कौशांबी: श्रवण कुमार की कहानी तो आप सभी ने सुनी ही होगी. हम आपको मिलाते हैं कलियुग के श्रवण कुमार से जो अपने माता-पिता की इच्छा पूरी करने के लिए उन्हें कांवड़ पर बैठाकर दर्शन कराने चित्रकूट लेकर जा रहे हैं.
कलियुग के श्रवण कुमार की कहानी-
सूबेदार एक बेहद गरीब परिवार के रहने वाले हैं. मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार और माता-पिता का भरण पोषण करते हैं. एक दिन अचानक उनके पिता भीमसेन ने चित्रकूट जाकर कामतानाथ के दर्शन करने की इच्छा जाहिर की. पैसे से मजबूर बेटे ने पिता की इच्छा पूरी करने के की ठान लिया. पैसों की तंगी के चलते वह अपने माता-पिता को गाड़ी से तीर्थयात्रा करवाने में असमर्थ थे. इसके लिए उन्होंने एक कांवड़ तैयार किया. मंगलवार को गांव के देवी देवताओं की पूजा पाठ कर अपने माता-पिता को कावड़ में बैठाकर चित्रकूट कामतानाथ के दर्शन करवाने के लिए रवाना हो गए.
क्या कहना है सूबेदार के पिता का-
सूबेदार के पिता भीम सिंह के मुताबिक उनकी इच्छा थी कि वह चित्रकूट जाकर कामतानाथ के दर्शन करें. गरीबी के कारण उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो पा रही थी. एक दिन उन्होंने अपनी इच्छा अपने बेटे को बताई तो बेटा कावड़ में बैठाकर चित्रकूट दर्शन करने के लिए लेकर जा रहा है. उन्हें उम्मीद है कि अब वह कामतानाथ के दर्शन कर पाएंगे.