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कौशांबी जिला अस्पताल का हाल, मोबाइल टॉर्च की रोशनी में मरीजों का इलाज - योगी सरकार

यूपी के कौशांबी जिला अस्पताल में लापरवाही का मामला सामने आया है. ट्रांसफार्मर जल जाने की वजह से यहां बिजली व्यवस्था प्रभावित है. यहां के जिला अस्पताल में डॉक्टरों ने मरीज का इलाज मोबाइल के टॉर्च की रोशनी में कर दिया. बता दें कि जिला अस्पताल में पावर बैकअप की भी व्यवस्था है लेकिन वह भी लापरवाही का शिकार है.

कौशांबी जिला अस्पताल में लापरवाही.
कौशांबी जिला अस्पताल में लापरवाही.
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Published : Sep 16, 2020, 9:45 AM IST

कौशांबी: कोरोना वायरस से निपटने के लिए जहां एक ओर सरकार प्रदेश के अस्पतालों में हाईटेक व्यवस्था करने का दम भर रही है. वहीं दूसरी ओर अस्पतालों में पावर बैकअप जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिल रही हैं. ऐसा ही एक मामला यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद कौशांबी के जिला अस्पताल से सामने आया है. यहां मंगलवार को अस्पताल का ट्रांसफार्मर जल जाने की वजह से अस्पताल परिसर में अंधेरा फैला रहा. इस दौरान जिला अस्पताल में काफी देर तक मोबाइल की रोशनी में मरीजों का इलाज होता रहा. वहीं इस पूरे मामले में जिले के आला अधिकारी कुछ भी बोलने से कतराते नजर आए.

कौशांबी जिला अस्पताल में लापरवाही.
जनपद मुख्यालय मंझनपुर में 100 बेड का जिला अस्पताल बना हुआ है. जिला अस्पताल में मंगलवार को दोपहर के समय अचानक ट्रांसफार्मर जल गया, जिसकी वजह से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. जिला अस्पताल में पावर बैकअप की भी व्यवस्था है. इतना ही नहीं यहां हैवी रेगुलेटर सच के साथ जीपीएस की व्यवस्था की गई है, लेकिन लापरवाही के चलते बिजली जाते ही पूरी व्यवस्था ठप पड़ जाती है.

लापरवाही का आलम यह है कि मंगलवार को ट्रांसफार्मर जल जाने के बाद पश्चिम शरीरा थाना क्षेत्र के गढ़वा गांव के रहने वाले रामसिंह का इलाज डॉक्टरों ने मोबाइल की रोशनी में कर दिया. राम सिंह के परिजन राम भजन ने बताया कि राम सिंह अपनी बहन के यहां जा रहे थे. इस दौरान गांव के बाहर ही साइकिल से गिरकर उनका पैर फ्रैक्चर हो गया. इसके बाद उन्हें एंबुलेंस से जिला अस्पताल लाया गया लेकिन यहां की हालत यह है कि लाइट की कोई व्यवस्था नहीं है. इस कारण मरीज का इलाज मोबाइल के टार्च की रोशनी में किया जा रहा है. इस बारे में जब जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर केके मिश्रा से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कैमरे के सामने आने से इनकार कर दिया.

सूत्रों के मुताबिक, अस्पताल में डीजल का खेल लंबे समय से चल रहा है. डीजल बचाने के चक्कर में जनरेटर या तो देरी से शुरू किया जाता है या किया ही नहीं जाता. अस्पताल कर्मचारी डीजल खर्च करते हैं, लेकिन सिर्फ कागजों पर. वहीं इस पूरे मामले में जिले के आलाधिकारी कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं.

कौशांबी: कोरोना वायरस से निपटने के लिए जहां एक ओर सरकार प्रदेश के अस्पतालों में हाईटेक व्यवस्था करने का दम भर रही है. वहीं दूसरी ओर अस्पतालों में पावर बैकअप जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिल रही हैं. ऐसा ही एक मामला यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद कौशांबी के जिला अस्पताल से सामने आया है. यहां मंगलवार को अस्पताल का ट्रांसफार्मर जल जाने की वजह से अस्पताल परिसर में अंधेरा फैला रहा. इस दौरान जिला अस्पताल में काफी देर तक मोबाइल की रोशनी में मरीजों का इलाज होता रहा. वहीं इस पूरे मामले में जिले के आला अधिकारी कुछ भी बोलने से कतराते नजर आए.

कौशांबी जिला अस्पताल में लापरवाही.
जनपद मुख्यालय मंझनपुर में 100 बेड का जिला अस्पताल बना हुआ है. जिला अस्पताल में मंगलवार को दोपहर के समय अचानक ट्रांसफार्मर जल गया, जिसकी वजह से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. जिला अस्पताल में पावर बैकअप की भी व्यवस्था है. इतना ही नहीं यहां हैवी रेगुलेटर सच के साथ जीपीएस की व्यवस्था की गई है, लेकिन लापरवाही के चलते बिजली जाते ही पूरी व्यवस्था ठप पड़ जाती है.

लापरवाही का आलम यह है कि मंगलवार को ट्रांसफार्मर जल जाने के बाद पश्चिम शरीरा थाना क्षेत्र के गढ़वा गांव के रहने वाले रामसिंह का इलाज डॉक्टरों ने मोबाइल की रोशनी में कर दिया. राम सिंह के परिजन राम भजन ने बताया कि राम सिंह अपनी बहन के यहां जा रहे थे. इस दौरान गांव के बाहर ही साइकिल से गिरकर उनका पैर फ्रैक्चर हो गया. इसके बाद उन्हें एंबुलेंस से जिला अस्पताल लाया गया लेकिन यहां की हालत यह है कि लाइट की कोई व्यवस्था नहीं है. इस कारण मरीज का इलाज मोबाइल के टार्च की रोशनी में किया जा रहा है. इस बारे में जब जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर केके मिश्रा से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कैमरे के सामने आने से इनकार कर दिया.

सूत्रों के मुताबिक, अस्पताल में डीजल का खेल लंबे समय से चल रहा है. डीजल बचाने के चक्कर में जनरेटर या तो देरी से शुरू किया जाता है या किया ही नहीं जाता. अस्पताल कर्मचारी डीजल खर्च करते हैं, लेकिन सिर्फ कागजों पर. वहीं इस पूरे मामले में जिले के आलाधिकारी कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं.

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