कासगंज: सूबे की सत्ता बदली निजाम बदला, अगर कुछ नहीं बदली तो वो बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों की तस्वीर. कासगंज जिले में ऐसे दो विद्यालय हैं, जो 'सर्व शिक्षा अभियान' का मखौल बनाते नजर आ रहे हैं. यहां के एक विद्यालय में तो केवल एक ही छात्र का दाखिला किया गया है. वहीं अन्य विद्यालय की बात करें तो उसमें भी सिर्फ छह छात्रों का पंजीकरण किया गया है. इतना ही नहीं इन विद्यालयों की दुर्दशा भी देखते ही बनती है.
मामला एक-
जिले के शिवपुरा ब्लॉक के नगला चूरे गांव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में सिर्फ एक ही छात्र का पंजीकरण किया गया है, जो शिक्षा विभाग की घोर निरंकुशता को दर्शाता है. वहीं इस विद्यालय में एक ही शिक्षक की नियुक्ति की गई है. ग्रामीणों का कहना है यह विद्यालय कभी-कभी ही खुलता है. उन्होंने बताया कि विद्यालय में पहले काफी संख्या में बच्चे आते थे, लेकिन अध्यापकों के रोजाना न आने की वजह से बच्चों का पेपर तक नहीं कराया जा सका. इसके बाद ग्रामीणों ने उस विद्यालय में अपने बच्चों का दाखिला ही बंद करा दिया.
गांव के ज्यादातर बच्चे अब सरकारी स्कूलों के बजाय प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने जाते हैं. वहीं नगला चूरे के इस पूर्व माध्यमिक विद्यालय में रखे गए फर्नीचर टूटे हुए हैं. इतना ही नहीं यहां के शौचालयों में बड़ी-बड़ी घासें उग आई हैं. साथ ही यहां बच्चों की पढ़ाई के लिए बनाए गए कमरों में गांव वालों में भूसा रख दिया है और यहां ग्रामीण अपनी बकरियां बांधते हैं. विद्यालय के लिए जाने वाला मार्ग भी इतना जर्जर है कि मार्ग में बड़े-बड़े गड्ढे हैं, जिनमें हमेशा पानी भरा रहता है.
मामला दो-
वहीं नगला मौजी गांव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय की बात करें तो यहां सिर्फ 6 छात्रों का पंजीकरण किया गया है. यहां के विद्यालय की दीवारें भी चटकी हुई हैं. यहां इंटरलॉकिंग का कार्य नहीं कराया गया है, शौचालय टूटा पड़ा है और रसोई घर के दरवाजे तक उखड़े हुए हैं. मिड-डे मील रसोइए द्वारा चूल्हे पर बनाया जा रहा है. रसोइया से बात की गई तो उसने बताया कि गैस चूल्हा चोरी हो जाने की वजह से मिट्टी के चूल्हे पर खाना पकाया जाता है. रसोइए ने 'मोदी भैया' से गैस चूल्हे की मांग करते हुए कहा है कि 'मोदी भैया' गैस देंगे तो गैस पर खाना बनाएंगे.
वहीं विद्यालय के शिक्षक ईशू वार्ष्णेय ने बताया कि विद्यालय की जर्जर स्थिति के बारे में विभागीय अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है. छात्रों की कम संख्या के सवाल पर उन्होंने कहा कि गांव बहुत छोटा है और बहुत कम दायरे में ही यहां पर तीन पूर्व माध्यमिक विद्यालय हैं, जिसके चलते इस विद्यालय में कम बच्चों का प्रवेश है. साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ अभिभावक अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में शिक्षा के लिए भेजते हैं.
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पूरे मामले पर बात करते हुए खंड विकास अधिकारी हर्शेंद्र कुमार ने कहा कि इस तरह का पहला मामला विकास खंड में सामने आया है. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर ऐसा कोई मामला आया है तो मैं खुद जाकर मामले का संज्ञान लूंगा और इसमें दोषी पाए जाने वाले लोगों को निश्चित रूप से कार्रवाई का प्रयास करूंगा. साथ ही उन्होंने पूरे प्रकरण को जिलाधिकारी के संज्ञान में लाए जाने की बात भी कही.