कौशाम्बी : प्रधानमंत्री आवास योजना में एक मृत व्यक्ति के नाम पर आवास स्वीकृत कर रुपये के बन्दर-बांट का मामला सामने आया है. आरोप है कि ग्राम पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर तक अधिकारियों और कर्मचारियों ने नियमों को ताक पर रखकरकाम किया है.सरकारी फाइलों से गड़बड़ी उजागर होने के बाद मामले के जिम्मेदार अफसर अपनी जवाबदेही से पल्ला झाड़ खुद को साफ़ सुथरा साबित करने की कोशिशकर रहे हैं. हालांकि इस पूरे मामले पर डीएम कौशाम्बी ने जांच कराकर कड़ी से कड़ी कार्रवाईका भरोसा दिया है.
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मृत लाभार्थी राम लखन की विधवा चंद्रकली के मुताबिक उसके पास आज भी रहने और सिर छिपाने के लिए पक्की छत नहीं है. अपने बेटों के यहांकच्चे मकान में किसी तरह गुजारा करती है और उसे तो यह भी अशिक्षित होने के कारण नहीं पता कि उसके खाते में आवास योजना की दो किस्तें आ चुकी है और लोगों ने उसे निकाल भी लिया है.
मृत लाभार्थी राम लखन के मामले में आरोपों के घेरे में आये जिले के परियोजना निदेशक राजेश कुमार मिश्र ने अपनी सफाई देते हुए बताया है कि जब वह खंड विकास अधिकारी मंझनपुर के चार्ज पर थे तो उन्होंने ही इस लाभार्थी को स्थाई पात्रता सूची के आधार पर आवास का लाभ स्वीकृत किया था . इसके बाद वह ब्लॉकके चार्ज से हट गए हैं.नए खंड विकास अधिकारी ने उन्हें लाभार्थी के मृत होने की कोई जानकारी नहीं दी.
कुछ समय बाद उन्हें ब्लाक से एक लेटर प्राप्त हुआ जिसमे लाभार्थी के मृत्यु की बात लिखी गई थी.इसके बाद स्थाई पात्रता सूचि का अवलोकन किया गया जिसमें मृतक राम लखन की पत्नी चंद्रकली कोस्वीकृत किया गया, लेकिन दस्तावेजों में उसका नाम राजरानी होने के कारण उसे लाभ देना संभव नहीं था. वहींअब मृतक राम लखन के बालिग़ होने पर उसके नाम आवास स्वीकृत करने की कार्यवाही की जा रही है.
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