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गर्मियों में पशु-पक्षियों की भूख मिटाने के लिए आगे आया यह संगठन

उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन के चलते लोगों के साथ-साथ पशु-पक्षियों को भी काफी परेशानी हो रही है. इन बेजुबानों की तरफ काफी कम लोगों का ध्यान जा रहा है. वहीं कानपुर में एक संगठन 23 मार्च से बेजुबानों के खाने-पीने का इंतजाम कर रहा है.

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बेजुबानों की मदद के लिए आगे आया कानपुर वाले क्रांतिकारी संगठन.
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Published : Apr 14, 2020, 4:42 PM IST

कानपुर: कोरोना वायरस को लेकर एक तरफ जहां आम जनमानस परेशान दिखाई दे रहा है, वहीं इन दिनों सबसे ज्यादा परेशानी उन बेजुबानों को हो रही है, जो बोल भी नहीं सकते हैं. कुछ संस्थाएं लोगों की जरूरतों को ध्यान दे रहीं हैं, लेकिन पशु-पक्षियों पर शायद ही किसी का ध्यान गया हो, लेकिन एक संस्था कानपुर का क्रांतिकारी संगठन पिछले 23 मार्च से लगातार शहर के विभिन्न क्षेत्रों में पहुंचकर बेजुबानों के लिए भोजन-पानी की व्यवस्था कर रहा है.

बेजुबानों की मदद के लिए आगे आया संगठन.

कानपुर वाले क्रांतिकारी संगठन के पदाधिकारी आशीष मिश्रा ने बताया कि इस संकट की घड़ी में लोगों के लिए तो स्वयंसेवी संगठन, संस्थाएं जागरूक दिखाई दे रही हैं, लेकिन पशु-पक्षियों की तरफ शायद ही किसी का ध्यान जा रहा है. उन्होंने सभी से इनकी मदद के लिए आगे आने की अपील की.

घरों में कैद हैं लोग, बंद हैं फैक्ट्रियां, कल कल बह रही मां गंगा

आशीष मिश्रा ने कहा कि अपने घर के बालकनी में, छतों पर या कहीं भी मोहल्ले के आसपास इन सभी के लिए भोजन पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करें, जिससे इन्हें भी कोई परेशानी न हो. उन्होंने कहा कि यह आपदा केवल आपके लिए ही नहीं, बल्कि इन पशु-पक्षियों के लिए भी है. इसलिए घर के आस पास कुछ न कुछ भोजन-पानी की व्यवस्था जरूर करके रखें.

कानपुर: कोरोना वायरस को लेकर एक तरफ जहां आम जनमानस परेशान दिखाई दे रहा है, वहीं इन दिनों सबसे ज्यादा परेशानी उन बेजुबानों को हो रही है, जो बोल भी नहीं सकते हैं. कुछ संस्थाएं लोगों की जरूरतों को ध्यान दे रहीं हैं, लेकिन पशु-पक्षियों पर शायद ही किसी का ध्यान गया हो, लेकिन एक संस्था कानपुर का क्रांतिकारी संगठन पिछले 23 मार्च से लगातार शहर के विभिन्न क्षेत्रों में पहुंचकर बेजुबानों के लिए भोजन-पानी की व्यवस्था कर रहा है.

बेजुबानों की मदद के लिए आगे आया संगठन.

कानपुर वाले क्रांतिकारी संगठन के पदाधिकारी आशीष मिश्रा ने बताया कि इस संकट की घड़ी में लोगों के लिए तो स्वयंसेवी संगठन, संस्थाएं जागरूक दिखाई दे रही हैं, लेकिन पशु-पक्षियों की तरफ शायद ही किसी का ध्यान जा रहा है. उन्होंने सभी से इनकी मदद के लिए आगे आने की अपील की.

घरों में कैद हैं लोग, बंद हैं फैक्ट्रियां, कल कल बह रही मां गंगा

आशीष मिश्रा ने कहा कि अपने घर के बालकनी में, छतों पर या कहीं भी मोहल्ले के आसपास इन सभी के लिए भोजन पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करें, जिससे इन्हें भी कोई परेशानी न हो. उन्होंने कहा कि यह आपदा केवल आपके लिए ही नहीं, बल्कि इन पशु-पक्षियों के लिए भी है. इसलिए घर के आस पास कुछ न कुछ भोजन-पानी की व्यवस्था जरूर करके रखें.

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