कुशीनगर: पिछड़ी जाति का फर्जी प्रमाणपत्र बनवाकर आरक्षित पद पर निर्वाचित हुई जनपद के कप्तानगंज नगर पंचायत अध्यक्ष आभा गुप्ता की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. विकास के नाम पर करोड़ों रुपये के धन का बंदरबांट करने वाली कप्तानगंज नगर पंचायत अध्यक्ष आभा गुप्ता का जाति प्रमाण पत्र राज्यस्तरीय कमेटी ने भी गहन जांच के बाद निरस्त कर दिया है. कमेटी ने कूट रचना कर गलत जाति प्रमाण पत्र जारी कराने वालों में शामिल लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के भी निर्देश जिला समाज कल्याण अधिकारी को दिए हैं.
नगर पंचायत अध्यक्ष कप्तानगंज आभा गुप्ता की फर्जी जाति प्रमाणपत्र पाए जाने पर जिलाधिकारी गोरखपुर ने इनकी जाति प्रमाणपत्र को पहले ही निरस्त कर दिया था, लेकिन अपनी गलती पर पर्दा डालने व अपने कार्यकाल का समय बिताने के लिए आभा गुप्ता ने मामले को राज्य स्तरीय कमेटी के समक्ष चुनौती देकर बतौर अध्यक्ष सरकारी धन का बंदरबांट करने मे जुटी रही. सूत्र बताते हैं कि आभा गुप्ता इस गुमान में थी कि जब तक राज्य स्तरीय कमेटी उनके जाति प्रमाणपत्रों की जांच करेगी. तब तक उनका कार्यकाल खत्म हो चुका रहेगा. इसके बाद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी. जैसा कि अध्यक्ष आभा गुप्ता के पति दावा करते फिरते थे.
काबिलेगोर है कि कप्तानगंज की नगर पंचायत अध्यक्ष सीट पिछड़ी जाति की महिला के लिए आरक्षित थी. पिछड़ी जाति के प्रमाण पत्र पर आभा गुप्ता चुनाव जीतकर अध्यक्ष पद पर काबिज हुईं. आभा गुप्ता ने खुद को कान्दू जाति का बताया था और इस संबंध में गोरखपुर से जारी प्रमाण पत्र भी जमा किया था. जबकि आभा गुप्ता स्वर्ण जाति की श्रेणी मे आने वाली अग्रहरि बिरादरी से ताल्लुक रखती हैं. फर्जी प्रमाण के आधार पर चुनाव जीतने के बाद आभा गुप्ता तो चेयरमैन की कुर्सी पर काबिज हो गई, लेकिन उनके प्रतिद्वंद्वी रहे नासिर ने उसी समय तमाम साक्ष्यों के साथ इसकी शिकायत कुशीनगर व गोरखपुर के जिलाधिकारी के साथ-साथ चुनाव आयोग से भी कर दी. नतीजतन जांच में शिकायत सही मिली और जिला स्तरीय जांच कमेटी ने आभा गुप्ता का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया है. इसके खिलाफ आभा गुप्ता ने मंडलीय स्तर पर अपील की, लेकिन मंडलीय कमेटी ने भी जिला स्तरीय कमेटी के निर्णय को सही ठहराया.
जिला व मण्डल स्तरीय कमेटी के निर्णय को दिया चुनौती
जिला स्तरीय व मण्डलीय कमेटी के जांच में फर्जी प्रमाणपत्र के दोष सिद्ध होने के बाद आभा गुप्ता खुद का बचाव करने के लिए राज्यस्तरीय कमेटी में अपील की. राज्यस्तरीय कमेटी ने आभा के मायके से लेकर ससुराल तक के प्रमाण पत्र जुटाए. गहन जांच के बाद 17 मई को जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने का निर्णय दिया. साथ ही गलत जाति प्रमाण पत्र जारी करने वालों पर FIR दर्ज कराने का आदेश दिया है.
कमेटी के निष्कर्ष के मुताबिक आभा गुप्ता कान्दू जाति की नहीं, बल्कि अग्रहरी हैं. अग्रहरी सामान्य जाति की श्रेणी में है. राज्य स्तरीय कमेटी के इस निर्णय के बाद आभा गुप्ता की अध्यक्ष पद की कुर्सी पर तलवार लटकने लगी है, हालांकि आभा गुप्ता राज्य स्तरीय कमेटी के इस निर्णय से संतुष्ट नहीं है. वह इस आदेश के खिलाफ कोर्ट जाने की रास्ता तलाश रही है.
जानकारों का कहना है कि आभा गुप्ता इस मामले को कोर्ट में पहुंचाकर किसी तरह से अपना कार्यकाल पूरा करना चाहती थीं. वह इस गफलत हैं कि मामला कोर्ट में पहुंचने के बाद उनका कार्यकाल पूरा हो जाएगा तो फिर उनके खिलाफ कोर्ट से निर्णय आने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होगी.
क्या बोले समाज कल्याण अधिकारी ?
समाज कल्याण अधिकारी विपिन कुमार पांडेय ने कहा कि राज्य स्तर से भी आभा गुप्ता का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया है. इसे जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर दिशानिर्देश लिया जाएगा. उसी के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी.
इसे भी पढे़ं- प्रेमी से शादी करने को छात्रा ने बनवाया फर्जी प्रमाणपत्र, पिता ने कराया निरस्त