कासगंज: बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए केन्द्र और राज्य सरकार निरंतर प्रयास कर रही है. विशेष तौर से प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत के लिए, आयुष्मान भारत योजना के लिए राज्य सरकार ने कुछ बदलाव किए हैं जिसके तहत सरकार ने अब हर गांव के हिसाब से लाभार्थियों की सूची जारी की है. जिससे कोई भी लाभार्थी अब इस योजना से वंचित नहीं रह पाएगा.
जिला कार्यक्रम समन्वयक डॉक्टर सरताज अली से ईटीवी भारत ने की बातचीत. आयुष्मान भारत योजना के जिला कार्यक्रम समन्वयक डॉक्टर सरताज अली ने ईटीवी भारत से बात करते हुए इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि आयुष्मान योजना के अंतर्गत प्रदेश में 6 करोड़ से अधिक लाभार्थी हैं. इन सभी लाभार्थियों को इस योजना का लाभ मिल सके इसके लिए जिला, ब्लाक और ग्राम स्तर पर सरकार ने लाभार्थियों की सूची जारी की है. जिसके तहत प्रत्येक व्यक्ति अपना नाम सर्च करके अपना कार्ड बनवा सकता है.कैसे बनेगा आयुष्मान योजना का कार्ड इस कार्ड को बनवाने के लिए लाभार्थी के पास राशन कार्ड अथवा आधार कार्ड और पीएम पत्र होना अनिवार्य है. पीएम पत्र प्रधानमंत्री के द्वारा लाभार्थी को भेजा गया एक सूचना पत्र होता है. जिसमें लाभार्थी के परिवार का मुखिया का नाम दर्ज होता है. सूची जारी होने के बाद जिन लोगों के पास पीएम पत्र नहीं पहुंचे हैं अथवा तो खो गए हैं. वह लोग अपने आधार कार्ड से उनके एचएचआईडी नंबर से उनका गोल्डन कार्ड जारी कर दिया जाएगा.3 सितंबर से लेकर 30 सितंबर तक चलने वाले इस अभियान में प्रत्येक सीएचसी एवं जन सुविधा केंद्र पर गोल्डन कार्ड का डेटा उपलब्ध रहेगा. जगह-जगह गोल्डन कार्ड बनवाने हेतु कैंप आयोजित किए जा रहे हैं.लाभार्थी का ₹500000 तक का इलाज होगा फ्रीकार्ड धारकों को निजी अस्पताल में इलाज ना मिल पाने के कारण के बारे में जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने डॉक्टर सरताज से सवाल पूछा तो उन्होंने बताया प्रत्येक जनपद में डीआई यू टीम का गठन किया गया है. जिसमें डीपीसी, डीजीएम, डीआईएसएम को रखा गया है अगर कहीं इलाज मिलने में परेशानी आ रही हो तो इस टीम से शिकायत की जा सकती है. सूचीबद्ध अस्पताल करेंगे इलाज
गोल्डन कार्ड योजना के अंतर्गत मिलने वाले इलाज के लाभ के लिए कुछ अस्पताल सूचीबद्ध किए गए हैं. उन अस्पतालों को हर हाल में गोल्डन कार्ड धारकों का इलाज करना ही होगा. इन अस्पतालों ने एक एमओयू हस्ताक्षरित किया हुआ है जिसके तहत इनको इलाज करना अनिवार्य है. फिर भी अगर कोई अस्पताल इलाज से मना करता है तो तो जिले पर टीम गठित की गई है उससे शिकायत की जा सकती है. जांच में अगर मरीज का आरोप सही पाया जाता है तो डॉक्टर की प्रैक्टिस रोकी जा सकती है, उन पर जुर्माना भी पड़ सकता है उन्हें डी इम्पैनल्ड भी किया जा सकता है.