कुशीनगर: भारत में हिन्दू संस्कृति के सभी पर्व और त्योहार मनाने की अलग-अलग परंपरा और मान्यता है. पूर्वाचल, बिहार और झारखंड में भैया दूज के दिन गोधन कूटने की अनोखी परंपरा (unique tradition of godhan kutai) है. जी हां भैया दूज में जहां बहने भाई की लंबी उम्र के लिए दुआएं देती हैं. तो कहीं इस पर्व में भाइयों को बद्दुआ भी दी जाती है. इतना ही नहीं गालियां भी देती ताकि उनकी उम्र बढ़े. इस बार लगे सूर्यग्रहण के कारण दिवाली के तीसरे दिन जिले में यह त्योहार गुरुवार को मनाया गाय. लेकिन जिले के कुछ इलाकों में यह त्योहार बुधवार को ही मना दिया गया. वहीं, गोधन की कुटाई के बाद ही शादियों की लग्न मुहूर्त शुरू होता हैं.
दरअसल, कार्तिक माह के शुक्लपक्ष की द्वितीय तिथि को कुशीनगर और पूर्वांचल के क्षेत्रों में भैया दूज की जगह 'गोधन कूटने' नाम का पर्व (godhan kutai gfestival) मनाया जाता है. महिलाओं का मानना है कि ये परंपरा काफी पुरानी हैं. शुरुआत कृष्ण काल से मानी जाती हैं, जिसे पूरी श्रद्धा और विश्वास से मनाया जाता है. इस पूजा के बाद ही किसी की शादी का लग्न शुरू होता है.
इसी के चलते इस दिन गांव की महिलाएं और लड़कियां एक जगह इकठ्ठी हो गोबर जमा कर चौकोर आकृति बनाती हैं, जिसमे सांप - बिच्छू की भी आकृति बनाई जाती हैं. शुरुआत में इस आकृति को सजाया और पूजा किया जाता है. फिर डंडे से कूट दिया जाता है. इस दौरान महिलाएं अनोखा लोकगीत भी गाती हैं.