कानपुर: कोविड-19 महामारी के बीच रुपये के लालच में कुछ लोग मरीजों की जान से खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं. ऐसा ही मामला कानपुर में सामने आया, जहां वाहन चेकिंग के दौरान दो कार सवार युवकों को ब्लैक फंगस में इस्तेमाल होने वाले 68 नकली इंजेक्शन के साथ पुलिस ने धर दबोचा. पकड़े गए अभियुक्तों के पास से लखनऊ के नंबर वाली हाईकोर्ट लिखी कार और 1 लाख 8 हजार रुपये कैश भी बरामद हुआ है. पुलिस गिरोह में शामिल अन्य अभियुक्तों की तलाश में जुटी है.
मिलान करने पर नकली निकले इंजेक्शन
महानगर के ग्वालटोली थाना क्षेत्र में पुलिस को ब्लैक फंगस के नकली इंजेक्शन बेचे जाने की सूचना मिली थी. जिसके बाद चेकिंग के दौरान पुलिस ने काले रंग की एक एक्सयूवी कार को रोककर उसकी तलाशी. इस दौरान पुलिस को कार सवार दो अभियुक्तों के कब्जे से ब्लैक फंगस बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन भारी मात्रा में बरामद हुए. ब्लैक फंगस में मरीज को लगाने वाले एम्फोनेम्स (Amphonemes) ब्रांड के लाइपोजोबल एम्फोटोरेसन इंजेक्शन के 68 वायलों का जब मिलान किया तो उनमें एक ही बैच पड़ा था. पुलिस ने अभियुक्तों से पूछताछ की तो पता चला कि सभी इंजेक्शन नकली हैं. गिरफ्तार अभियुक्तों ने अपने नाम ज्ञानेश शर्मा और प्रकाश मिश्रा बताया है.
लाखों रुपये के साथ 5 मोबाइल बरामद
गिरफ्तार अभियुक्तों ने बताया कि वे लोग प्रयागराज में रहने वाले पंकज अग्रवाल, कानपुर के यशोदा नगर मछरिया निवासी मधुरम बाजपेयी, किदवई नगर निवासी शुभम तिवारी उर्फ कैन्हया जो कि दवा डिस्ट्रीब्यूटर और मेडिकल स्टोर संचालित करते हैं और उन्हें ब्लैक फंगस के नकली इंजेक्शन उपलब्ध कराते हैं. गिरफ्तार अभियुक्त इन इंजेक्शन को मरीजों के तीमारदारों, अस्पताल संचालकों और मेडिकल स्टोरों के माध्यम से 11 हजार रुपये में बेच देते हैं. गिरफ्तार अभियुक्तों के पास से 1 लाख 80 हजार रुपये समेत 5 मोबाइल फोन भी बरामद किए गए हैं.
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नकली इंजेक्शन बेचने के मामले में गिरफ्तार ज्ञानेश शर्मा और प्रकाश मिश्रा पर मुकदमा दर्ज किया गया है. एक ही बैच के बरामद इंजेक्शनों के सैम्पल लेकर लैब जांच के लिए भेजे गए हैं. इसके साथ ही आरोपियों पर रासुका की कार्रवाई भी की जा रही है. पुलिस आयुक्त द्वारा गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम को 10 हजार का पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है.
-संजीव त्यागी, डीसीपी