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हे भगवान! गंगा में उभरी रेत ही रेत..कहीं ये जलसंकट की दस्तक तो नहीं

गंगा नदी में दिखे रेत के टीले. कानपुर भैरवघाट पर ड्रेजर मशीनें लगाई गईं हैं. जलकल सचिव का दावा है कि विभाग जल संकट नहीं होने देगा.

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गंगा में उभरे रेत
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Published : Apr 12, 2022, 3:07 PM IST

कानपुर: कहते हैं कि जल की बूंद-बूंद में कई जीवन बसा होता है...ऐसे में जब नदी के पानी में सूखापन या बीच में रेत उभरे हुए दिखने लगे तो? कानपुर की 50 लाख से अधिक आबादी को जिस पानी की सप्लाई होती है, उसका सबसे बड़ा और अहम स्रोत यहां बहने वाली गंगा नदी है. वैसे तो पिछले सालों में मई-जून के बीच गंगा का पानी घाटों से दूर हो जाता था और रेत के टीले नजर आते थे. मगर, इस बार यह समस्या और भी गहराती दिख रही है. अप्रैल के पहले हफ्ते से ही गंगा नदी में रेत उभरे दिख रहे हैं.

गंगा में उभरे रेत
सीएसए के मौसम वैज्ञानिक डॉ.एसएन पांडेय ने बताया कि 2012 के बाद ऐसा हुआ है, जब इन दिनों अधिकतम तापमान 42 डिग्री या उससे अधिक दर्ज हो रहा है. उन्होंने कहा कि इतनी अधिक गर्मी है कि पानी बहुत तेजी से सूख रहा है. यही हाल रहा तो गंगा का पानी बहुत कम हो जाएगा.जलसंकट नहीं होने देंगेः जल विभाग के अफसर कह रहे हैं कि वह जलसंकट नहीं होने देंगे. अगर पानी कम होता है तो भैरवघाट पर गंगा की दूसरी धारा से पानी खींचने के लिए ड्रेजर मशीनें लगाई गई हैं, साथ ही अभी गंगा बैराज के 8 से 10 गेट खोले गए हैं और जरूरत पड़ने पर सभी 30 गेट खोल दिए जाएंगे.
जल संकट
जल संकट

यह भी पढ़ें- गोरखपुर: राप्ती नदी में गिर रहा प्रदूषित जल, एनजीटी के आदेश के बाद भी प्रशासन की पहल धीमी


हालांकि, गर्मी को देखते हुए घरों, कार्यालयों व संस्थानों समेत अन्य स्थानों पर पानी का अधिक से अधिक उपयोग किया जा रहा है. इस वजह से शहर में आए दिन किसी न किसी मोहल्ले में पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है. जलकल सचिव केपी आनंद ने कहा कि शहर में जलसंकट की स्थिति न बने, इसके लिए विभाग सभी तरह के प्रबंध कर रहा है.

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कानपुर: कहते हैं कि जल की बूंद-बूंद में कई जीवन बसा होता है...ऐसे में जब नदी के पानी में सूखापन या बीच में रेत उभरे हुए दिखने लगे तो? कानपुर की 50 लाख से अधिक आबादी को जिस पानी की सप्लाई होती है, उसका सबसे बड़ा और अहम स्रोत यहां बहने वाली गंगा नदी है. वैसे तो पिछले सालों में मई-जून के बीच गंगा का पानी घाटों से दूर हो जाता था और रेत के टीले नजर आते थे. मगर, इस बार यह समस्या और भी गहराती दिख रही है. अप्रैल के पहले हफ्ते से ही गंगा नदी में रेत उभरे दिख रहे हैं.

गंगा में उभरे रेत
सीएसए के मौसम वैज्ञानिक डॉ.एसएन पांडेय ने बताया कि 2012 के बाद ऐसा हुआ है, जब इन दिनों अधिकतम तापमान 42 डिग्री या उससे अधिक दर्ज हो रहा है. उन्होंने कहा कि इतनी अधिक गर्मी है कि पानी बहुत तेजी से सूख रहा है. यही हाल रहा तो गंगा का पानी बहुत कम हो जाएगा.जलसंकट नहीं होने देंगेः जल विभाग के अफसर कह रहे हैं कि वह जलसंकट नहीं होने देंगे. अगर पानी कम होता है तो भैरवघाट पर गंगा की दूसरी धारा से पानी खींचने के लिए ड्रेजर मशीनें लगाई गई हैं, साथ ही अभी गंगा बैराज के 8 से 10 गेट खोले गए हैं और जरूरत पड़ने पर सभी 30 गेट खोल दिए जाएंगे.
जल संकट
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हालांकि, गर्मी को देखते हुए घरों, कार्यालयों व संस्थानों समेत अन्य स्थानों पर पानी का अधिक से अधिक उपयोग किया जा रहा है. इस वजह से शहर में आए दिन किसी न किसी मोहल्ले में पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है. जलकल सचिव केपी आनंद ने कहा कि शहर में जलसंकट की स्थिति न बने, इसके लिए विभाग सभी तरह के प्रबंध कर रहा है.

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