने की बात कही. इसके साथ ही लड़के वालों ने बीमारी के इलाज में भी सहयोग करने की इच्छा जताई.

नरेंद्र जायसवाल का यह फैसला सुनते ही सुशील जायसवाल और उनका परिवार भावुक हो गया. इसके बाद 5 अगस्त को बिना किसी उपहार के सिधुवा मंदिर में विवाह संपन्न हुआ. इस दहेज लोभी समाज में नरेंद्र जायसवाल की और उनके परिवार की लोगों की इस सहृदयता ने पूरे नगर पंचायत का दिल जीत लिया. हर तरफ इनकी चर्चा हो रही है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.