कानपुर: जिले में एक विद्यालय में शिक्षा की अलख जगाने के लिए भारतीय रेल का सहारा लिया जा रहा है. जी हां, यहां शिक्षा की ऐसी रेल चलाई जा रही है, जिसे हर बच्चा पकड़ना चाहेगा. इस विद्यालय को आकर्षक बनाने के लिए पूरे स्कूल को ट्रेन (train wala school) के रूप में बनाया और सजाया गया है. विद्यालय को बिल्कुल रेल के डिब्बों की तर्ज पर अनोखा रूप दिया गया है. इतना ही नहीं, विद्यालय पहुंचने पर छात्र- छात्राओं का स्वागत भी गर्मजोशी के साथ किया जाता है. साथ ही कोविड 19 की नियमावली का भी विशेष ध्यान रखा जाता है.
जनपद मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर भीतरगांव बेहंटा के गंभीरपुर गांव में परिषदीय विद्यालय भवन को शिक्षा की ट्रेन के रूप में सजाया गया है. पेंटिंग इलाके में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. विद्यालय के शिक्षिकाओं की कल्पना को साकार करने के लिए स्कूल के कमरों और दीवारों को रेल के डिब्बों (train wala school) के रूप बनाया गया है. स्कूल की किचेन को ट्रेन के इंजन के रूप में सजाया गया है. शिक्षाधिकारी की माने तो यह जिले का ऐसा पहला स्कूल है, जिसे रेल की बोगी की तरह सजाया और सवांरा गया है.
ये है शिक्षा की ट्रेन
देश में लॉकडाउन के बाद अस्त-व्यस्त हुई शिक्षा प्रणाली को रोचक ढंग से पटरी पर लाने के लिए यह तैयारी की गई है. इससे स्कूल आने वाले बच्चों को नया और आकर्षक माहौल मिल सकेगा. साथ ही बच्चे पूरे मन से स्कूल में पढ़ाई करने के लिए आएंगे.
कभी नहीं छूटेगी शिक्षा की ट्रेन
विद्यालय प्रधानाध्यापक इला पांडेय ने बताया कि राजस्थान में ऐसे स्कूल के बारे में जानने के बाद मन मे यह ख्याल आया. कायाकल्प योजना के तहत स्कूल भवन को रंगाई-पुताई कर ट्रेन (train wala school) के रूप में सजाने की योजना बनाई गई. इसके बाद रेल के डिब्बों और इंजन की कल्पना को स्कूल भवन में साकार किया गया. इस अभिनव प्रयोग में पंचायत सचिव रामपाल ने भी योगदान दिया. स्कूल भवन जब रंग-पुतकर तैयार हुआ तो देखने वाले मंत्रमुग्ध हो गए. इतना ही नहीं स्कूल को दूर से देखने पर लगता है कि स्कूल नहीं, बल्कि कभी ना छूटने वाली रेलगाड़ी खड़ी हो. अब स्कूल भवन के रेल लुक को देखने के लिए ग्रामीण और अन्य स्कूलों के शिक्षक भी आ रहे हैं.