कासगंज: यूपी के कासगंज के गंगा से सटे कई ऐसे इलाके हैं, जो हर साल गंगा का जल स्तर बढ़ने से डूब जाते हैं. खास तौर से बरौना गांव में पानी घुसने से लोगों के घर भी गिर जाते हैं और हज़ारों बीघा फसलें नष्ट हो जातीं हैं. बाढ़ की वजह से लोग पलायन कर जाते हैं. इस बड़ी समस्या से निपटने के लिए सिंचाई विभाग ने साढ़े पांच करोड़ की लागत से गंगा से सटे गांव बरौना में गांव के किनारे नई तकनीक से जियो ट्यूब स्टड बनाने का कार्य शुरू किया है. यह ट्यूब गांव को गंगा के पानी से सुरक्षित रखेगा.
बाढ़ की विभीषिका झेलने वाले लोग मानसून की आहट से घबराने लगते हैं. कासगंज जिले के गंजडुंडवारा ब्लॉक के ग्राम बरौना में रहने वालों की यही हालत थी. मगर प्रशासन के एक उपाय ने उनकी चिंता दूर कर दी है. गंगा की बाढ़ से गांव को बचाने के लिए किए जा रहे गांव में सिंचाई विभाग इंतजाम कर रहा है. सिंचाई विभाग के एक्सईएन अरुण कुमार ने बताया कि गांव को कवर करने के लिए जियो ट्यूब तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है.साढ़े पांच करोड़ की लागत से ग्राम बरौना में 19 जियो ट्यूब स्टड बनाए जा रहे हैं. इस स्टड के तीन लेयर हैं. पहली लेयर में तीन ट्यूब, दूसरी लेयर में दो और तीसरी लेयर में एक जियो ट्यूब लगाई गई है. यह गंगा में आई बाढ़ के पानी से गांव को बचाने के लिए स्थायी समाधान है.
परियोजना के जेई संजय कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि यह जियो ट्यूब HDP (हाई डेस्टी पॉली प्रोपलीन) मैटीरियल है, जो वेदर प्रूफ है. पानी में 25 साल तक रहने के बाद भी इसकी हालत नहीं बिगड़ेगी. इस ट्यूब में गंगा की तलहटी से मड निकालकर पाइप के सहारे भरा जाता है. मड यानी कीचड़ के साथ पानी भी ट्यूब में जाता है. मगर पानी निकलने के बाद ट्यूब पत्थर के जैसा सख्त हो जाता है. इसका फायदा यह है कि जब मानसून में गंगा का जलस्तर बढ़ेगा तो पानी गांव में आने के बजाय ट्यूब से टकराकर वापस लौट जाएगा. जेई संजय कुमार ने बताया कि इस पूरी परियोजना की मॉनिटरिंग सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से हो रही है. मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बनाई गई बाढ़ स्टेडिंग कमेटी लखनऊ के कंट्रोल रूम में इसकी निगरानी कर रही है.
गांव बरौना के लोगों के लिए खुशी की बात यह है कि अब यहां रहने वाले लोगों को बाढ़ के पानी के गांव में घुसने की समस्या का जल्द स्थाई समाधान मिल गया है. मानसून सीजन में लोग अपने घरों को छोड़ कर दूसरे गांवों के लिए पलायन नहीं करेंगे. लोगों के मकान नहीं गिरेंगे और न ही हज़ारों बीघा फसलें किसानों की नष्ट होंगी.
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