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सेप्टिक टैंक हादसा: अगर समय से पहुंच जाती होती एंबुलेंस तो बच सकती थी चार लोगों की जान

कुशीनगर जिले में सेप्टिक टैंक में गिरे पांच में से चार लोगों की मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि सूचना के बाद भी एंबुलेस बहुत देर से पहुंची, अगर एंबुलेंस पहुंच जाती तो सभी की जान बच सकती थी.

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नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र
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Published : May 28, 2023, 8:36 PM IST

एंबुलेंस सेवा लापरवाही नहीं बरतती तो बच जाती जान.

कुशीनगरः जिले के ग्रामीण क्षेत्र आज भी सिर्फ कागजी दावों में ही बेहतर हो पाए हैं. यहां इमरजेंसी में आज भी समय पर सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं. जिसका उदहारण रविवार को सुबह 10 बजे सब के सामने आ गया, जब सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान पांच लोगों की हालत गंभीर हो गयी. इनमें से दो लोगों ने एंबुलेंस के इंतजार में मौके पर ही दम तोड़ दिया, जबकि दो लोगों को एंबुलेंस सेवा न मिलने पर पुलिस अपनी गाड़ी से लेकर अस्पताल पहुंची, लेकिन समय पर इलाज न मिला और उन दोनों की भी मौत हो गई. वहीं, एक की जान बची है.

मामला नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के बहोरारामनगर गांव का है. गांव के पूर्व प्रधान चौथी प्रसाद ने बताया कि गांव के खपरदिक्का टोला में रविवार को शौचालय का टैंक साफ किया जा रहा था. इस दौरान टैंक में जहरीली गैस की चपेट में आने से नंदू, नितेश, आनंद, दिनेश व राजकुमार की हालत खराब हो गई. सभी को लगभग जीवित निकाला गया था. गांव वाले ने 112 व 108 नंबर पर फोन करते रहे, लेकिन एंबुलेंस मौके पर नहीं पहुंची. ग्रामीणों के मुताबिक, तब तक नंदू और नितेश की मौत हो चुकी थी.

आपको बता दें कि नियमों के मुताबिक एंबुलेंस के रिस्पॉन्स का समय 14 मिनट है, जबकि एंबुलेंस सूचना के एक घंटे बाद पहुंच पाई. फिलहाल पुलिस ने सभी को अपने निजी वाहन से अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने नंदू और नितेश को मृत घोषित कर दिया. वहीं, आनन्द और दिनेश को जिला अस्पताल रेफर कर दिया. जिला अस्पताल में इलाज के दौरान आनन्द और दिनेश ने भी दम तोड़ दिया. वहीं, राजकुमार सुरक्षित हैं. एंबुलेंस सेवा लापरवाही नहीं बरतती तो सबको समय पर उचित इलाज मिल जाता और सभी की जान बच सकती थी.

पढ़ेंः सेप्टिक टैंक में गिरने से पिता-पुत्र समेत 4 की मौत, सफाई के लिए उतरे शख्स को बचाने में गई जान

एंबुलेंस सेवा लापरवाही नहीं बरतती तो बच जाती जान.

कुशीनगरः जिले के ग्रामीण क्षेत्र आज भी सिर्फ कागजी दावों में ही बेहतर हो पाए हैं. यहां इमरजेंसी में आज भी समय पर सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं. जिसका उदहारण रविवार को सुबह 10 बजे सब के सामने आ गया, जब सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान पांच लोगों की हालत गंभीर हो गयी. इनमें से दो लोगों ने एंबुलेंस के इंतजार में मौके पर ही दम तोड़ दिया, जबकि दो लोगों को एंबुलेंस सेवा न मिलने पर पुलिस अपनी गाड़ी से लेकर अस्पताल पहुंची, लेकिन समय पर इलाज न मिला और उन दोनों की भी मौत हो गई. वहीं, एक की जान बची है.

मामला नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के बहोरारामनगर गांव का है. गांव के पूर्व प्रधान चौथी प्रसाद ने बताया कि गांव के खपरदिक्का टोला में रविवार को शौचालय का टैंक साफ किया जा रहा था. इस दौरान टैंक में जहरीली गैस की चपेट में आने से नंदू, नितेश, आनंद, दिनेश व राजकुमार की हालत खराब हो गई. सभी को लगभग जीवित निकाला गया था. गांव वाले ने 112 व 108 नंबर पर फोन करते रहे, लेकिन एंबुलेंस मौके पर नहीं पहुंची. ग्रामीणों के मुताबिक, तब तक नंदू और नितेश की मौत हो चुकी थी.

आपको बता दें कि नियमों के मुताबिक एंबुलेंस के रिस्पॉन्स का समय 14 मिनट है, जबकि एंबुलेंस सूचना के एक घंटे बाद पहुंच पाई. फिलहाल पुलिस ने सभी को अपने निजी वाहन से अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने नंदू और नितेश को मृत घोषित कर दिया. वहीं, आनन्द और दिनेश को जिला अस्पताल रेफर कर दिया. जिला अस्पताल में इलाज के दौरान आनन्द और दिनेश ने भी दम तोड़ दिया. वहीं, राजकुमार सुरक्षित हैं. एंबुलेंस सेवा लापरवाही नहीं बरतती तो सबको समय पर उचित इलाज मिल जाता और सभी की जान बच सकती थी.

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