कुशीनगरः जिले में अगल-बगल के दो गांव ऐसे हैं, जहां सरकार की योजनाएं धरातल पर नजर आती हैं. तमकुहीराज विकास खण्ड के लतवा मुरलीधर और लतवाजीत ग्रामसभा (2015 के पूर्व में एक ही ग्राम सभा) में मूलभूत सुविधाओं से जुड़ी सारी योजनाएं जमीन पर नजर आ रही हैं. ग्रामीणों की मानें तो ऐसा पिछले एक दशक में ग्राम सभाओं के निर्वाचित प्रधानों के सकारात्मक प्रयास से संभव हो सका है.
तमकुहीराज तहसील क्षेत्र में वर्ष 1995 में राजस्व ग्राम लतवाजीत का ग्राम पंचायत लतवा मुरलीधर में विलय हो गया और ग्राम पंचायत लतवा मुरलीधर के तौर पर एक ही प्रधान चुना जाने लगा था, लेकिन वर्ष 2015 में जनंसख्या बढ़ने पर दोनों ग्राम सभा फिर अलग-अलग हो गए और उसी आधार पर उनका चुनाव भी हुआ. भले ही अब यह दोनों ग्राम सभाएं अलग-अलग हो गई हैं, लेकिन निरन्तर चले विकास कार्यों की धमक यहां देखने को मिल रही है.
कौन-कौन रहा ग्राम प्रधान1995 में ग्राम पंचायत लतवा मुरलीधर के पहले ग्राम प्रधान बिंदेश्वरी गुप्ता बने. उसके बाद वर्ष 2000 में शम्भू यादव, 2005 में चम्पा देवी पत्नी श्रदानन्द भार्गव, 2010 में रजनीश कुमार राय और 2015 में अलग-अलग हुए चुनाव में लतवा मुरलीधर से शम्भू यादव और लतवाजीत से घनश्याम गुप्ता प्रधान चुने गए.
ये हैं सुविधाएं दोनों ग्रामसभाएं जब संयुक्त थीं तो ग्राम पंचायत लतवा मुरलीधर ग्रामसभा में बैठक के लिए ग्रामसदन बनाया गया. फर्श पर कार्पेट और उसमें बैठने के लिए लगी कतारबद्ध कुर्सियां किसी को भी आकर्षित करती हैं. ग्रामप्रधान तथा अधिकारियों के बैठने के लिए अलग से कुर्सी और पोडियम बना हुआ है. उक्त ग्रामसदन के बगल के एक कमरे में पुस्तकालय और एक कमरे में जिम (व्यायामशाला) भी स्थापित किया गया है. ग्रामसभा में गैस एजेंसी, पूर्वांचल बैंक का शाखा, शवदाह गृह, बाउंड्रीवाल सहित कब्रिस्तान, विवाह भवन के साथ-साथ एएनएम सेंटर निर्मित हैं. इस ग्राम पंचायत में पशु अस्पताल, जूनियर हाईस्कूल, प्राथमिक विद्यालय, ट्यूबवेल आदि पूर्व से ही स्थापित हैं.
मूलभूत सुविधाओं से लैश ग्राम पंचायत लतवा मुरलीधर जब वर्ष 2015 में दो भागों में विभाजित हुआ, तो जूनियर हाई स्कूल, ग्रामसदन, पुस्तकालय और व्यायामशाला नवसृजित लतवाजीत ग्रामसभा के हिस्से में चला गया. ग्रामसभा अलग होने के बाद दोनों ग्रामसभाओं में आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण हुआ है.
क्या कहते हैं प्रधान प्रधान शम्भू यादव और घनश्याम गुप्ता ने बताया कि उनका प्रयास है कि ग्राम सभा विकास का नया आयाम स्थापित करे. गांव में स्थापित सरकारी विद्यालय को मॉडल स्कूल के रूप में विकसित करने के लिए प्रयासरत हैं. स्वच्छता के दृष्टिकोण से दोनों ग्रामसभाएं शौचालय से लगभग संतृप्त हो चुकी हैं, लेकिन अभी भी इन दोनों ग्रामसभाओं में बहुत सारा विकास होना बाकी है, जो समय के साथ पूरा कराने का प्रयास होगा.