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ये हैं कलियुग के श्रवण कुमार, माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर ले जा रहे चित्रकूट - कौशांबी समाचार

उत्तर प्रदेश के कौशांबी में एक युवक अपने माता-पिता की तीर्थयात्रा करने की इच्छा को पूरी करने के लिए उन्हें कांवड़ पर बैठाकर चित्रकूट लेकर जा रहा है. गांव वालों ने बैण्ड-बाजा के साथ उन्हें विदा किया.

कौशांबी का श्रवण कुमार
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Published : Oct 2, 2019, 4:05 PM IST

कौशांबी: श्रवण कुमार की कहानी तो आप सभी ने सुनी ही होगी. हम आपको मिलाते हैं कलियुग के श्रवण कुमार से जो अपने माता-पिता की इच्छा पूरी करने के लिए उन्हें कांवड़ पर बैठाकर दर्शन कराने चित्रकूट लेकर जा रहे हैं.

कौशांबी के श्रवण कुमार की कहानी.

कलियुग के श्रवण कुमार की कहानी-
सूबेदार एक बेहद गरीब परिवार के रहने वाले हैं. मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार और माता-पिता का भरण पोषण करते हैं. एक दिन अचानक उनके पिता भीमसेन ने चित्रकूट जाकर कामतानाथ के दर्शन करने की इच्छा जाहिर की. पैसे से मजबूर बेटे ने पिता की इच्छा पूरी करने के की ठान लिया. पैसों की तंगी के चलते वह अपने माता-पिता को गाड़ी से तीर्थयात्रा करवाने में असमर्थ थे. इसके लिए उन्होंने एक कांवड़ तैयार किया. मंगलवार को गांव के देवी देवताओं की पूजा पाठ कर अपने माता-पिता को कावड़ में बैठाकर चित्रकूट कामतानाथ के दर्शन करवाने के लिए रवाना हो गए.

क्या कहना है सूबेदार के पिता का-
सूबेदार के पिता भीम सिंह के मुताबिक उनकी इच्छा थी कि वह चित्रकूट जाकर कामतानाथ के दर्शन करें. गरीबी के कारण उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो पा रही थी. एक दिन उन्होंने अपनी इच्छा अपने बेटे को बताई तो बेटा कावड़ में बैठाकर चित्रकूट दर्शन करने के लिए लेकर जा रहा है. उन्हें उम्मीद है कि अब वह कामतानाथ के दर्शन कर पाएंगे.

कौशांबी: श्रवण कुमार की कहानी तो आप सभी ने सुनी ही होगी. हम आपको मिलाते हैं कलियुग के श्रवण कुमार से जो अपने माता-पिता की इच्छा पूरी करने के लिए उन्हें कांवड़ पर बैठाकर दर्शन कराने चित्रकूट लेकर जा रहे हैं.

कौशांबी के श्रवण कुमार की कहानी.

कलियुग के श्रवण कुमार की कहानी-
सूबेदार एक बेहद गरीब परिवार के रहने वाले हैं. मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार और माता-पिता का भरण पोषण करते हैं. एक दिन अचानक उनके पिता भीमसेन ने चित्रकूट जाकर कामतानाथ के दर्शन करने की इच्छा जाहिर की. पैसे से मजबूर बेटे ने पिता की इच्छा पूरी करने के की ठान लिया. पैसों की तंगी के चलते वह अपने माता-पिता को गाड़ी से तीर्थयात्रा करवाने में असमर्थ थे. इसके लिए उन्होंने एक कांवड़ तैयार किया. मंगलवार को गांव के देवी देवताओं की पूजा पाठ कर अपने माता-पिता को कावड़ में बैठाकर चित्रकूट कामतानाथ के दर्शन करवाने के लिए रवाना हो गए.

क्या कहना है सूबेदार के पिता का-
सूबेदार के पिता भीम सिंह के मुताबिक उनकी इच्छा थी कि वह चित्रकूट जाकर कामतानाथ के दर्शन करें. गरीबी के कारण उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो पा रही थी. एक दिन उन्होंने अपनी इच्छा अपने बेटे को बताई तो बेटा कावड़ में बैठाकर चित्रकूट दर्शन करने के लिए लेकर जा रहा है. उन्हें उम्मीद है कि अब वह कामतानाथ के दर्शन कर पाएंगे.

