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कासगंज: जिला कारागार के बाहर कूड़े के ढेर में मिली सरकारी दवाएं - medicines found in a garbage dump in kasganj

उत्तर प्रदेश के कासगंज में जिला कारागार के बाहर कूड़े के ढेर में सरकारी दवाएं मिलने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया. हजारों रुपये की बिना एक्सपाइरी दवाएं मिली हैं. यह दवा कहां से आईं इस मामले का अभी पता नहीं चल सका है.

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कूड़े के ढेर में मिली सरकारी दवाएं.
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Published : Dec 18, 2019, 8:58 PM IST

कासगंज: स्वास्थ्य महकमे में लापरवाही का आलम इस कदर बना हुआ है कि मरीजों को पर्चे पर लिखी दवाओं को नहीं दिया जाता, लेकिन कूड़े के ढेर में बिना एक्सपायरी वाली दवाओं को डाल दिया जाता है. कई महत्वपूर्ण दवाएं कूड़े के ढेर में पड़ी मिली हैं. वहीं मामले पर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. प्रतिमा श्रीवास्तव विभाग का बचाव करती नजर आईं. उन्होंने दवाओं को सरकारी मानने से इनकार कर दिया.

कूड़े के ढेर में मिली सरकारी दवाएं.

जानें क्या है पूरा मामला

  • कूड़े के ढेर में सरकारी दवाएं मिलने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया.
  • हजारों रुपये की बिना एक्सपाइरी वाली दवाएं मिलीं, लेकिन ये दवाएं कहां से आई ये पता नहीं चल सका.
  • इन दवाओं पर 2020 की एक्सपाइरी डेट के साथ नॉट फॉर सेल लिखा था.
  • मरीजों को पर्चे पर लिखी दवाएं नहीं मिलती, लेकिन कूड़े के ढेर में फेंक दी जाती हैं.
  • मुख्य चिकित्साधिकारी ने दवाओं को सरकारी मानने से इनकार कर दिया.

कहां मिली दवाएं
आपको बता दें कि जिस जगह पर दवा मिली है, वहां कोई गांव या क्लीनिक नहीं है. बल्की जिला कारागार के बाहर कूड़े के ढेर में यह सरकारी दवाएं मिली हैं. जिला कारागार पंचलाना में बंदियों और कैदियों के लिए खोला गया सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र है, जिसके पास दवाएं मिली हैं. स्थानीय निवासी भूरे ने बताया कि कूड़े के ढेर में मिली दवाएं कारागार में निरुद्ध बंदी और कैदियों के इलाज के लिए भेजी गई दवाएं हो सकती हैं. कूड़े के ढेर में मिली दवाओं में इंजेक्शन, टेबलेट और कुछ ट्यूब भी हैं.

इन दवाओं को सोरों के स्वास्थ्य अधीक्षक के पास भेज कर दिखाया गया था. उन्होंने सैंपल देखा तो उस पर ईएसआई सप्लाई नोट फॉर सेल लिखा है. लगता है कि किसी के यहां छापा पड़ने की सूचना पर उसने यह दवा लाकर डाल दी होगी.
-प्रतिमा श्रीवास्तव, सीएमओ

कासगंज: स्वास्थ्य महकमे में लापरवाही का आलम इस कदर बना हुआ है कि मरीजों को पर्चे पर लिखी दवाओं को नहीं दिया जाता, लेकिन कूड़े के ढेर में बिना एक्सपायरी वाली दवाओं को डाल दिया जाता है. कई महत्वपूर्ण दवाएं कूड़े के ढेर में पड़ी मिली हैं. वहीं मामले पर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. प्रतिमा श्रीवास्तव विभाग का बचाव करती नजर आईं. उन्होंने दवाओं को सरकारी मानने से इनकार कर दिया.

कूड़े के ढेर में मिली सरकारी दवाएं.

जानें क्या है पूरा मामला

  • कूड़े के ढेर में सरकारी दवाएं मिलने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया.
  • हजारों रुपये की बिना एक्सपाइरी वाली दवाएं मिलीं, लेकिन ये दवाएं कहां से आई ये पता नहीं चल सका.
  • इन दवाओं पर 2020 की एक्सपाइरी डेट के साथ नॉट फॉर सेल लिखा था.
  • मरीजों को पर्चे पर लिखी दवाएं नहीं मिलती, लेकिन कूड़े के ढेर में फेंक दी जाती हैं.
  • मुख्य चिकित्साधिकारी ने दवाओं को सरकारी मानने से इनकार कर दिया.

कहां मिली दवाएं
आपको बता दें कि जिस जगह पर दवा मिली है, वहां कोई गांव या क्लीनिक नहीं है. बल्की जिला कारागार के बाहर कूड़े के ढेर में यह सरकारी दवाएं मिली हैं. जिला कारागार पंचलाना में बंदियों और कैदियों के लिए खोला गया सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र है, जिसके पास दवाएं मिली हैं. स्थानीय निवासी भूरे ने बताया कि कूड़े के ढेर में मिली दवाएं कारागार में निरुद्ध बंदी और कैदियों के इलाज के लिए भेजी गई दवाएं हो सकती हैं. कूड़े के ढेर में मिली दवाओं में इंजेक्शन, टेबलेट और कुछ ट्यूब भी हैं.

इन दवाओं को सोरों के स्वास्थ्य अधीक्षक के पास भेज कर दिखाया गया था. उन्होंने सैंपल देखा तो उस पर ईएसआई सप्लाई नोट फॉर सेल लिखा है. लगता है कि किसी के यहां छापा पड़ने की सूचना पर उसने यह दवा लाकर डाल दी होगी.
-प्रतिमा श्रीवास्तव, सीएमओ

Intro:कासगंज जिला कारागार के बाहर कूड़े के ढेर पर हजारों रूपये की 2020 एक्सपाइरी की नॉट फॉर सेल लिखीं दवाऐं मिलने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। यह दवा कहां से आई इस मामले का अभी पता नहीं चल सका हैBody:वीओ-1-स्थानीय निवासी भूरे ने बताया कि कूड़े के ढेर में मिली दवाएं कारागार मेें निरूद्ध बंदी और कैदियों के इलाज के लिए भेजी गई हो सकतीं हैं।यह मामला मीडिया में पहुंचने के बाद जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया। स्थानीय निवासी भूरे ने बताया कि कूड़े के ढेर में मिली दवाओं में इंजेक्शन टेबलेट और कुछ ट्यूब भी हैं।


वीओ-2-इस मामले में मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ. प्रतिमा श्रीवास्तव से बात की तो वह विभाग का बचाव करती नज़र आईं और उन्होंने दवाओं को सरकारी मानने से इंकार कर दिया।उन्होंने कहा कि सोरों के स्वास्थ्य अधीक्षक को भेज कर दिखवाया गया था, उन्होंने सैंपल देखा था उस पर ईएसआई सप्लाई नोट फोर सेल लिखा है। लगता है कि किसी के यहां छापा पड़ने की सूचना हो, तो उसने यह दवा वहां लाकर डाल दी हो, दबाव में गवर्नमेंट सप्लाई नहीं लिखा था।
आपको बता दें कि जिस जगह पर दवा मिली है, वहां कोई गांव या क्लीनिक नहीं है मात्र जिला कारागार पंचलाना में बंदियों और कैदियों की स्वास्थ्य सेवाओ के लिए खोला गया सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र है।

बाईट-1-भरे -स्थानीय निवासी
बाईट-2-प्रतिमा श्रीवास्तव- सीएमओConclusion:
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