कुशीनगर: जिले के खड्डा क्षेत्र स्थित रामपुर गोनहा गांव में पिछले कई वर्षों से चल रही चकबंदी प्रक्रिया के बीच क्षेत्रीय विधायक की ओर से किए गए एक जमीन के बैनामे पर ग्रामीणों ने सवाल खड़ा कर दिया है. चकबंदी प्रक्रिया के बीच हुए जमीन बैनामे के बारे में स्थिति स्पष्ट करने और मामले से जुड़ी विभिन्न पहलुओं पर ईटीवी भारत ने वरिष्ठ अधिवक्ता जगदीश लाल श्रीवास्तव ने खास बातचीत की.
सवाल- कुशीनगर में कई गांवों में वर्षों से चकबंदी लम्बित होने का कारण क्या है?
जवाब - जिम्मेदार अधिकारियों को चकबंदी ने नियमों की जानकारी कम या न के बराबर होती है, लेकिन न्यायिक प्रकिया और पत्रावलियों के अनुसार निरतारण के अधिकार दे दिए गए हैं. यह एक कारण बड़ा कारण है विवाद निस्तारण में देरी की. दूसरा कारण है कि अधिकारियों का लोगों की समस्या समय पर सुनने न बैठना, जिससे दूर-दराज के आए लोगों को निराश होना पड़ता हैं. इसी वजह से कभी-कभी ये अधिकारी पैसे लेकर कैमरा ट्रायल कर गलत आदेश दे देते हैं.
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सवाल - खड्डा तहसील के रामपुर गोनहा में चकबंदी लंबित हैं, क्या वहां जमीन खरीदी-बेची जा सकती है और उस पर पक्का निर्माण हो सकता हैं?
जवाब - सिलिंग की जमीन भूमिहीनों को बांटने के लिए होती हैं. उसकी खरीद बेच नहीं की जा सकती, लेकिन भू-माफिया राजस्व कर्मचारियों और चकबंदी अधिकारियों से मिलकर सिलिंग की जमीनों पर फर्जी एंट्री करा लेते हैं. चकबंदी चल रहे गांवों में चको एडजेस्टमेंट में बाधक होता हैं. जिस गांव मे चकबंदी प्रक्रिया होती है, वहां चक एडजेस्टमेंट होते रहते हैं. कोई अगर उसमें पक्का निर्माण करता है तो वहां का भौगोलिक नेचर बदल जाता है, जिससे चक एडजस्टमेंट नहीं होता है. इसी वजह से जहां चकबंदी का काम होता है, वहां पक्का निर्माण नहीं हो सकता है.
सवाल - कानून लचर है या कर्मचारी और अधिकारी?
जवाब - कानून तो सख्त है, लेकिन अधिकारी गैर जिम्मेदार हैं. इनके कारण ही सारी व्यवस्था बिगड़ जाती है. सरकार और चकबंदी सचिव से इन पर शिकंजा कसते हुए न्यायालय के आदेशनुसार कार्य करने के निर्देश दे.