कानपुर: 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोपी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को एसटीएफ ने 10 जुलाई को एनकाउंटर में मार गिराया. अस्पताल में पहले उसकी कोरोना जांच की गई और रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया. पोस्टमार्टम होने के बाद काफी देर तक उसका शव पोस्टमार्टम हाउस में ही पड़ा रहा. कुछ देर बाद उसका बहनोई शव लेने पहुंचा.
उसका अंतिम संस्कार भैरव घाटी स्थित बिजली शवदाह गृह में किया गया. इस दौरान उसका बहनोई, उसकी पत्नी और उसका छोटा बेटा मौजूदा रहा. तीन डाॅक्टरों की टीम ने उसका पोस्टमार्ट किया और इस दौरान तीन फोटोग्राफर भी वहां मौजूद रहे. साथ ही पूरे पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी भी की गई.
बता दें कि 9 जुलाई को उज्जैन महाकाल मंदिर में दर्शन के दौरान उसे एमपी पुलिस ने गिरफ्तार किया था. उसी दिन देर रात यूपी एसटीएफ उसे उज्जैन से उसे लेकर कानपुर के लिए रवाना हुई. 10 जुलाई को सुबह कानपुर पहुंचने के पहले कुछ ही दूरी पर एसटीएफ की गाड़ी पलट गई.
इस दौरान मौके का फायदा उठाकर वह एक पुलिसकर्मी की पिस्टल छीनकर भागने लगा, जब पुलिसकर्मियों ने उसे सरेंडर करने के लिए कहा, तो उसने फायरिंग कर दी. पुलिस की ओर से जवाबी कार्रवाई में गोली लगने से वह घायल हो गया. उसे इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डाॅक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
गौरतलब है कि 2 जुलाई को जिले के चौबेपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत बिकरू गांव में पुलिस की टीम उसे गिरफ्तार करने गई थी. इस दौरान उसने अपने साथियों के साथ पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी. इसके बाद पुलिस और बदमाशों में मुठभेड़ होने लगी. इस मुठभेड़ में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे, जबकि कई अन्य घायल हो गए थे. वहीं विकास दुबे अपने साथियों के साथ फरारा हो गया था. तभी से पुलिस और एसटीएफ की कई टीमें उसकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही थी.