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कौशांबी: फेसबुक के जरिए पैतृक गांव पहुंचे हैंड्रिक, गांव में विकास की जताई इच्छा - कौशांबी खबर

यूपी के कौशांबी जिले में माल्टा देश से लौटे भारतीय मूल के हैंड्रिग कालका ने स्कूल, सामुदायिक भवन के साथ स्कॉलरशिप की योजना बनाई है. हैंड्रिग कालका का पैतृक गांव कौशांबी जिले के कनवार गांव में है. उन्होंने सोशल मीडिया की मदद से पैतृक गांव का पता लगाया और उसे देखने के लिए वे कनवार गांव आए हुए हैं.

फेसबुक के जरिए पैतृक गांव पहुंचे हैंड्रिक
फेसबुक के जरिए पैतृक गांव पहुंचे हैंड्रिक.
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Published : Mar 13, 2020, 12:26 PM IST

कौशांबी: सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने एक माटी के लाल को उसकी जड़ों तक पहुंचा दिया. यूरोपीय महाद्वीप के छोटे से देश माल्टा में जन्मे भारतीय मूल के हेंड्रिक कालका कौशांबी में अपने पैतृक गांव पहुंचे. इस दौरान उन्होंने गांव के लोगों से मुलाकात की और अपने परिवार के बारे में जानकारी हासिल की. हेंड्रिक गांव के लोगों से मिलने के बाद तहसील प्रशासन के पास भी पहुंचे, जहां उन्होंने अपने परिवार के बारे में सरकारी दस्तावेज खोजने की कवायद शुरू की. हेड्रिक अपने गांव में अपने पुरखों की याद में रोजगार, शिक्षा में निवेश कर ग्रामीणों की जिंदगी में नया सबेरा लाना चाहते हैं.

फेसबुक के जरिए पैतृक गांव पहुंचे हैंड्रिक.

सिराथू तहसील के कनवार गांव से 1895 में अंग्रेज बड़ी संख्या में गिरमिटिया मजदूरों को अपने साथ सूरीनाम में ले गए. इसमें सीताराम लोध भी शामिल थे. तमाम यातनाएं झेलते हुए सीताराम ने अपने बच्चों और परिवार का भरण पोषण किया. सीताराम ही हेंड्रिक कालका के दादा थे. हैंड्रिक ने बताया कि जब वह 12 वर्ष के थे, तब उनके दादा का निधन हो गया था. बचपन में हैंड्रिक अपने दादा से पैतृक देश भारत और कौशांबी के कनवार गांव के बारे में सुनते आए थे. मेरे मन में हमेशा से अपने पुरखों की मिट्टी देखने , अपने लोगों से मिलने, जुड़ने की इच्छा थी.

हैंड्रिक माल्टा में एक कंपनी में डायरेक्टर के पद से रिटायर होने के बाद वह तीन मार्च को प्रयागराज आए हैं. यहां उनकी मदद पवन तिवारी नाम के व्यवसायी कर रहे हैं. हैंड्रिक कालका ने बताया कि प्रयागराज निवासी पवन तिवारी ने काफी मदद की है.

इसे भी पढ़ें- कौशाम्बी: दो पक्षों में खूनी संघर्ष, एक युवक की मौत

गांव में अपने दादा के नाम से स्कूल, सामुदायिक भवन के साथ स्कॉलरशिप की योजना बना रहे हैं. गांव के विकास के लिए एक रोड़ मैप बनाया जाएगा, जिससे युवाओं को रोजगार मिले और तरक्की के रास्ते खुलेंगे.
हैंड्रिक कालका, माल्टा के निवासी

कौशांबी: सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने एक माटी के लाल को उसकी जड़ों तक पहुंचा दिया. यूरोपीय महाद्वीप के छोटे से देश माल्टा में जन्मे भारतीय मूल के हेंड्रिक कालका कौशांबी में अपने पैतृक गांव पहुंचे. इस दौरान उन्होंने गांव के लोगों से मुलाकात की और अपने परिवार के बारे में जानकारी हासिल की. हेंड्रिक गांव के लोगों से मिलने के बाद तहसील प्रशासन के पास भी पहुंचे, जहां उन्होंने अपने परिवार के बारे में सरकारी दस्तावेज खोजने की कवायद शुरू की. हेड्रिक अपने गांव में अपने पुरखों की याद में रोजगार, शिक्षा में निवेश कर ग्रामीणों की जिंदगी में नया सबेरा लाना चाहते हैं.

फेसबुक के जरिए पैतृक गांव पहुंचे हैंड्रिक.

सिराथू तहसील के कनवार गांव से 1895 में अंग्रेज बड़ी संख्या में गिरमिटिया मजदूरों को अपने साथ सूरीनाम में ले गए. इसमें सीताराम लोध भी शामिल थे. तमाम यातनाएं झेलते हुए सीताराम ने अपने बच्चों और परिवार का भरण पोषण किया. सीताराम ही हेंड्रिक कालका के दादा थे. हैंड्रिक ने बताया कि जब वह 12 वर्ष के थे, तब उनके दादा का निधन हो गया था. बचपन में हैंड्रिक अपने दादा से पैतृक देश भारत और कौशांबी के कनवार गांव के बारे में सुनते आए थे. मेरे मन में हमेशा से अपने पुरखों की मिट्टी देखने , अपने लोगों से मिलने, जुड़ने की इच्छा थी.

हैंड्रिक माल्टा में एक कंपनी में डायरेक्टर के पद से रिटायर होने के बाद वह तीन मार्च को प्रयागराज आए हैं. यहां उनकी मदद पवन तिवारी नाम के व्यवसायी कर रहे हैं. हैंड्रिक कालका ने बताया कि प्रयागराज निवासी पवन तिवारी ने काफी मदद की है.

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गांव में अपने दादा के नाम से स्कूल, सामुदायिक भवन के साथ स्कॉलरशिप की योजना बना रहे हैं. गांव के विकास के लिए एक रोड़ मैप बनाया जाएगा, जिससे युवाओं को रोजगार मिले और तरक्की के रास्ते खुलेंगे.
हैंड्रिक कालका, माल्टा के निवासी

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