कानपुर: महानगर में फर्जी असलहा लाइसेंस का मामला सामने आया है. 5 हजार से अधिक असलहा लाइसेंस की फाइलों की जांच एसआईटी को सौंपी गई. इनमें 2 हजार फाइलों को संदिग्ध माना जा रहा है. बिना स्वीकृति और अनुमोदन के लाइसेंस जारी नहीं होते हैं, लेकिन इनमें सिर्फ हस्ताक्षर कर ही लाइसेंस जारी कर दिए गए. इसके लिए जिलाधिकारी ने शासन से एसआईटी गठित कर जांच कराने को कहा है.
कई बार हुआ असलहों के लाइसेंस में फर्जीवाड़ा
कानपुर महानगर में लगातार असलहों के लाइसेंस में फर्जीवाड़ा सामने आता रहा है. अभी हाल ही में 94 से अधिक असलहों पर डीएम के फर्जी सिग्नेचर बनाकर लाइसेंस जारी कर दिए गए थे. बाद में सभी पर निस्तारण की कार्रवाई करने के साथ मुकदमा भी दर्ज किया गया. वहीं ट्रैवल लाइसेंस के नाम पर भी काफी बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था. अब एक बार फिर इन लाइसेंसों को संदिग्ध मानते हुए जिलाधिकारी ने सभी की एसआईटी जांच की मांग की है.
सिटी मजिस्ट्रेट की जांच में हुआ खुलासा
असलहा लाइसेंस जारी करने में हुए फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद जिलाधिकारी आलोक तिवारी ने सिटी मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में टीम बनाकर लाइसेंस की जांच कराई तो यह बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया. जांच में पता चला कि 2066 ऐसे असलहा लाइसेंस मिले, जिनकी फाइलों में स्वीकृति, सहमति और अनुमोदित शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है. साथ ही 3112 शस्त्र लाइसेंसों में इन शब्दों का इस्तेमाल किया गया और हस्ताक्षर भी पाए गए, लेकिन वह हस्ताक्षर किस अधिकारी के हैं यह सामने नहीं आया है.
हस्ताक्षर के साथ ही अधिकारी का नाम और पद भी नहीं लिखा हुआ है, जिससे इनको संदिग्ध माना जा रहा है. जांच के दौरान 25 ऐसी फाइलें मिली हैं, जिनमें सिर्फ दो पन्नों की पूरी फाइल है. ऐसे में इन फाइलों में सत्यापन होने का कोई सवाल नहीं है. जिलाधिकारी ने शासन से इस मामले की एसआईटी जांच कराने की संस्तुति कर दी है.