कासगंज: भले ही उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए काफी प्रयास कर रहे हैं. जगह-जगह औचक निरीक्षण कर रहे हैं लेकिन इसके विपरीत यूपी के कासगंज में स्वास्थ विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. कासगंज के एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात महिला चिकित्सक बिना कोई अवकाश लिए विगत लगभग 1 वर्ष से अपनी नियुक्ति स्थल अस्पताल पर नहीं आ रहीं हैं. इसके बावजूद उन्होंने कई महीनों का वेतन निकाला. वहीं, जब इस मामले में ईटीवी भारत को जानकारी हुई तो टीम ने जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी से जानकारी ली, जिसके बाद आनन-फानन में उन्होंने मामले की जांच के निर्देश दे दिए. प्रारम्भिक जांच में यह मामला सही पाया गया. महिला चिकित्सक के वेतन को रोक दिया गया है.
दरअसल, कासगंज के गंजडुंडवारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर नियुक्त महिला चिकित्सक गुलिस्ता अंजुम विगत लगभग एक वर्ष से अनुपस्थित चल रहीं हैं. बावजूद इसके कई माह का उनका वेतन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते निकाल दिया गया जबकि गंजडुंडवारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टर गुलिस्ता अंजुम की नियुक्ति है. वहां के चिकित्साधीक्षक डॉ. मुकेश यादव के द्वारा लगातार रजिस्टर में जिला मुख्यालय पर अनुपस्थित दर्ज कर भेजी जा रही है.
ईटीवी भारत से खास बताचीत में मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि डॉ. गुलिस्ता अंजुम की नियुक्ति गंजडुंडवारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर है. इस वित्तीय वर्ष में उनका 4 माह का मार्च-अप्रैल मई-जून का वेतन निकला है. जुलाई माह में भी उनका वेतन निकला है क्योंकि डॉक्टर गुलिस्ता अंजुम की जिला अस्पताल से उपस्थिती की रिपोर्ट आई थी. गंजडुंडवारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से रिपोर्ट अनुपस्थित आई जब कि डॉ गुलिस्ता अंजुम की नियुक्ति गंजडुंडवारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में है न कि जिला अस्पताल में. जब जिला अस्पताल से उपस्थिति की रिपोर्ट आई तब हमें पता चला कि उनको जिला अस्पताल अटैच किया गया है.
मुख्य चिकित्साधिकारी ने कहा कि जब समस्त विभाग के अधिकारियों से पूछा कि डॉक्टर गुलिस्ता अंजुम को किसके आदेश के तहत जिला अस्पताल अटैच किया गया है तो कोई भी इस बात का उत्तर न दे सका. खासकर जो स्टेनो है, जिनके पास सभी आदेश और निर्देश रहते हैं. उनको भी अटैचमेंट का कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ था, इसके बाद जिला अस्पताल के सीएमएस से वह पत्र मांगा, जिस आधार पर उनको गंजडुंडवारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर जिला अस्पताल में अटैच किया गया है तो वह पत्र भी मुझे नहीं मिला. साथ ही उस समय महिला डॉक्टर की तैनाती गंजडुंडवारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में थी तो वहां के चिकित्साधीक्षक के द्वारा भी इन्हें कार्यमुक्त किया गया होगा तो उस कार्यमुक्त का प्रमाण पत्र भी डॉक्टर गुलिस्ता अंजुम से मांगा जिसे वह नहीं दिखा पाई.
वहीं, डॉक्टर गुलिस्ता अंजुम से सीएमएस के अवलोकन वाला जिला चिकित्सालय में योगदान का पत्र मांगा गया. गुलिस्ता अंजुम ने योगदान प्रमाण पत्र तो दिया लेकिन वह सीएमएस के द्वारा अवलोकित न होकर संदिग्ध प्रतीत हो रहा था, जिसके बाद उन्होंने एक और पत्र उपलब्ध कराया, जिसमें तत्कालीन मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर अनिल कुमार सिंह का वह आदेश जिसमें अग्रिम आदेशों तक उन्हें संयुक्त जिला चिकित्सालय में कार्य करने के लिए लिखा गया था.
लेकिन सबसे बड़ी बात कि जब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गंजडुंडवारा से डॉक्टर गुलिस्ता अंजुम को कार्य मुक्त नहीं किया गया तो फिर उन्हें जिला अस्पताल में अटैच कैसे कर दिया गया. मुख्य चिकित्सा अधिकारी अवध किशोर प्रसाद ने बताया की कार्यमुक्त का प्रमाण पत्र भी अभी तक डॉक्टर गुलिस्ता अंजुम ने उपलब्ध नहीं कराया है. गंजडुंडवारा में उनकी नियुक्ति थी जहां वह विगत एक वर्ष तक अनुपस्थिति रहीं लेकिन फिर भी वेतन निकाला गया.
फिलहाल आगे की जांच में हम लगे हुए हैं. प्रारंभिक जांच में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही साफ तौर पर नजर आ रही है. फिलहाल महिला चिकित्सक का वेतन रोक दिया गया है. इस मामले में तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी की संलिप्तता से भी इनकार नहीं किया जा सकता. जांच रिपोर्ट जल्द ही जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी. दोषी पाए जाने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी.
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