कानपुर: जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों से पहले पुलिस-प्रशासन ने एक-एक शस्त्र लाइसेंस का सत्यापन युद्ध स्तर पर किया जाएगा. बिकरु कांड में आठ पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या के मामले में पड़ताल में समाने आया था कि लाइसेंसी हथियारों का भी प्रयोग किया गया था. इतना ही नहीं कुख्यात हिस्ट्रीशीटर रहे विकास दुबे का भी आर्म लाइसेंस बना हुआ था. अब पुलिस के आलाधिकारी बिकरू कांड से सबक लेते हुए पंचायत चुनाव में सुरक्षा के मद्देनजर जिले के सभी असलहों के सत्यापन की प्रक्रिया को अमल में लाने जा रहा है.
यूपी का सबसे बड़ा शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़ा
बिकरू कांड के मुख्य आरोपित और मुठभेड़ में मारे जा चुके हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के शस्त्र लाइसेंस की फाइल समेत कुल 200 फाइलें कलक्ट्रेट से गायब हो गई हैं. बताया जा रहा है कि यह सभी शस्त्र लाइसेंस की फाइलें असलहा विभाग से गायब हुई थी. जानकारी के अनुसार, जांच में दोषी पाए गए तत्कालीन सहायक शस्त्र लिपिक विजय रावत पर कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज भी कराई गई थी. इतना ही नहीं एनकाउंटर में मार गिराया गया विकास दुबे अपने भाई दीपू दुबे और गुर्गों के नाम से जारी हुए आर्म लाइसेंस के असलहों को अपने पास रख कर अपराध किया करता था.
41 हजार शस्त्र लाइसेंस का होगा सत्यापन
पंचायत चुनाव की सुरक्षा के दृष्टिकोण से अब कानपुर पुलिस और प्रशासन ने अब तक जारी किए जा चुके 41000 शस्त्र लाइसेंसो का सत्यापन करने का कार्य शुरु कर दिया गया है. डीएम-एसएसपी ने सभी थानेदारों को लाइसेंसों के सत्यापन की प्रक्रिया 30 से 45 दिन में हर हाल में पूरा करने के निर्देश दिए हैं.