कानपुरः महानगर में चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें न्यायालय के आदेश के बावजूद 11 साल बीत जाने के बाद भी महिला कोर्ट के चक्कर काट रही है. आदेश के बावजूद उसे अब तक गुजारा भत्ता मिलना शुरू नहीं हुआ. वर्ष 2009 में कोर्ट ने फैसला सुनाया था लेकिन 11 साल बीत जाने के बावजूद अब तक महिला को गुजारा भत्ता मिलना शुरू नहीं हुआ.
रिपोर्ट देने के आदेश
पति फरार है. न तो पुलिस उसकी गिरफ्तारी कर पाई है और न ही उसकी संपत्ति का पता चल पा रहा है. महिला तब से लगातार कोर्ट के चक्कर काट रही है. वहीं अब पारिवारिक न्यायालय अपर प्रधान न्यायाधीश संध्या श्रीवास्तव ने फाइल बंद कर एसएसपी को मामला दर्ज कर 3 महीने में रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं, जिसके बाद अब महिला को न्याय की आस जगी है.
2007 में दर्ज हुआ था मुकदमा
कानपुर महानगर के बिधनू निवासी सुनीता की शादी सचेंडी के सर्वेश के साथ 2002 में हुई थी. ससुराल के लोगों द्वारा प्रताड़ित करने की वजह से महिला 2005 से अपने मायके में रहने लगी. वहीं 2007 में पारिवारिक न्यायालय में गुजारा भत्ता के लिए उसने मुकदमा दर्ज कराया था. कोर्ट ने वर्ष 2009 में सुनीता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सर्वेश को 1200 रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने के निर्देश दिए.
पति के नाम जमीन नहीं
वहीं सचिन को पुलिस ने 2011 में फरार होने की रिपोर्ट कोर्ट को दी. इस बीच कोर्ट ने 2017 में सुनीता की भरण-पोषण धनराशि बढ़ाकर 2500 कर दी, लेकिन 11 साल बीत जाने के बावजूद आज तक महिला को गुजारा भत्ता मिलना शुरू तक नहीं हुआ. पति के नाम कोई जमीन भी न होने के कारण संपत्ति भी कुर्क न होने के चलते उससे भी कोई फायदा नहीं हुआ है.
3 माह में देनी होगी रिपोर्ट
कोर्ट ने एसएसपी को 3 माह में जांच कर रिपोर्ट देने के लिए कहा है. इसके बाद महिला को आस जगी है कि अब न्याय मिलेगा. अगर सर्वेश नहीं मिलता है तो उसे मृत मान लिया जाएगा. पति की मृत्यु के बाद कानूनन ससुर पर भत्ता देने की जिम्मेदारी आएगी. इसके अलावा वसीयत के आधार पर पत्नी को पति के हिस्से की संपत्ति का भी अधिकार प्राप्त होगा.