कुशीनगर: 5 दिन पूर्व जिला अस्पताल में स्थापित आरटीपीसीआर लैब में एक साथ 20 सैंपलों की जांच पॉजिटिव आने के मामले में प्रतिदिन रोचकता बढ़ती जा रही है. मामले में एक तरफ जहां 20 में से 17 लोग खोजे नहीं मिल रहे हैं. वहीं मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद विभागीय घमासान तेज हुआ दिख रहा है.
बता दें कि 5 दिन पूर्व जिला अस्पताल में हाल ही में स्थापित आरटीपीसीआर लैब में विभिन्न जगहों से आई कोविड जांच के सैम्पल में से बीस लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. एक साथ बड़ी संख्या में कोविड मरीजों की बढ़ी संख्या की सूचना आम होने के बाद विभाग से लेकर शासन स्तर तक खलबली मच गई. इस मामले में विभागीय लिखापढ़ी के बीच जब सभी सैम्पलों की जांच पुनः कराए जाने की बात तय हुई, तो बताया गया कि मानवीय भूल के कारण प्रयोगशाला की एक सहायिका ने उक्त सैम्पलों को नष्ट करवा दिया है. इस सूचना के बाद विभागीय घमासान तेज हुआ और अन्ततः सीएमएस सहित एक दर्जन से अधिक लोगों पर सीएमओ ने पडरौना कोतवाली में मुकदमा दर्ज करवा दिया. वहीं इस मामले में मरीजों के भौतिक सत्यापन के लिए जब टीमों ने सम्बन्धित मोबाइल नम्बरों और पता आदि की छानबीन की तो उनमें से एक से भी न बात हो सकी और न ही कोई मौके पर मिला. 20 में से 17 कोविड मरीजों के गायब होने के मामले में छानबीन जारी है.
मामले में आरोपी बनाए गए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.एस के वर्मा ने कई सवाल के जवाब में पहले इतना कहा कि मुझसे कुछ न पूछिए, शासन की व्यवस्था के अनुसार आरटीपीसीआर लैब के संचालन का सारा जिम्मा मुख्य चिकित्सा अधिकारी का है. वही सारी बात बता सकते हैं.
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बुधवार को किए गए पड़ताल में पता चला कि शासन ने जिला अस्पताल में स्थापित आरटीपीसीआर लैब की क्षमता पूरे 24 घण्टे में 200 सैम्पलों की जांच करने की निर्धारित कर रखी है, जबकि मंगलवार की शाम तक लगभग 5000 के आसपास कोविड जांच के सैम्पल लैब तक पहुंचने की बात कही जा रही है. इसी बीच जिलाधिकारी ने कोविड की समीक्षा बैठक में कोविड जांच की रफ्तार तेज करने की बात कहकर और हलचल मचा दिया है.