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गुटखे के शहर कानपुर में हर साल मिल रहे 6 हजार कैंसर के नए मरीज, सांसद ने लिखा सीएम को पत्र

कानपुर में हर साल छह हजार कैंसर के नए मरीज आने पर चिंता जताते हुए सांसद पचौरी ने सीएम योगी को पत्र लिखा है. उन्होंने मरीजों के बेहतर इलाज और सुविधा के लिए जेके कैंसर को सवारने की मांग करते हुए 300 बेड और बंद पड़ी मशीनों को दोबार चालू कराने की मांग की है.

छह हजार कैंसर के नए मरीज
छह हजार कैंसर के नए मरीज
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Published : Feb 11, 2023, 10:38 PM IST

Updated : Feb 12, 2023, 5:58 PM IST

कानपुर में हर साल आ रहे 6 हजार से ज्यादा मरीज.

कानपुर: जनपद में हर साल 6 हजार नए कैंसर के मरीज आ रहे हैं. इसकी जानकारी जेके कैंसर अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. एसएन प्रसाद ने दी. उन्होंने बताया कि कैंसर के नए मरीजों को आंकड़ा सिर्फ कानपुर शहर का है. ऐसे में इसकी रोकथाम के लिए सख्त कदम उठाने और जागरूकता की जरूरत है. डॉ. एसएन प्रसाद ने बताया कि शहर में लेदर इंडस्ट्री वृहद रूप में है. व्यापार और शहर की उन्नति को देखते हुए तो यह अच्छा है. लेकिन, टेनरियों से बड़ी मात्रा में क्रोमियम और आर्सेनिक धातु निकलकर भूगर्भ जल को दूषित कर रहा है. जिसे पीकर टेनरियों के आस-पास रहने वाले लोग पेट के रोगों से ग्रसित हो रहे हैं. इस पानी को पीकर लीवर कैंसर, पेट का कैंसर समेत कई बीमारियां हो रही हैं. पिछले कुछ सालों में यह समस्या बढ़ती जा रही है.

डॉ. एसएन प्रसाद ने आगे बताया कि संस्थान में आने वाले मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. जो मरीज ओपीडी में दिखाते हैं, उनमें हर दूसरा मरीज ओरल कैंसर से पीड़ित है. उन्होंने कहा कि शहर के लोग गुटखा के लती हो गए हैं. जिसकी वजह से यह समस्या बढ़ती जा रही है. लोगों को इसके प्रति जागरूक होना होगा. सरकार अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही है. लेकिन, अगर हम खुद नहीं चेते तो यह समस्या बढ़ती जाएगी.

डॉ. प्रसाद ने कहा कि जेके कैंसर को रीजनल कैंसर इंस्टिट्यूट का दर्जा दिया जाए. इसके लिए केंद्र सरकार को प्रोजेक्ट बनाकर भेजा गया है. इसके तहत संस्थान को 45 करोड़ रुपये मिलेंगे, इस धनराशि से इंस्टिट्यूट का अपग्रेडेशन किया जाएगा. लीनियर एक्सीलेटर मशीन 3 साल से बंद है, इसे भी जल्द शुरू कराने की आवश्यकता है. डीजीएमई श्रुति सिंह ने अस्पताल में असुविधाओं को लेकर पिछले दिनों रोष जताते हुए कैंसर पीड़ितों को सभी सुविधाओं को देने के निर्देश भी दिए थे.

300 बेड और आधुनिक मशीन की मांग: वहीं, सांसद सत्यदेव पचौरी ने संस्थान को रीजनल अस्पताल बनाने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ को एक बार फिर से पत्र लिखा है. उन्होंने जेके कैंसर संस्थान को जल्द ही तीन सौ बेड की सुविधा देने के साथ आधुनिक मशीनों से पीड़ितों का इलाज करने की मांग की है. उन्होंने बताया कि जेके कैंसर संस्थान में हर साल नए छह हजार कैंसर के केस आ रहे हैं. इसके पीछे संस्थान के निदेशक डॉ. एसएन प्रसाद ने गुटखा की लत और पानी में क्रोमियन और आर्सेनिक तत्वों को बताया है. सांसद पचौरी ने कहा है कि संस्थान में शहर और आस-पास के दस जनपदों के कैंसर रोगी दिखाने आते हैं. इसलिए संस्थान में स्वास्थ्य सेवाएं बढ़ाने की आवश्यकता है.

सांसद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर कहा है कि जेके कैंसर अस्पताल में आधुनिक तकनीकी सुविधाएं न होने से अस्पताल मृतप्राय हो गया है. इस संस्थान में तीन सौ शैय्याओं की व्यवस्था व अन्य अत्याधुनिक मशीनों की स्थापना किया जाना समाज के निर्बल वर्ग को चिकित्सीय लाभ प्रदान कराने में सहायक होगा. उन्होंने कहा कि निदेशक (चिकित्सा शिक्षा) द्वारा किये गए निरीक्षण के समय की गयी सिफारिशों को तत्काल प्रभाव से लागू कराना जरूरी है. पचौरी ने कहा कि संस्थान में स्थापित लीनियर एक्सीलेटर मशीन से मरीज परेशान हैं. नई मशीन और जीवन रक्षक उपकरणों को क्रय किये जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाला जाना भी चिंताजनक है.


