ETV Bharat / state

जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड : पंडित गोविंद बल्लभ भट्ट को नहीं छू सकी थीं जनरल डायर की गोलियां

13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के पर्व पर पंजाब अमृतसर के जलियांवाला बाग में ब्रिटिश ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर का बर्बर रूप देखने को मिला था. डायर के आदेश से यहां करीब एक हजार से भी ज्यादा लोगों को गोलियों से छलनी कर दिया गया था. घटना में घटनाक्रम में करीब 1650 राउंड गोलियां चलाई गई थीं.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Apr 13, 2023, 2:29 PM IST

कासगंज : जलियांवाला बाग स्मृति दिवस की आज 104वीं बरसी है. 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन जनरल डायर का क्रूर चेहरा सामने आया था. जलियांवाला बाग में आयोजित सभा के दौरान जनरल डायर 50 सैनिकों के साथ पहुंचा और प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग करने का आदेश दे दिया. इसके बाद करीब 1650 राउंड गोलियां चलीं और लगभग एक हजार से अधिक लोगों की जान चली गई. हालांकि ब्रिटिश सरकार के द्वारा जारी आंकड़ों में मरने वालों की संख्या 379 और घायल 1200 थे. जलियांवाला बाग में आयोजित सभा के मंच पर वक्ताओं के साथ साहित्यकार एवं क्रांतिकारी पण्डित गोविन्द बल्लभ शास्त्री भट्ट भी मौजूद थे. उनकी मौजूदगी में लगभग 10 मिनट तक फायरिंग हुए. उनके अगल-बगल बैठे कई साथियों को गोलियां लगीं और वे शहीद हो गए, लेकिन पंडित गोविंद बल्लभ शास्त्री भट्ट भाग्यशाली रहे और उन्हें गोलियां छू नहीं सकीं.

जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड : पंडित गोविंद बल्लभ भट्ट को नहीं छू सकी थीं जनरल डायर की गोलियां.
जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड : पंडित गोविंद बल्लभ भट्ट को नहीं छू सकी थीं जनरल डायर की गोलियां.

भारत में ब्रिटिश इतिहास का सबसे काला दिन कहे जाने वाला अमृतसर का जलियांवाला बाग हत्याकांड की आज 104 वीं बरसी है. पंजाब के प्रसिद्ध अमृतसर स्वर्ण मंदिर के निकट स्थित जलियांवाला बाग में ब्रिटिशों के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे अनगिनत निहत्थे भारतीयों पर जनरल डायर के निर्देश पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई गई थीं. जब यह हृदय विदारक नृशंस हत्याकाण्ड अंजाम दिया गया, उस समय विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों में कासगंज की तीर्थनगरी सोरों जी के रहने वाले साहित्यकार और क्रांतिकारी पंडित गोविन्द वल्लभ शास्त्री भट्ट भी मंच पर मौजूद थे. विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों के बीच अचानक ब्रिटिश सैनिक आ धमके और जनरल डायर के निर्देश पर अचानक अंधाधुंध फायरिंग करनी शुरू कर दी. जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोग जनरल डायर की गोलियों का शिकार हुए.

जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड : पंडित गोविंद बल्लभ भट्ट को नहीं छू सकी थीं जनरल डायर की गोलियां.
जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड : पंडित गोविंद बल्लभ भट्ट को नहीं छू सकी थीं जनरल डायर की गोलियां.

अंग्रेजों की इस अंधाधुंध फायरिंग में पंडित गोविन्द वल्लभ शास्त्री भट्ट को आंच नहीं आई. उन्होंने अपने आत्म परिचय में लिखा है कि 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग की सभा के मंच पर वक्ताओं में मैं भी बैठा था. तभी जनरल डायर 50 सैनिकों के साथ जलियांवाला बाग में आ धमका और प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग करने का आदेश दे दिया. लगभग 10 मिनट तक मेरे सामने ही फायरिंग होती रही. मेरे बगल में बैठे मेरे साथियों को गोलियां लगीं. पूरे घटनाक्रम में करीब 1650 राउंड गोलियां चलीं. ब्रिटिश सरकार के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के विषय मे अगर हम बात करें तो जलियांवाला बाग हत्याकांड में 379 लोग मारे गए थे और 1200 घायल हुए थे, मगर कुछ रिकॉर्ड कहते हैं कि लगभग एक हजार से अधिक लोगों ने जलियांवाला बाग हत्याकांड में अपनी जान गंवाई थी.

जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड : पंडित गोविंद बल्लभ भट्ट को नहीं छू सकी थीं जनरल डायर की गोलियां.
जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड : पंडित गोविंद बल्लभ भट्ट को नहीं छू सकी थीं जनरल डायर की गोलियां.
गोविन्द बल्लभ शास्त्री भट्ट लिखते हैं कि जलियांवाला बाग मैं तो किसी तरह बच गया, लेकिन वहां अनगिनत निहत्थे बूढ़े, बच्चे, जवान और महिलाओं को चुन चुन कर गोलियों से भून दिया गया. यह नरसंहार को मैंने अपनी आंखों से देखा था. अपनी आत्मकथा में उन्होंने आगे लिखा कि मार्शल लॉ लागू होने के कारण वह कासगंज की तीर्थ नगरी सोरों आ गए और अपनी साहित्य की साधना शुरू कर दी. कासगंज के इतिहास के जानकार अमित तिवारी और उमेश पाठक बताते हैं कि गोविंद बल्लभ शास्त्री भट्ट के भाई और मुम्बई के वरिष्ठ पत्रकार व संपादक रामवल्लभ शास्त्री द्वारा सम्पादित पुस्तक के एक लेख के अनुसार सोरों जी के साहित्यकार व क्रांतिकारी पंडित गोविन्द वल्लभ शास्त्री भट्ट की जीवनी में इस बात का उल्लेख किया गया कि जलियांवाला बाग हत्याकांड के समय पंडित गोविन्द वल्लभ शास्त्री भट्ट मंच पर उपस्थित थे और जनरल डायर की गोलियों का सामना किया. यह भी पढ़ें : देश के लिए टूरिज्म मॉडल बना वाराणसी, पर्यटकों संग होटल व पीजी व्यवसाय के लिए हैं क्रांतिकारी

कासगंज : जलियांवाला बाग स्मृति दिवस की आज 104वीं बरसी है. 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन जनरल डायर का क्रूर चेहरा सामने आया था. जलियांवाला बाग में आयोजित सभा के दौरान जनरल डायर 50 सैनिकों के साथ पहुंचा और प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग करने का आदेश दे दिया. इसके बाद करीब 1650 राउंड गोलियां चलीं और लगभग एक हजार से अधिक लोगों की जान चली गई. हालांकि ब्रिटिश सरकार के द्वारा जारी आंकड़ों में मरने वालों की संख्या 379 और घायल 1200 थे. जलियांवाला बाग में आयोजित सभा के मंच पर वक्ताओं के साथ साहित्यकार एवं क्रांतिकारी पण्डित गोविन्द बल्लभ शास्त्री भट्ट भी मौजूद थे. उनकी मौजूदगी में लगभग 10 मिनट तक फायरिंग हुए. उनके अगल-बगल बैठे कई साथियों को गोलियां लगीं और वे शहीद हो गए, लेकिन पंडित गोविंद बल्लभ शास्त्री भट्ट भाग्यशाली रहे और उन्हें गोलियां छू नहीं सकीं.

जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड : पंडित गोविंद बल्लभ भट्ट को नहीं छू सकी थीं जनरल डायर की गोलियां.
जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड : पंडित गोविंद बल्लभ भट्ट को नहीं छू सकी थीं जनरल डायर की गोलियां.

