कुशीनगरः मौनी अमावस्या पर पनियहवा रेल पुल के पास लगने वाले मां नारायणी सामाजिक कुंभ का इस बार आयोजन नहीं होगा. कोरोना के बढ़ते प्रभाव के कारण यह निर्णय लिया गया है. मेला क्षेत्र में स्थापित पानमती मन्दिर पर सोमवार को हुई आयोजन समिति की बैठक में यह तय हुआ. समिति के संयोजक ने बताया कि इस बार आयोजन समिति ने मां नारायणी के पवित्र जल को श्रद्धालुओं के घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की है.
घंटों चली बैठक
कोरोना के कारण पैदा हुए संकट को देखते हुये इस बार मां नारायणी सामाजिक कुम्भ में उमड़ने वाली भीड़ को नियंत्रित करने और स्नान आदि की व्यवस्था को लेकर सोमवार को घंटों बैठक चली. कुशीनगर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर और बिहार से लाखों श्रद्धालुओं इस मेले में आते हैं. लिए नारायणी नदी के किनारे बिहार और यूपी की सीमा पर स्थित पनियहवा में मौनी अमावस्या के दिन इस कुम्भ का आयोजन प्रतिवर्ष होता आया है.
मौनी आमावस्या का है विशेष महत्व
संत लक्ष्मणदास ने कहा कि हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या के दिन मनुष्य के मौन होकर गंगा, यमुना, नारायणी या अन्य पवित्र नदियों, जलाशय अथवा कुंड में स्नान करने का विशेष महत्व है. माघ मास में होने वाले स्नान का सबसे महत्वपूर्ण पर्व अमावस्या ही है. इस दिन स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है.
चरणबद्ध तरीके से होगा जल वितरण
सामाजिक कुम्भ आयोजन समिति के संयोजक मनोज कुमार पांडेय ने बताया कि धर्म, संस्कृति, पर्यटन और नारायणी के महत्व का संदेश देने के लिए मां नारायणी सामाजिक कुंभ का आयोजन होता है. कोरोना संकट को देखते हुए सामाजिक कुंभ के कार्यकर्ता 29 नवम्बर से 8 फरवरी तक कुशीनगर, महराजगंज और बिहार के कुछ क्षेत्र में चरणबद्ध ढंग से नारायणी नदी के पवित्र जल को मंदिरों और परिवारों तक पहुचाएंगे. पहले दिन संतों के द्वारा जल और शालिग्राम अयोध्या ले जाकर प्रमुख मंदिरों में अर्पित किया जाएगा. इसके बाद प्रमुख स्थानों पर जल वितरित किया जाएगा.
इस अवसर पर बालकदास जंगबहादुर दास, प्रवीण गुंजन, रोशनलाल भारती, शशिकान्त, प्रभाकर पान्डेय, मनोहर जायसवाल, जयप्रकाश सिंह, पिंटू मिश्रा, सुनील यादव, विकास सिंह, बिरेन्दर, राहुल मिश्रा, अनिल मिश्रा आदि लोग उपस्थित थे.