कौशांबी: कोरोना वायरस के चलते इस बार सरकार ने धार्मिक आयोजनों पर रोक लगा रखी है, जिसके चलते इस बार लोग मोहर्रम की मजलिसों में शामिल नही हो पा रहे हैं. कौशांबी जिले के लोगों ने इसके लिए एक नायाब तरीका अपनाया है. वह इमाम दरगाहों में हो रही मजलिसों को ऑनलाइन प्रसारण कर रहे है, जिससे लोग अपने घरों में ही रह कर टीवी स्क्रीन के जरिये मजलिसों में शामिल हो रहे हैं. इसके लिये कुछ ख़ास लोग हैं, जिन्होंने यूट्यूब पर अपना चैनल बना कर हर मजलिसों का लाइव प्रसारण भी कर रहे हैं, जिससे सरकार के नियमों का पालन करते हुए वह मजलिसों में शामिल हो सकें.
मोहर्रम का चांद निकलने के साथ ही इस्लामिक कैलेंडर का नया साल भी शुरू हुआ है. इमामबाड़ा और शिया मुसलमानों के घरों मे सियाह परचम लहराने लगे, इमामबाड़े सजा दिए गए, और 'या हुसैन' की सदा गूंजने लगी. हालांकि इस बार कोरोना महामारी को रोकने के लिए धार्मिक स्थलों में सामूहिक आयोजन पर पाबंदी है. इसलिए इमामबाड़ा प्रबंधन की ओर से ऑनलाइन मजलिस आयोजित कर इंसानियत का संदेश दिया जा रहा है.
कौशांबी ज़िले में कोविड -19 की गाइड लाइन के हिसाब से इमाम बारगाहो में मोहर्रम की मजलिसे ऑनलाइन हो रही हैं. लोग अपने घरों में रह कर टीवी स्क्रीन के जरिये मज़लिसो में शामिल हो रहे हैं. इसके लिये कुछ ख़ास लोग हैं, जिन्होंने यूट्यूब पर अपना चैनल बना कर हर मजलिसों का लाइव प्रसारण कर रहे हैं. लोग घरों में रह कर ताबूत और अलम की ज़ियारत कर रहे हैं और मोहम्मद साहब को उनके नवासे का पुरसा दे रहे हैं.
आप को बता दें की शनिवार को मरहूम मुबारक हुसैन के इमामबाड़े में मजलिस हुई. मजलिस के बाद इमाम हुसैन का ताबूत निकाला गया, जिसकी जियारत लोगों ने ऑनलाइन टीवी स्क्रीन पर किया. घर पर मजलिस और जियारत करने वाले इमरान हैदर रिज़वी ने बताया कि हर वर्ष हम लोग जुलूसों में जा कर इमाम के ताबूत और ज़ुल्जन्ह कि जियारत किया करते थे. लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते प्रशासन ने जुलूस और ताज़ियदारी पर रोक लगा रखी है, जिसके कारण हम लोग घर पर ही रह कर ऑनलाइन मजलिस को सुनते हैं.