कानपुर: बीते गुरुवार की रात शातिर अपराधी विकास दुबे के घर दबिश देने गई पुलिस टीम पर अपराधियों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं थी. इस हमले में पुलिस के आठ जवान शहीद हो गए, जबकि 7 पुलिसकर्मी घायल हुए थे. घायलों का इलाज कानपुर के रीजेंसी अस्पताल में चल रहा है. वहीं घटना के बाद जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने दो बदमाशों को मार गिराया था. घटना की रात दबिश देने गई पुलिस टीम में शामिल एसओ बिठूर ने मामले में बड़ा खुलासा किया है. एसओ बिठूर ने बताया कि आखिरकार उस काली रात को क्या कुछ हुआ था.
बिठूर SO ने बताई एनकाउंटर की हकीकत
एसओ कौशलेंद्र प्रताप ने बताया कि जिस दिन घटना हुई, उस दिन एसओ चौबेपुर द्वारा सूचना दी गई थी कि एक दबिश में चलना है. इसके बाद रात के करीब 12 बजे हम लोग थाने से निकले और 1 बजे विकास दुबे के घर पहुंच गए. हम लोगों ने अपने वाहन विकास के घर से करीब सौ डेढ़ सौ मीटर पहले ही रोक दिए थे, जिसके आगे हम लोग पैदल चलकर गए. पहले से ही हमारा रास्ता जेसीबी द्वारा रोककर रखा गया था, हम लोग धीरे-धीरे आगे बढ़ ही रहे थे कि तभी तक चारों तरफ से अंधाधुंध फायरिंग शुरू हो गई. इस दौरान हमें संभलने का मौका तक नहीं मिला. हम लोगों ने सहारा लेने की कोशिश की, लेकिन जब तक हम संभल पाते तब तक हमारे कई पुलिसकर्मियों को गोली लग चुकी थी.
जवाबी फायरिंग में नहीं दिख रहा था टारगेट
एसओ बिठूर के मुताबिक वे लोग यानी पुलिस वाले नीचे थे और अपराधी छतों पर से लगातार फायरिंग कर रहे थे. इस दौरान हम अपने टारगेट को सही से देख भी नहीं पा रहे थे. एसओ ने बताया कि घटना के समय मुझे अपने घायल सिपाहियों को बचाना ज्यादा जरूरी लगा. मैंने दो सिपाहियों को बचाया भी, इस दौरान मुझे भी गोली लग गई. क्योंकि अपराधी ऊपर से गोलियां चला रहे थे और हम लोग नीचे थे, जिसके चलते हम लोग टारगेट भी नहीं कर पा रहे थे. साथ ही फायरिंग से बचने के लिए हमारी कुछ टीम पीछे भी चली गई, जिस वजह से भी अपराधियों को पुलिस पर भारी पड़ने का मौका मिल गया. इस वजह से इतना बड़ा हत्याकांड हो गया. अपराधियों को भागने का समय भी इसी वजह से मिल गया क्योंकि उस वक्त पुलिस पार्टी पीछे चली गई थी.