कासगंज: स्वास्थ्य महकमे में लापरवाही का आलम इस कदर बना हुआ है कि मरीजों को पर्चे पर लिखी दवाओं को नहीं दिया जाता, लेकिन कूड़े के ढेर में बिना एक्सपायरी वाली दवाओं को डाल दिया जाता है. कई महत्वपूर्ण दवाएं कूड़े के ढेर में पड़ी मिली हैं. वहीं मामले पर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. प्रतिमा श्रीवास्तव विभाग का बचाव करती नजर आईं. उन्होंने दवाओं को सरकारी मानने से इनकार कर दिया.
जानें क्या है पूरा मामला
- कूड़े के ढेर में सरकारी दवाएं मिलने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया.
- हजारों रुपये की बिना एक्सपाइरी वाली दवाएं मिलीं, लेकिन ये दवाएं कहां से आई ये पता नहीं चल सका.
- इन दवाओं पर 2020 की एक्सपाइरी डेट के साथ नॉट फॉर सेल लिखा था.
- मरीजों को पर्चे पर लिखी दवाएं नहीं मिलती, लेकिन कूड़े के ढेर में फेंक दी जाती हैं.
- मुख्य चिकित्साधिकारी ने दवाओं को सरकारी मानने से इनकार कर दिया.
कहां मिली दवाएं
आपको बता दें कि जिस जगह पर दवा मिली है, वहां कोई गांव या क्लीनिक नहीं है. बल्की जिला कारागार के बाहर कूड़े के ढेर में यह सरकारी दवाएं मिली हैं. जिला कारागार पंचलाना में बंदियों और कैदियों के लिए खोला गया सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र है, जिसके पास दवाएं मिली हैं. स्थानीय निवासी भूरे ने बताया कि कूड़े के ढेर में मिली दवाएं कारागार में निरुद्ध बंदी और कैदियों के इलाज के लिए भेजी गई दवाएं हो सकती हैं. कूड़े के ढेर में मिली दवाओं में इंजेक्शन, टेबलेट और कुछ ट्यूब भी हैं.
इन दवाओं को सोरों के स्वास्थ्य अधीक्षक के पास भेज कर दिखाया गया था. उन्होंने सैंपल देखा तो उस पर ईएसआई सप्लाई नोट फॉर सेल लिखा है. लगता है कि किसी के यहां छापा पड़ने की सूचना पर उसने यह दवा लाकर डाल दी होगी.
-प्रतिमा श्रीवास्तव, सीएमओ