यह भी पढे़ं:Cervical Cancer से पीड़ित महिलाएं नहीं पहचान पाती शुरुआती लक्षण, अब बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध

कानपुर में हर साल आ रहे 6 हजार से ज्यादा मरीज.

कानपुर: जनपद में हर साल 6 हजार नए कैंसर के मरीज आ रहे हैं. इसकी जानकारी जेके कैंसर अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. एसएन प्रसाद ने दी. उन्होंने बताया कि कैंसर के नए मरीजों को आंकड़ा सिर्फ कानपुर शहर का है. ऐसे में इसकी रोकथाम के लिए सख्त कदम उठाने और जागरूकता की जरूरत है. डॉ. एसएन प्रसाद ने बताया कि शहर में लेदर इंडस्ट्री वृहद रूप में है. व्यापार और शहर की उन्नति को देखते हुए तो यह अच्छा है. लेकिन, टेनरियों से बड़ी मात्रा में क्रोमियम और आर्सेनिक धातु निकलकर भूगर्भ जल को दूषित कर रहा है. जिसे पीकर टेनरियों के आस-पास रहने वाले लोग पेट के रोगों से ग्रसित हो रहे हैं. इस पानी को पीकर लीवर कैंसर, पेट का कैंसर समेत कई बीमारियां हो रही हैं. पिछले कुछ सालों में यह समस्या बढ़ती जा रही है.

डॉ. एसएन प्रसाद ने आगे बताया कि संस्थान में आने वाले मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. जो मरीज ओपीडी में दिखाते हैं, उनमें हर दूसरा मरीज ओरल कैंसर से पीड़ित है. उन्होंने कहा कि शहर के लोग गुटखा के लती हो गए हैं. जिसकी वजह से यह समस्या बढ़ती जा रही है. लोगों को इसके प्रति जागरूक होना होगा. सरकार अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही है. लेकिन, अगर हम खुद नहीं चेते तो यह समस्या बढ़ती जाएगी.

डॉ. प्रसाद ने कहा कि जेके कैंसर को रीजनल कैंसर इंस्टिट्यूट का दर्जा दिया जाए. इसके लिए केंद्र सरकार को प्रोजेक्ट बनाकर भेजा गया है. इसके तहत संस्थान को 45 करोड़ रुपये मिलेंगे, इस धनराशि से इंस्टिट्यूट का अपग्रेडेशन किया जाएगा. लीनियर एक्सीलेटर मशीन 3 साल से बंद है, इसे भी जल्द शुरू कराने की आवश्यकता है. डीजीएमई श्रुति सिंह ने अस्पताल में असुविधाओं को लेकर पिछले दिनों रोष जताते हुए कैंसर पीड़ितों को सभी सुविधाओं को देने के निर्देश भी दिए थे.

300 बेड और आधुनिक मशीन की मांग: वहीं, सांसद सत्यदेव पचौरी ने संस्थान को रीजनल अस्पताल बनाने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ को एक बार फिर से पत्र लिखा है. उन्होंने जेके कैंसर संस्थान को जल्द ही तीन सौ बेड की सुविधा देने के साथ आधुनिक मशीनों से पीड़ितों का इलाज करने की मांग की है. उन्होंने बताया कि जेके कैंसर संस्थान में हर साल नए छह हजार कैंसर के केस आ रहे हैं. इसके पीछे संस्थान के निदेशक डॉ. एसएन प्रसाद ने गुटखा की लत और पानी में क्रोमियन और आर्सेनिक तत्वों को बताया है. सांसद पचौरी ने कहा है कि संस्थान में शहर और आस-पास के दस जनपदों के कैंसर रोगी दिखाने आते हैं. इसलिए संस्थान में स्वास्थ्य सेवाएं बढ़ाने की आवश्यकता है.

सांसद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर कहा है कि जेके कैंसर अस्पताल में आधुनिक तकनीकी सुविधाएं न होने से अस्पताल मृतप्राय हो गया है. इस संस्थान में तीन सौ शैय्याओं की व्यवस्था व अन्य अत्याधुनिक मशीनों की स्थापना किया जाना समाज के निर्बल वर्ग को चिकित्सीय लाभ प्रदान कराने में सहायक होगा. उन्होंने कहा कि निदेशक (चिकित्सा शिक्षा) द्वारा किये गए निरीक्षण के समय की गयी सिफारिशों को तत्काल प्रभाव से लागू कराना जरूरी है. पचौरी ने कहा कि संस्थान में स्थापित लीनियर एक्सीलेटर मशीन से मरीज परेशान हैं. नई मशीन और जीवन रक्षक उपकरणों को क्रय किये जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाला जाना भी चिंताजनक है.


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Last Updated : Feb 12, 2023, 5:58 PM IST
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