कुशीनगर: विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से धोखाधड़ी करने वाले गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया है. अवैध रुप से लोगों को विदेश भेजने के नाम पर ठगी करने वाला यह गिरोह अन्तर्राज्यीय स्तर पर सक्रिय था. पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए इस गिरोह के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया है. इनके पास से पीड़ितों से लिए गए साढ़े 3 लाख रुपयों के साथ पीड़ितों के पासपोर्ट, लग्जरी चार पहिया वाहन, मोबाईल फोन, मुहर, कंप्यूटर, बीजा और ऑफर लेटर बरामद किए गए हैं.
बता दें कि कोतवाली पडरौना और साईबर सेल की संयुक्त टीम ने जिले के अलग-अलग इलाकों से 6 अंतर्राज्यीय साईबर ठगों को गिरफ्तार किया है. इनमें देवरिया का अमजद करीम, कुशीनगर के निवासी असरफ, सोनू उर्फ शहबाज आलम, आशिक अंसारी, कलामुद्दीन और बिहार के गोपालगंज निवासी राजेश कुमार शाह को शामिल हैं. पुलिस ने गिरफ्तार अभियुक्तों के कब्जे से पीड़ितों के साढ़े 3 लाख रुपये नकद, दो चार पहिया वाहन, 9 मोबाईल फोन, 41 मोहर, 27 पासपोर्ट समेत, कंप्यूटर, प्रिन्टर, स्कैनर, रसीद बुक, रजिस्टर, बीजा, मेडिकल फिटनेस और 50 से अधिक ऑफर लेटर समेत अन्य सर्टिफिकेट्स बरामद किए हैं.
पुलिस अधीक्षक धवल जायसवाल ने बताया कि गिरफ्तार अभियुक्तों ने पूछताछ में बताया कि उनका एक ऑफिस है. वो अलग-अलग इलाकों में अपने एजेंट बनाते हैं. एक व्हाट्सएप ग्रुप सबको जोड़कर विदेश में नौकरी हेतु अलग-अलग पदों के विज्ञापन ग्रुप में भेजते हैं. फिर एजेंट अपने-अपने इलाकों से लोगों को विदेश में नामी-गिरामी कंपनियों में नौकरी दिलाने का भरोसा दिलाकर फार्म भरवाते हैं. फिर इंटरव्यू के लिए बुलाकर एजेंट के माध्यम से प्रति व्यक्ति 60 हजार रूपए जमा करवाते हैं.
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सभी व्यक्तियों को वीजा दिलाने हेतु सिक्योरिटी के तौर पर उनका पासपोर्ट जमा करवा लेते है. फिर लोगों को अच्छी सैलरी वाला ऑफर लेटर दिया जाता है. इसके बाद एयर टिकट, मेडिकल फिटनेट और अनुभव सर्टिफिकेट जल्दी बनाने का दबाव बनाकर एजेंट के माध्यम से और पैसा जमा कराया जाता है. पैसा जमा होने पर खुद ही सारे फर्जी सर्टिफिकेट्स बना दिए जाते हैं.
जब वो व्यक्ति विदेश भेजने का दबाव बनाता है तो ओमान में रह रहे अपने भाई इम्तियाज खान के माध्यम से ओमान का 30 दिनों वाला टूरिस्ट वीजा मंगवाकर उसे विदेश भेज देते हैं. वहां इम्तियाज के अनुभव सर्टिफिकेट के विपरीत मजदूरी में कुछ दिन काम दिला देता है. जब वीजा की अवधि पूरी हो जाती है तो उस व्यक्ति को बताया जाता है कि अब काम नहीं है.
कुछ व्यक्ति मन का काम न मिलने पर और कुछ टूरिस्ट वीजा की जानकारी होने पर खुद ही घर वापस आने को तैयार हो जाते हैं. वो वापस आने का खर्च स्वंय वहन करते हैं. इस पूरी प्रक्रिया में उनसे लिया गया पैसा वापस करने से बच जाता है. फिलहाल पुलिस का कहना है कि आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है. वहीं गिरफ्तारी टीम को सफलता के लिए 25-25 हजार रुपये का पुरस्कार दिया गया है.
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