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आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस के जरिए अपराध होने से पहले मौके पर पहुंचेगी पुलिस - Police Commissioner Aseem Arun

कानपुर कमिशनरी पुलिस अब क्राइम कंट्रोल करने के लिए आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस का सहारा लेने जा रही है. डायल-112 के स्टोर डाटा के एनालिसिस के आधार पर आईआईटी में तैयार किया गया सॉफ्टवेयर क्राइम घटने के दिन, समय और तारीख तक तय करेगा. होने वाले क्राइम के बारे में पुलिस के पास अपराध घटने की आशंका वाले क्षेत्रों में पुलिस को अपराध नियंत्रण की पेट्रोलिंग में सहायता मिलेगी. पायलट प्रोजेक्ट की तरह शुरुआती दौर में कल्याणपुर सर्किल के तीन थानों से आगाज किया जाएगा.

सॉफ्टवेयर बढ़ाएगा पुलिस का रिस्पॉन्स
सॉफ्टवेयर बढ़ाएगा पुलिस का रिस्पॉन्स
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Published : Apr 9, 2021, 3:32 PM IST

कानपुर : अब कानपुर पुलिस अपराध होने के पहले ही मौके पर पहुंच जाएगी. इसके लिए पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से अपराध पर लगाम और अपराधियों पर नकेल कसने की तैयारी कर ली है. अब पुलिसिंग में टेक्नोलॉजी का अभिनव प्रयोग देखने को मिलेगा.

दरअसल, आईआईटी कानपुर के टेक्नोक्रेट ने क्राइम कंट्रोल करने वाला एक साफ्टवेयर तैयार कर पुलिस को सौंपा है. इसे एक सप्ताह के अंदर पायलट प्रोजेक्ट के तहत थाना कल्याणपुर,बिठूर और पनकी में तैनात किया जाएगा. टेक्नोलॉजी की मदद से अपराध नियंत्रण को लेकर देश में पहली बार कानपुर पुलिस यह प्रयोग करने जा रही है.

कानपुर पुलिस के इस अभिनव प्रयोग की सफलता बदल देगी यूपी पुलिसिंग की तस्वीर

यह भी पढ़ें : पुलिस भर्ती का फॉर्म लेने गई दलित युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म


सॉफ्टवेयर बढ़ाएगा पुलिस का रिस्पॉन्स
पुलिस आयुक्त असीम अरुण बताते हैं कि डायल-112 में उनकी तैनाती के दौरान आईआईटी कानपुर के साथ अपराध नियंत्रण के लिए तकनीकी अनुसंधान को लेकर पूर्व में एक समझौता हुआ था.

इसी के तहत आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ डॉयल-112 के पांच साल के डाटा को लेकर इस पर शोधकर एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है. यह बताएगा कि पुलिस की पीआरवी वाहनों को कब और कहां पेट्रोलिंग करनी है.

इससे न सिर्फ पुलिस जल्द रिस्पांस कर पाएगी बल्कि पीआरवी वाहनों के ईंधन की भी बचत होगी.


यह भी पढ़ें : प्रो. विनय पाठक बने कानपुर विश्वविद्यालय के नए कुलपति

आईआईटी के कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग विभाग ने तैयार किया सॉफ्टवेयर
आईआईटी कानपुर के कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डॉ. निशीथ श्रीवास्तव बताते हैं कि पुलिस को एक साफ्टवेयर तैयार कर सौंपा गया है जो अपराध के पुराने आंकड़ों के आधार पर होने वाले अपराध को लेकर अलर्ट करता है.

साथ ही संभावना जताता है कि पुलिस को किस वक्त किन क्षेत्रों में मौजूद रहना चाहिए. आने वाले दिनों में कहां अपराध घटने की अधिक आशंका है, इसकी भी यह जानकारी देता है. इससे पुलिस अपनी विजिबिलिटी बढ़ाकर अपराध को नियंत्रित कर सकती है.

कानपुर : अब कानपुर पुलिस अपराध होने के पहले ही मौके पर पहुंच जाएगी. इसके लिए पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से अपराध पर लगाम और अपराधियों पर नकेल कसने की तैयारी कर ली है. अब पुलिसिंग में टेक्नोलॉजी का अभिनव प्रयोग देखने को मिलेगा.

दरअसल, आईआईटी कानपुर के टेक्नोक्रेट ने क्राइम कंट्रोल करने वाला एक साफ्टवेयर तैयार कर पुलिस को सौंपा है. इसे एक सप्ताह के अंदर पायलट प्रोजेक्ट के तहत थाना कल्याणपुर,बिठूर और पनकी में तैनात किया जाएगा. टेक्नोलॉजी की मदद से अपराध नियंत्रण को लेकर देश में पहली बार कानपुर पुलिस यह प्रयोग करने जा रही है.

कानपुर पुलिस के इस अभिनव प्रयोग की सफलता बदल देगी यूपी पुलिसिंग की तस्वीर

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सॉफ्टवेयर बढ़ाएगा पुलिस का रिस्पॉन्स
पुलिस आयुक्त असीम अरुण बताते हैं कि डायल-112 में उनकी तैनाती के दौरान आईआईटी कानपुर के साथ अपराध नियंत्रण के लिए तकनीकी अनुसंधान को लेकर पूर्व में एक समझौता हुआ था.

इसी के तहत आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ डॉयल-112 के पांच साल के डाटा को लेकर इस पर शोधकर एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है. यह बताएगा कि पुलिस की पीआरवी वाहनों को कब और कहां पेट्रोलिंग करनी है.

इससे न सिर्फ पुलिस जल्द रिस्पांस कर पाएगी बल्कि पीआरवी वाहनों के ईंधन की भी बचत होगी.


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आईआईटी के कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग विभाग ने तैयार किया सॉफ्टवेयर
आईआईटी कानपुर के कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डॉ. निशीथ श्रीवास्तव बताते हैं कि पुलिस को एक साफ्टवेयर तैयार कर सौंपा गया है जो अपराध के पुराने आंकड़ों के आधार पर होने वाले अपराध को लेकर अलर्ट करता है.

साथ ही संभावना जताता है कि पुलिस को किस वक्त किन क्षेत्रों में मौजूद रहना चाहिए. आने वाले दिनों में कहां अपराध घटने की अधिक आशंका है, इसकी भी यह जानकारी देता है. इससे पुलिस अपनी विजिबिलिटी बढ़ाकर अपराध को नियंत्रित कर सकती है.

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