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मोहब्बत की निशानी कानपुर का जिला अस्पताल, अल्बर्ट हॉर्समैन ने पत्नी की याद में बनवाया था हॉस्पिटल - कानपुर का समाचार

कानपुर का जिला अस्पताल बेपनाह मोहब्बत की निशानी है. इसको अल्बर्ट फ्रांसिस हॉर्समैन के बेटे अल्बर्ट हॉर्समैन ने पत्नी उर्सला की याद में बनवाया था.

मोहब्बत की निशानी कानपुर का जिला अस्पताल
मोहब्बत की निशानी कानपुर का जिला अस्पताल
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Published : Mar 16, 2021, 9:39 PM IST

Updated : Mar 16, 2021, 10:25 PM IST

कानपुरः ये जिला यूं तो कई गौरवशाली इतिहास समेटे हुए हैं और कई ऐतिहासिक इमारतों के लिए मशहूर भी है. लेकिन आज आप को ईटीवी भारत कानपुर के जिला अस्पताल से जुड़ी एक ऐसी प्रेम कहानी बतायेगा, जिसको जानकर आप भी रोमांचित महसूस करेंगे. कानपुर का जिला अस्पताल उर्सला के नाम से जाना और पहचाना जाता है. इस सरकारी अस्पताल के एक ऐसे अनछुए पहलू से आप को रूबरू करायेंगे. जो अटूट प्रेम की एक कहानी को संजोए हुए है.

मोहब्बत की निशानी कानपुर का जिला अस्पताल

हॉसमैन और उर्सला की प्रेम कहानी

अल्बर्ट फ्रांसिस हॉर्समैन के बेटे अल्बर्ट हॉर्समैन की शादी वर्ष 1921 में उर्सला से हुई थी. दोनों एक दूसरे से बेपनाह मोहब्बत करते थे. अल्बर्ट हॉर्समैन की उर्सला से मोहब्बत की बानगी इसी बात से पता चलती थी कि वो अपनी खूबसूरत पत्नी उर्सला को हुस्न-ए-मल्लिका के उपनाम से भी संबोधित करते थे. इन दोनों से 4 संताने हेनरी, जॉन, मोराइनी और पीटर पैदा हुई थीं. लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था. साल 1935 में ब्रिटिश इम्पीरियल एयरवेज का विमान दुर्घटना में क्रैश हो गया. उस विमान में सफर कर रही उर्सला की आकस्मिक मौत हो गई. एकाएक हुई उर्सला की मौत ने अल्बर्ट हॉर्समैन को न सिर्फ व्यथित कर दिया, बल्कि अंदर से तोड़कर रख दिया. कुछ समय बाद उर्सला की यादों को संजोने के लिए ही अल्बर्ट हॉर्समैन ने उर्सला हॉर्समैन मेमोरियल अस्पताल की स्थापना कर दी.

कानपुर का जिला अस्पताल
कानपुर का जिला अस्पताल
अपनी कोठी को ही बना दिया था अस्पतालअल्बर्ट हॉर्समैन ने अपनी स्वर्गीय पत्नी उर्सला की मोहब्बत की स्मृतियों को सहेजने के लिए अपनी कोठी में ही 26 फरवरी 1937 में कानपुर के बड़े चौराहे के पास उर्सला हॉर्समैन मेमोरियल अस्पताल की स्थापना कर दी थी. शुरुआत में दो कमरों से शुरू हुए उर्सला अस्पताल में आज 550 बेड का अस्पताल बन गया है. जिसको मंडलीय चिकित्सालय के रूम में जाना जाता है. जिसमें कार्डिएक यूनिट, बर्न यूनिट, डायलिसिस यूनिट, ब्लड कॉम्पोनेन्ट सेपरेटर, मॉड्यूलर ओटी, आधुनिक पैथोलॉजी के साथ तमाम चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध हैं.