भारत में ब्रिटिश इतिहास का सबसे काला दिन कहे जाने वाला अमृतसर का जलियांवाला बाग हत्याकांड की आज 104 वीं बरसी है. पंजाब के प्रसिद्ध अमृतसर स्वर्ण मंदिर के निकट स्थित जलियांवाला बाग में ब्रिटिशों के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे अनगिनत निहत्थे भारतीयों पर जनरल डायर के निर्देश पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई गई थीं. जब यह हृदय विदारक नृशंस हत्याकाण्ड अंजाम दिया गया, उस समय विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों में कासगंज की तीर्थनगरी सोरों जी के रहने वाले साहित्यकार और क्रांतिकारी पंडित गोविन्द वल्लभ शास्त्री भट्ट भी मंच पर मौजूद थे. विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों के बीच अचानक ब्रिटिश सैनिक आ धमके और जनरल डायर के निर्देश पर अचानक अंधाधुंध फायरिंग करनी शुरू कर दी. जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोग जनरल डायर की गोलियों का शिकार हुए.

जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड : पंडित गोविंद बल्लभ भट्ट को नहीं छू सकी थीं जनरल डायर की गोलियां.
जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड : पंडित गोविंद बल्लभ भट्ट को नहीं छू सकी थीं जनरल डायर की गोलियां.

अंग्रेजों की इस अंधाधुंध फायरिंग में पंडित गोविन्द वल्लभ शास्त्री भट्ट को आंच नहीं आई. उन्होंने अपने आत्म परिचय में लिखा है कि 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग की सभा के मंच पर वक्ताओं में मैं भी बैठा था. तभी जनरल डायर 50 सैनिकों के साथ जलियांवाला बाग में आ धमका और प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग करने का आदेश दे दिया. लगभग 10 मिनट तक मेरे सामने ही फायरिंग होती रही. मेरे बगल में बैठे मेरे साथियों को गोलियां लगीं. पूरे घटनाक्रम में करीब 1650 राउंड गोलियां चलीं. ब्रिटिश सरकार के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के विषय मे अगर हम बात करें तो जलियांवाला बाग हत्याकांड में 379 लोग मारे गए थे और 1200 घायल हुए थे, मगर कुछ रिकॉर्ड कहते हैं कि लगभग एक हजार से अधिक लोगों ने जलियांवाला बाग हत्याकांड में अपनी जान गंवाई थी.

जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड : पंडित गोविंद बल्लभ भट्ट को नहीं छू सकी थीं जनरल डायर की गोलियां.
जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड : पंडित गोविंद बल्लभ भट्ट को नहीं छू सकी थीं जनरल डायर की गोलियां.
गोविन्द बल्लभ शास्त्री भट्ट लिखते हैं कि जलियांवाला बाग मैं तो किसी तरह बच गया, लेकिन वहां अनगिनत निहत्थे बूढ़े, बच्चे, जवान और महिलाओं को चुन चुन कर गोलियों से भून दिया गया. यह नरसंहार को मैंने अपनी आंखों से देखा था. अपनी आत्मकथा में उन्होंने आगे लिखा कि मार्शल लॉ लागू होने के कारण वह कासगंज की तीर्थ नगरी सोरों आ गए और अपनी साहित्य की साधना शुरू कर दी. कासगंज के इतिहास के जानकार अमित तिवारी और उमेश पाठक बताते हैं कि गोविंद बल्लभ शास्त्री भट्ट के भाई और मुम्बई के वरिष्ठ पत्रकार व संपादक रामवल्लभ शास्त्री द्वारा सम्पादित पुस्तक के एक लेख के अनुसार सोरों जी के साहित्यकार व क्रांतिकारी पंडित गोविन्द वल्लभ शास्त्री भट्ट की जीवनी में इस बात का उल्लेख किया गया कि जलियांवाला बाग हत्याकांड के समय पंडित गोविन्द वल्लभ शास्त्री भट्ट मंच पर उपस्थित थे और जनरल डायर की गोलियों का सामना किया. यह भी पढ़ें : देश के लिए टूरिज्म मॉडल बना वाराणसी, पर्यटकों संग होटल व पीजी व्यवसाय के लिए हैं क्रांतिकारी
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.