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महाभारत काल से भी पुराना है यह मंदिर, अश्वत्थामा आज भी यहां करते हैं प्रथम पूजन - महाशिवरात्रि

यूपी के कानपुर में शिवराजपुर स्थित खेरेश्वर मंदिर की बहुत सी विशेषताएं हैं. कहते हैं कि महाभारत काल के समय से लोग इस मंदिर में पूजा करने के लिए आ रहे हैं. मान्यता है कि यहां पर आज भी अश्वत्थामा पूजा करने के लिए आते हैं.

महाभारत काल से भी पुराना है यह मंदिर
महाभारत काल से भी पुराना है यह मंदिर
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Published : Mar 11, 2021, 10:35 PM IST

कानपुर: देशभर में गुरुवार को महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया गया. देशभर के शिवालयों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ जुटी थी. कानपुर में भी जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर शिवराजपुर स्थित खेरेश्वर मंदिर में रात से ही भक्तों की भीड़ लगना शुरू हो गई थी. सभी बाबा भोलेनाथ के दर्शन पाने लिए घंटों लाइन में लगे थे.

महाभारत काल से भी पुराना है यह मंदिर

5000 साल पुराना है मंदिर
मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है. कहा जाता है कि मंदिर लगभग 5000 साल पुराना पांडव काल का है. इस मंदिर की कई और विशेषताएं भी हैं. कहते हैं कि महाभारत काल के समय से लोग इस मंदिर में पूजा करने के लिए आ रहे हैं. मान्यता है कि शिवलिंग किसी के द्वारा स्थापित नहीं किया गया है यह स्वयं निकला है. जिस वजह से इसको स्वयंभू भी कहते हैं.

अश्वत्थामा आज भी आते हैं पूजा करने
मान्यता है कि यहां पर आज भी अश्वत्थामा पूजा करने के लिए आते हैं. लोगों का कहना है कि कई बार यहां कैमरे लगाए गए लेकिन, जब भी सुबह मंदिर के पट खुलते हैं तब मंदिर में पहले से ही पूजा हुई होती है. शिवलिंग के ऊपर फूल चढ़े मिलते हैं और अभिषेक हुआ मिलता है.

कानपुर: देशभर में गुरुवार को महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया गया. देशभर के शिवालयों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ जुटी थी. कानपुर में भी जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर शिवराजपुर स्थित खेरेश्वर मंदिर में रात से ही भक्तों की भीड़ लगना शुरू हो गई थी. सभी बाबा भोलेनाथ के दर्शन पाने लिए घंटों लाइन में लगे थे.

महाभारत काल से भी पुराना है यह मंदिर

5000 साल पुराना है मंदिर
मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है. कहा जाता है कि मंदिर लगभग 5000 साल पुराना पांडव काल का है. इस मंदिर की कई और विशेषताएं भी हैं. कहते हैं कि महाभारत काल के समय से लोग इस मंदिर में पूजा करने के लिए आ रहे हैं. मान्यता है कि शिवलिंग किसी के द्वारा स्थापित नहीं किया गया है यह स्वयं निकला है. जिस वजह से इसको स्वयंभू भी कहते हैं.

अश्वत्थामा आज भी आते हैं पूजा करने
मान्यता है कि यहां पर आज भी अश्वत्थामा पूजा करने के लिए आते हैं. लोगों का कहना है कि कई बार यहां कैमरे लगाए गए लेकिन, जब भी सुबह मंदिर के पट खुलते हैं तब मंदिर में पहले से ही पूजा हुई होती है. शिवलिंग के ऊपर फूल चढ़े मिलते हैं और अभिषेक हुआ मिलता है.

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