कौशांबी : उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विकास के दावे की एक बदरंग तस्वीर कौशांबी जिले में है. करोड़ों की लागत से बना एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मरीजों के इलाज से पहले ही बदहाल स्थिति में पहुंच गया. नेवादा ब्लाक के कनैली में अस्पताल गरीबों की जरूरत को देखते हुए बनाया गया था. निर्माण कार्य पूरा होने के बाद अस्पताल से एक दिन भी मरीजों की दवा मिलना तो दूर अस्पताल आज भी स्वास्थ्य महकमे को हैंडओवर तक नहीं हो सका.
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करोड़ों की लागत से बना अस्पताल हुआ खंडहर
प्राथमिकता स्वास्थ्य केंद्र कनैली को बनाने के लिए बसपा सरकार में तत्कालीन खेल मंत्री आरके चौधरी के अथक प्रयासों के बाद शासन से स्वीकृति मिली थी. प्रदेश में सपा सरकार के आने के बाद 2013 को काम शुरू कराया गया. 30 बेड का यह अस्पताल एक साल बाद सितंबर 2014 में तैयार हुआ. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के भवन को तैयार करने का जिम्मा जल निगम की शाखा सीएनडीएस को दिया गया.अस्पताल के लिए जल निगम की निर्माण शाखा सीएनडीएस को तीन किस्तों में डेढ़ करोड़ रुपये की धनराशि अवमुक्त की गई.
वो अस्पताल जो बनकर हुआ तैयार लेकिन नहीं हुआ शुरू
न्यू पीएचसी के नाम से बनकर तैयार हुई पीएचसी बिल्डिंग को स्वास्थ्य विभाग को सौंपने की तैयारी की गई. हैंडओवर से पहले स्वास्थ्य महकमे के तत्कालीन अफसर ने निरीक्षण किया तो भवन में घटिया सामग्री के प्रयोग की बात आई. इस पर तत्कालीन मुख्य चिकित्साधिकारी ने न्यू पीएचसी की भवन की गुणवत्ता को मानक के अनुरूप होने पर ही टेक ओवर करने की बात कह अस्पताल शुरू करने से मना कर दिया. तब से लेकर आज तक न तो अफसर इस ओर कोई ध्यान दे रहे हैं और न ही विकास की बात करने वाली बीजेपी सरकार. करोड़ों की लागत से बनाया अस्पताल खंडहर में तब्दील हो चुका है. चोर इस अस्पताल की खिड़कियां दरवाजे भी निकाल ले गए फिर भी न तो सरकार जगी न हो उनके अफसर.
इस अस्पताल को बनाने में दीवार का प्लास्टर, जमीन और छत में बेहद घटिया सीमेंट का इस्तेमाल हुआ है. जिससे बिल्डिंग विभाग को हैंडओवर नहीं हो सकी. खिड़की, दरवाजे और सुरक्षा के लिहाज से लगाए गये लोहे का सामान चोर उठा ले गए हैं. इसके कारण से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चालू नहीं हो सका. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का स्टाफ सीएचसी में बैठकर लोगों की अपनी सेवाएं दे रहा है. कार्यदायी संस्था को पत्र लिखा गया है.
-पीएन चतुर्वेदी, मुख्य चिकित्साधिकारी