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राह निहारती मां का हुआ इंतकाल, 28 साल बाद पाकिस्तान जेल से लौटे शमसुद्दीन

यूपी के कानपुर जिले के रहने वाले शमसुद्दीन कई साल पहले पाकिस्तान घूमने गए थे, जिन्हें वहां पर जासूसी के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था. भारत सरकार के प्रयासों के बाद साल बाद उनकी जेल से रिहाई की गई है. इसकी खबर सुनते ही उनके परिजनों में खुशी की लहर है.

शमसुद्दीन
शमसुद्दीन
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Published : Nov 9, 2020, 4:52 PM IST

कानपुर: करीब 28 साल बाद पाकिस्तान से कानपुर अपने घर लौट रहे शमसुद्दीन के इंतजार में परिजन पलकें बिछाए बैठे हैं. पूरा परिवार उनसे मिलने के लिए बड़ी शिद्दत से इंतजार कर रहा है. पकिस्तान की जेल में बंद शमसुद्दीन का इंतजार करते-करते उनकी मां का इंतकाल हो गया, लेकिन कई नए चेहरों से पहली बार उनकी मुलाकात होगी. छोटे भाइयों की पत्नियां और उनके बच्चे भी शमसुद्दीन से मिलने के लिए बेकरार हैं. हालांकि सभी के जेहन में एक ही सवाल है कि जाने वो कैसे होंगे? क्योंकि उनके भाई-बहन उस समय बहुत छोटे थे और कुछ लोग तो उन्हें पहली बार देखंगे. 26 अक्टूबर को पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर शमसुद्दीन इस समय अमृतसर के छेरहटा के नारायणगढ़ में क्वारंटाइन हैं.

भारत लौटे शमसुद्दीन.

आग लगने से जल गया था पासपोर्ट
कंघी मोहाल निवासी शमसुद्दीन के भाई फहीमुद्दीन ने बताया कि 28 साल बाद वह अपने भाई को देख पाएंगे. भाई को अपने साथ ही रखेंगे. उन्होंने बताया कि भाई शमसुद्दीन वर्ष 1992 में पाकिस्तान घूमने गए थे. पाकिस्तान में एक हादसे में उनका पासपोर्ट वीजा जल गया था. इसके बाद वह वापस नहीं लौटे.


महज पाकिस्तान घूमने की मिली सजा
कानपुर के कंघी मोहाल निवासी उनके भाई फहीमुद्दीन ने बताया कि मोहल्ले में रहने वाले सादुल्लाह की बेटी की शादी पाकिस्तान में हुई थी. सादुल्लाह के बेटी और दामाद पाकिस्तान से कानपुर के कंघी मोहाल आए थे. शमसुद्दीन का उनके घर आना-जाना था, उसी वक्त घूमने के लिए शमसुद्दीन उनके साथ चले गए थे. पहले बात होती थी, लेकिन बाद में पता चला कि उनको जासूसी के आरोप में जेल हो गई है.

जब जासूसी के आरोप में हुई जेल
हादसे में पासपोर्ट जल जाने के बाद शमसुद्दीन पाकिस्तान में रहकर काम-धंधे में लग गए. इस बीच उनकी फोन पर घर वालों से बात भी होती रही, वह घर वापस आना चाहते थे. इसके लिए कोशिश भी कर रहे थे. इस बीच उन पर भारतीय जासूस होने का आरोप लगाकर जेल में बंद कर दिया गया. शमसुद्दीन 30 साल की उम्र में पाकिस्तान गए थे, अब उनकी उम्र 58 साल है. 12 साल से उनका परिवार से कोई संपर्क नहीं था.


जूते की कारीगरी से पालते थे पेट

शमसुद्दीन कानपुर स्थित बांसमंडी फैक्ट्री में जूते बनाने का काम करते थे. पाकिस्तान पहुंचने पर पहले उन्होंने चूड़ी की दुकान पर काम किया. वह वापस आना चाहते थे, लेकिन तभी भारतीय जासूस होने के आरोप में वह जेल में बंद हो गए. शमसुद्दीन चार भाइयों और दो बहनों में सबसे बड़े हैं. फहीमुद्दीन के साथ ही नसीरुद्दीन व चांद बाबू भी उनके भाई हैं. शाहीन और चंदा बहनें हैं. उनके पाकिस्तान जाते समय ये सभी छोटे थे. शमसुद्दीन जहां रहते थे, वहीं अब रहते हैं. उनके तीन बच्चों में दो बेटियों की शादी हो चुकी है, एक बेटा भी है.

पुलिस करेगी हर सम्भव मदद
आपको बता दें कि जब शमसुद्दीन के भाई को इस बारे में जानकारी हुई कि पाकिस्तान से उनको रिहा कर दिया गया है. अब वह अमृतसर के एक हॉस्पिटल में क्वॉरंटाइन है. इसके बाद से ही कानपुर वापस आ आने की खबर से परिवार में खुशी का माहौल है. शमसुद्दीन के भाई ने भारत सरकार को तहे दिल से शुक्रिया किया है. वहीं इस मामले में सीओ सीसामऊ ने बताया कि हम लोग शमसुद्दीन के परिवार के साथ हैं. उनके परिवार को जैसी मदद चाहिए होगी, हम लोग सदैव उनके लिये तत्पर रहेंगे.