Intro:श्रवण कुमार की कहानी तो आप सभी ने सुनी ही होगी कि किस तरह वह अपने माता-पिता की सेवा करते थे। उन्हें कावड़ में बैठाकर तीर्थ यात्रा करवाने लेकर गए थे। लेकिन अगर हम कहें कि कलयुग में भी एक ऐसा ही श्रवण कुमार है। तो आप विश्वास नहीं करेंगे। लेकिन यह सच है। आज हम आपको कलयुग के एक ऐसे ही श्रवण कुमार के बारे में बताने जा रहे हैं। जो अपने माता-पिता को नवरात्रि के इस पावन दिन पर स्नान आदि करवाने के बाद का कावर में उन्हें बैठा कर चित्रकूट लेकर जा रहे हैं। कावड़ में माता-पिता को बैठा कर चित्रकूट कामतानाथ दर्शन करवाने ले जा रहे कलयुग के श्रवण कुमार समाज के उन लोगों को एक संदेश भी दे रहे हैं जो अपने माता पिता के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं करते रहते हैं।


Body:हम बात कर रहे हैं कौशांबी जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर स्थित हटवा रामपुर मडूकी के रहने वाले सूबेदार की। सूबेदार एक बेहद गरीब परिवार के रहने वाले हैं। मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार और माता-पिता का भरण पोषण करते हैं। एक दिन अचानक उनके पिता भीमसेन ने चित्रकूट जाकर कामतानाथ के दर्शन करने की इच्छा जाहिर की। पैसे से मजबूर बेटे ने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए ठान लिया। पैसों की तंगी के चलते वह अपने माता-पिता को गाड़ी से तीर्थ यात्रा करवाने में असमर्थ थे तथा 70 वर्षीय पिता भीमसेन और 65 वर्षीय माता रामकली ज्यादा दूर पैदल भी नहीं चल सकते थे। इसके लिए कलयुग के श्रवण कुमार सूबेदार ने अपने माता-पिता को कावड़ में बैठाकर गांव से 80 किलोमीटर दूर चित्रकूट कामतानाथ के दर्शन करवाने की ठानी। इसके लिए उन्होंने एक कावड़ तैयार किया। मंगलवार को अपने माता-पिता को नहला धुला नया कपड़ा पहना कर तैयार किया। गांव के देवी देवताओं की पूजा पाठ कर अपने माता-पिता को कावड़ में बैठाकर चित्रकूट कामतानाथ के दर्शन करवाने के लिए रवाना हो गए। इस दौरान उन्हें विदा करने के लिए गांव वालों की भीड़ इकट्ठा हो गई और गांव वालों ने बैण्ड बाजा के साथ उन्हें चित्रकूट की यात्रा के लिए विदा किया।


Conclusion:सूबेदार के मुताबिक एक दिन उसके पिता ने उससे चित्रकूट जाकर कामतानाथ जी के दर्शन करने की इच्छा जाहिर किया। पैसों के आर्थिक तंगी के चलते वह अपने पिता की इच्छा को अधूरा नहीं छोड़ना चाहता था। जिससे वह अपने पिता को कावड़ मैं बैठा कर चित्रकूट दर्शन कराने लेकर जा रहा है।

बाइट-- सूबेदार कलयुग का श्रवण कुमार

सूबेदार के पिता भीम सिंह के मुताबिक उनकी इच्छा थी वह चित्रकूट जाकर कामतानाथ के दर्शन करें। पर गरीबी के कारण उनकी हर इच्छा पूरी नहीं हो पा रही थी। एक दिन उन्होंने ही अच्छा अपने बेटे को बताई और आज उनके बेटे ने कावड़ में बैठाकर चित्रकूट दर्शन करने के लिए लेकर जा रहा है। उन्हें उम्मीद है कि अब वह चित्रकूट में जाकर कामतानाथ के दर्शन कर पाएंगे।

बाइट-- भीमसेन सूबेदार के पिता
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