ETV Bharat / state

मशरूम की खेती कर किसान ने कायम की मिसाल - मशरूम की खेती के लाभ

सरकारी नीतियों, आवारा जानवरों और प्राकृतिक आपदा के चलते हो रहे नुकसान से एक ओर किसान खेती से मुंह मोड़ रहे है. वहीं कौशाबी जिले का एक युवा किसान मशरूम की खेती कर बढ़िया मुनाफा कमा रहा है. इस युवा किसान ने जलवायु की भ्रांति को मात देते हुए एक मिसाल कायम की है.

mashroom farming
मशरूम की खेती.
author img

By

Published : Jan 6, 2021, 10:56 PM IST

कौशांबीः किसान ने रेडियो में मशरूम की खेती के बारे में सुनकर उत्तराखंड जाकर खेती करने के गुण सीखें. इसके बाद वह सीमित संसाधनों में मशरूम की खेती कर बढ़िया मुनाफा कमा रहा है. किसान का कहना है कि उसने मशरूम की खेती कर तीन साल में लाखों रुपये कमा लिए हैं.

जानकारी देता किसान.

किसान ने बीटीसी की परीक्षा की है पास

सरसवां ब्लॉक का सिवरा गांव के रहने वाले बुद्ध सहाय ने 2012 में बीटीसी की परीक्षा पास की. कई सालों तक वह शिक्षक की नौकरी की तलाश में लगे रहे. सफलता नहीं मिलने पर उन्होंने खेती करना शुरू किया. पारंपरिक खेती से कोई मुनाफा नहीं मिलने से वह निराश नहीं हुए. एक दिन वह रेडियो पर खेती करने के बारे में सुन रहे थे. तभी मशरूम की खेती करने के बारे में जानकारी मिली.

Mushroom farming
खेती के लिए तैयार बाड़े.

उत्तराखंड में ली ट्रेनिंग

उत्तराखंड के पंतनगर के जीबी पंत यूनिवर्सिटी से मशरूम की खेती करने के बारे में ट्रेनिंग ली. ट्रेनिंग पूरी करने के बाद वह घर आकर मशरूम की खेती करने जुट गए. पहले उन्होंने 500 वर्गफुट जमीन पर इसकी शुरुआत की. इसके लिए उन्होंने लगभग डेढ़ लाख रुपये खर्च किया. बुद्ध सहाय ने बताया कि 4 महीने की इस फसल से 40 से 50 हजार रुपये तक का मुनाफा कमाया है. इससे उनका हौसला और बढ़ा. इसके बाद उन्होंने इसे बढ़ा कर 1500 वर्गफुट में खेती करनी शुरू कर दी.

Mushroom farming
मशरूम की खेती.

ऐसे तैयार किया मशरूम के लिए खेत

मशरूम की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु नहीं होना इसके पैदावार के लिए बाधक बन रहा है. जिसके लिए उन्होंने बांस और खरपतवार के सहारे एक झोपड़ नुमा मकान तैयार किया. इसके बाद उस पर वह अब खेती कर पैदावार कर रहे हैं.

प्रति दिन करते हैं 80 से 100 किलो की पैदावार

किसान ने मशरूम की खेती 1500 वर्गफुट पर की है. किसान बुद्ध सहाय के मुताबिक वह प्रतिदिन 80 से 100 किलो मशरूम की पैदावार करते हैं. वह सुबह मशरूम को तोड़कर बाजार में बेचने के लिए ले जाते हैं.

नहीं मिल रही सरकारी मदद

किसान बुद्ध सहाय के मुताबिक उसे सरकार और सरकारी अफसर की तरफ से कोई भी मदद नहीं मिल रही है. बुद्ध सहाय के मुताबिक उसे कृषि वैज्ञानिकों की तरफ से भी कोई मदद नहीं मिल रही है. जिसके कारण वह मशरूम की खेती को अन्य किसानों तक नहीं पहुंचा पा रहा हैं. पारंपरिक खेती को छोड़ कर मशरूम की खेती कर बुद्ध सहाय अपनी आय दोगनी कर रहे हैं.

कौशांबीः किसान ने रेडियो में मशरूम की खेती के बारे में सुनकर उत्तराखंड जाकर खेती करने के गुण सीखें. इसके बाद वह सीमित संसाधनों में मशरूम की खेती कर बढ़िया मुनाफा कमा रहा है. किसान का कहना है कि उसने मशरूम की खेती कर तीन साल में लाखों रुपये कमा लिए हैं.

जानकारी देता किसान.

किसान ने बीटीसी की परीक्षा की है पास

सरसवां ब्लॉक का सिवरा गांव के रहने वाले बुद्ध सहाय ने 2012 में बीटीसी की परीक्षा पास की. कई सालों तक वह शिक्षक की नौकरी की तलाश में लगे रहे. सफलता नहीं मिलने पर उन्होंने खेती करना शुरू किया. पारंपरिक खेती से कोई मुनाफा नहीं मिलने से वह निराश नहीं हुए. एक दिन वह रेडियो पर खेती करने के बारे में सुन रहे थे. तभी मशरूम की खेती करने के बारे में जानकारी मिली.

Mushroom farming
खेती के लिए तैयार बाड़े.

उत्तराखंड में ली ट्रेनिंग

उत्तराखंड के पंतनगर के जीबी पंत यूनिवर्सिटी से मशरूम की खेती करने के बारे में ट्रेनिंग ली. ट्रेनिंग पूरी करने के बाद वह घर आकर मशरूम की खेती करने जुट गए. पहले उन्होंने 500 वर्गफुट जमीन पर इसकी शुरुआत की. इसके लिए उन्होंने लगभग डेढ़ लाख रुपये खर्च किया. बुद्ध सहाय ने बताया कि 4 महीने की इस फसल से 40 से 50 हजार रुपये तक का मुनाफा कमाया है. इससे उनका हौसला और बढ़ा. इसके बाद उन्होंने इसे बढ़ा कर 1500 वर्गफुट में खेती करनी शुरू कर दी.

Mushroom farming
मशरूम की खेती.

ऐसे तैयार किया मशरूम के लिए खेत

मशरूम की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु नहीं होना इसके पैदावार के लिए बाधक बन रहा है. जिसके लिए उन्होंने बांस और खरपतवार के सहारे एक झोपड़ नुमा मकान तैयार किया. इसके बाद उस पर वह अब खेती कर पैदावार कर रहे हैं.

प्रति दिन करते हैं 80 से 100 किलो की पैदावार

किसान ने मशरूम की खेती 1500 वर्गफुट पर की है. किसान बुद्ध सहाय के मुताबिक वह प्रतिदिन 80 से 100 किलो मशरूम की पैदावार करते हैं. वह सुबह मशरूम को तोड़कर बाजार में बेचने के लिए ले जाते हैं.

नहीं मिल रही सरकारी मदद

किसान बुद्ध सहाय के मुताबिक उसे सरकार और सरकारी अफसर की तरफ से कोई भी मदद नहीं मिल रही है. बुद्ध सहाय के मुताबिक उसे कृषि वैज्ञानिकों की तरफ से भी कोई मदद नहीं मिल रही है. जिसके कारण वह मशरूम की खेती को अन्य किसानों तक नहीं पहुंचा पा रहा हैं. पारंपरिक खेती को छोड़ कर मशरूम की खेती कर बुद्ध सहाय अपनी आय दोगनी कर रहे हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.