कानपुर: करीब 28 साल बाद पाकिस्तान से कानपुर अपने घर लौट रहे शमसुद्दीन के इंतजार में परिजन पलकें बिछाए बैठे हैं. पूरा परिवार उनसे मिलने के लिए बड़ी शिद्दत से इंतजार कर रहा है. पकिस्तान की जेल में बंद शमसुद्दीन का इंतजार करते-करते उनकी मां का इंतकाल हो गया, लेकिन कई नए चेहरों से पहली बार उनकी मुलाकात होगी. छोटे भाइयों की पत्नियां और उनके बच्चे भी शमसुद्दीन से मिलने के लिए बेकरार हैं. हालांकि सभी के जेहन में एक ही सवाल है कि जाने वो कैसे होंगे? क्योंकि उनके भाई-बहन उस समय बहुत छोटे थे और कुछ लोग तो उन्हें पहली बार देखंगे. 26 अक्टूबर को पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर शमसुद्दीन इस समय अमृतसर के छेरहटा के नारायणगढ़ में क्वारंटाइन हैं.

भारत लौटे शमसुद्दीन.

आग लगने से जल गया था पासपोर्ट
कंघी मोहाल निवासी शमसुद्दीन के भाई फहीमुद्दीन ने बताया कि 28 साल बाद वह अपने भाई को देख पाएंगे. भाई को अपने साथ ही रखेंगे. उन्होंने बताया कि भाई शमसुद्दीन वर्ष 1992 में पाकिस्तान घूमने गए थे. पाकिस्तान में एक हादसे में उनका पासपोर्ट वीजा जल गया था. इसके बाद वह वापस नहीं लौटे.


महज पाकिस्तान घूमने की मिली सजा
कानपुर के कंघी मोहाल निवासी उनके भाई फहीमुद्दीन ने बताया कि मोहल्ले में रहने वाले सादुल्लाह की बेटी की शादी पाकिस्तान में हुई थी. सादुल्लाह के बेटी और दामाद पाकिस्तान से कानपुर के कंघी मोहाल आए थे. शमसुद्दीन का उनके घर आना-जाना था, उसी वक्त घूमने के लिए शमसुद्दीन उनके साथ चले गए थे. पहले बात होती थी, लेकिन बाद में पता चला कि उनको जासूसी के आरोप में जेल हो गई है.

जब जासूसी के आरोप में हुई जेल
हादसे में पासपोर्ट जल जाने के बाद शमसुद्दीन पाकिस्तान में रहकर काम-धंधे में लग गए. इस बीच उनकी फोन पर घर वालों से बात भी होती रही, वह घर वापस आना चाहते थे. इसके लिए कोशिश भी कर रहे थे. इस बीच उन पर भारतीय जासूस होने का आरोप लगाकर जेल में बंद कर दिया गया. शमसुद्दीन 30 साल की उम्र में पाकिस्तान गए थे, अब उनकी उम्र 58 साल है. 12 साल से उनका परिवार से कोई संपर्क नहीं था.


जूते की कारीगरी से पालते थे पेट

शमसुद्दीन कानपुर स्थित बांसमंडी फैक्ट्री में जूते बनाने का काम करते थे. पाकिस्तान पहुंचने पर पहले उन्होंने चूड़ी की दुकान पर काम किया. वह वापस आना चाहते थे, लेकिन तभी भारतीय जासूस होने के आरोप में वह जेल में बंद हो गए. शमसुद्दीन चार भाइयों और दो बहनों में सबसे बड़े हैं. फहीमुद्दीन के साथ ही नसीरुद्दीन व चांद बाबू भी उनके भाई हैं. शाहीन और चंदा बहनें हैं. उनके पाकिस्तान जाते समय ये सभी छोटे थे. शमसुद्दीन जहां रहते थे, वहीं अब रहते हैं. उनके तीन बच्चों में दो बेटियों की शादी हो चुकी है, एक बेटा भी है.

पुलिस करेगी हर सम्भव मदद
आपको बता दें कि जब शमसुद्दीन के भाई को इस बारे में जानकारी हुई कि पाकिस्तान से उनको रिहा कर दिया गया है. अब वह अमृतसर के एक हॉस्पिटल में क्वॉरंटाइन है. इसके बाद से ही कानपुर वापस आ आने की खबर से परिवार में खुशी का माहौल है. शमसुद्दीन के भाई ने भारत सरकार को तहे दिल से शुक्रिया किया है. वहीं इस मामले में सीओ सीसामऊ ने बताया कि हम लोग शमसुद्दीन के परिवार के साथ हैं. उनके परिवार को जैसी मदद चाहिए होगी, हम लोग सदैव उनके लिये तत्पर रहेंगे.

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