उर्सला हॉर्समैन की याद में मनाया जाता है स्थापना दिवस

उर्सला हॉर्समैन मेमोरियल अस्पताल के सीएमएस डॉक्टर अनिल कुमार ईटीवी भारत से ख़ास बातचीत करते हुए बताते है कि उर्सला जी की याद में हम लोग हर साल 26 फरवरी को स्थापना दिवस के रूप में मनाते है. अस्पताल में प्रवेश करते ही उनके आशीर्वाद को हम लोग महसूम करते हैं.

कानपुरः ये जिला यूं तो कई गौरवशाली इतिहास समेटे हुए हैं और कई ऐतिहासिक इमारतों के लिए मशहूर भी है. लेकिन आज आप को ईटीवी भारत कानपुर के जिला अस्पताल से जुड़ी एक ऐसी प्रेम कहानी बतायेगा, जिसको जानकर आप भी रोमांचित महसूस करेंगे. कानपुर का जिला अस्पताल उर्सला के नाम से जाना और पहचाना जाता है. इस सरकारी अस्पताल के एक ऐसे अनछुए पहलू से आप को रूबरू करायेंगे. जो अटूट प्रेम की एक कहानी को संजोए हुए है.

मोहब्बत की निशानी कानपुर का जिला अस्पताल

हॉसमैन और उर्सला की प्रेम कहानी

अल्बर्ट फ्रांसिस हॉर्समैन के बेटे अल्बर्ट हॉर्समैन की शादी वर्ष 1921 में उर्सला से हुई थी. दोनों एक दूसरे से बेपनाह मोहब्बत करते थे. अल्बर्ट हॉर्समैन की उर्सला से मोहब्बत की बानगी इसी बात से पता चलती थी कि वो अपनी खूबसूरत पत्नी उर्सला को हुस्न-ए-मल्लिका के उपनाम से भी संबोधित करते थे. इन दोनों से 4 संताने हेनरी, जॉन, मोराइनी और पीटर पैदा हुई थीं. लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था. साल 1935 में ब्रिटिश इम्पीरियल एयरवेज का विमान दुर्घटना में क्रैश हो गया. उस विमान में सफर कर रही उर्सला की आकस्मिक मौत हो गई. एकाएक हुई उर्सला की मौत ने अल्बर्ट हॉर्समैन को न सिर्फ व्यथित कर दिया, बल्कि अंदर से तोड़कर रख दिया. कुछ समय बाद उर्सला की यादों को संजोने के लिए ही अल्बर्ट हॉर्समैन ने उर्सला हॉर्समैन मेमोरियल अस्पताल की स्थापना कर दी.

कानपुर का जिला अस्पताल
कानपुर का जिला अस्पताल
अपनी कोठी को ही बना दिया था अस्पतालअल्बर्ट हॉर्समैन ने अपनी स्वर्गीय पत्नी उर्सला की मोहब्बत की स्मृतियों को सहेजने के लिए अपनी कोठी में ही 26 फरवरी 1937 में कानपुर के बड़े चौराहे के पास उर्सला हॉर्समैन मेमोरियल अस्पताल की स्थापना कर दी थी. शुरुआत में दो कमरों से शुरू हुए उर्सला अस्पताल में आज 550 बेड का अस्पताल बन गया है. जिसको मंडलीय चिकित्सालय के रूम में जाना जाता है. जिसमें कार्डिएक यूनिट, बर्न यूनिट, डायलिसिस यूनिट, ब्लड कॉम्पोनेन्ट सेपरेटर, मॉड्यूलर ओटी, आधुनिक पैथोलॉजी के साथ तमाम चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध हैं.

उर्सला हॉर्समैन की याद में मनाया जाता है स्थापना दिवस

उर्सला हॉर्समैन मेमोरियल अस्पताल के सीएमएस डॉक्टर अनिल कुमार ईटीवी भारत से ख़ास बातचीत करते हुए बताते है कि उर्सला जी की याद में हम लोग हर साल 26 फरवरी को स्थापना दिवस के रूप में मनाते है. अस्पताल में प्रवेश करते ही उनके आशीर्वाद को हम लोग महसूम करते हैं.

Last Updated : Mar 16, 2021, 10:25 PM IST
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