ETV Bharat / state

IIT कानपुर में सेमिनार का हुआ आयोजन - कानपुर समाचार

उत्तर प्रदेश के कानपुर में आईआईटी में आठवें प्राचीन भारतीय विज्ञान तकनीकी पर सेमिनार का आयोजन किया गया. इस सेमिनार में कई विश्वविद्यालयों के छात्र शामिल हुए.

आईआईटी में आठवें प्राचीन भारतीय विज्ञान तकनीकी पर सेमिनार का आयोजन
author img

By

Published : Nov 13, 2019, 4:51 AM IST

कानपुर: आईआईटी कानपुर में आठवें प्राचीन भारतीय विज्ञान तकनीकी पर सेमिनार का आयोजन हुआ. इस सेमिनार में कई शहरों के छात्र शामिल हुए. आईआईटी कानपुर में आठवें प्राचीन भारतीय विज्ञान व तकनीकी विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया. सेमिनार का उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रो. धनुष धारी मिश्रा, आईआईटी धनबाद कई विशिष्ट लोगों ने आईआईटी कानपुर के दीप प्रज्जवलन करके किया गया.

आईआईटी में आठवें प्राचीन भारतीय विज्ञान तकनीकी पर सेमिनार का आयोजन
डॉ. संजय कुमार मंजुल जी ने पौराणिक ग्रंथों के महत्व पर चर्चा की. भारतीय पुरातत्व के माध्यम से प्राचीन निर्माण का महत्व बताया. वहीं डॉ. मंजुल जी ने अपने प्राचीन भारतीय ज्ञान को विश्व पटल पर प्रेषित व पोषित करने की प्रेरणा दी.प्रो.धनुष धारी मिश्रा ने बताया कि अपनी भारतीय प्राचीन परंपराओं की जड़े बहुत ही सुदृढ़ हैं. उन्होंने चर्चा में विज्ञान को पौराणिक ज्ञान से जोड़कर अपने तर्क दिए. प्रो. मिश्रा ने इतिहास को विज्ञान सम्मत व एक दूसरे से जुड़ा हुआ बताया.


प्राचीन भारत के वास्तुकला के परिपेक्ष्य में मंदिर निर्माण की प्रौद्योगिकी का विस्तार से वर्णन किया और उत्तर व दक्षिण भारतीय शैलियों की विवेचना की. मंदिर, भारतीय ज्ञान परंपरा और विरासत का प्राण केंद्र रहे हैं. इनकी निर्माण शैली बहुत सुंदर व टिकाऊ थे लेकिन इनका संरक्षण करने के लिए शिल्प शास्त्र को अध्ययन करके आज के परिवेश में कारगर बनाना जरूरी है. इसके लिए हमारे निर्माण इंजीनियरिंग शिक्षा में इसे शामिल करना अति आवश्यक है. प्रो. मिश्रा ने छात्रों का प्राचीन मंदिर निर्माण कला सीखने के लिए आह्वाहन किया ताकि हमारे प्राचीन मंदिर संरक्षित हो सके.
प्रो. देवी प्रसाद मिश्र

कानपुर: आईआईटी कानपुर में आठवें प्राचीन भारतीय विज्ञान तकनीकी पर सेमिनार का आयोजन हुआ. इस सेमिनार में कई शहरों के छात्र शामिल हुए. आईआईटी कानपुर में आठवें प्राचीन भारतीय विज्ञान व तकनीकी विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया. सेमिनार का उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रो. धनुष धारी मिश्रा, आईआईटी धनबाद कई विशिष्ट लोगों ने आईआईटी कानपुर के दीप प्रज्जवलन करके किया गया.

आईआईटी में आठवें प्राचीन भारतीय विज्ञान तकनीकी पर सेमिनार का आयोजन
डॉ. संजय कुमार मंजुल जी ने पौराणिक ग्रंथों के महत्व पर चर्चा की. भारतीय पुरातत्व के माध्यम से प्राचीन निर्माण का महत्व बताया. वहीं डॉ. मंजुल जी ने अपने प्राचीन भारतीय ज्ञान को विश्व पटल पर प्रेषित व पोषित करने की प्रेरणा दी.प्रो.धनुष धारी मिश्रा ने बताया कि अपनी भारतीय प्राचीन परंपराओं की जड़े बहुत ही सुदृढ़ हैं. उन्होंने चर्चा में विज्ञान को पौराणिक ज्ञान से जोड़कर अपने तर्क दिए. प्रो. मिश्रा ने इतिहास को विज्ञान सम्मत व एक दूसरे से जुड़ा हुआ बताया.


प्राचीन भारत के वास्तुकला के परिपेक्ष्य में मंदिर निर्माण की प्रौद्योगिकी का विस्तार से वर्णन किया और उत्तर व दक्षिण भारतीय शैलियों की विवेचना की. मंदिर, भारतीय ज्ञान परंपरा और विरासत का प्राण केंद्र रहे हैं. इनकी निर्माण शैली बहुत सुंदर व टिकाऊ थे लेकिन इनका संरक्षण करने के लिए शिल्प शास्त्र को अध्ययन करके आज के परिवेश में कारगर बनाना जरूरी है. इसके लिए हमारे निर्माण इंजीनियरिंग शिक्षा में इसे शामिल करना अति आवश्यक है. प्रो. मिश्रा ने छात्रों का प्राचीन मंदिर निर्माण कला सीखने के लिए आह्वाहन किया ताकि हमारे प्राचीन मंदिर संरक्षित हो सके.
प्रो. देवी प्रसाद मिश्र

Intro:कानपुर :- आईआईटी कानपुर में आठवे प्राचीन भारतीय विज्ञान तकनीकी पर सेमिनार का हुआ आयोजन , कई शहरों के बच्चे हुए शाम्मिल ।

आई आई टी कानपुर में आठवें प्राचीन भारतीय विज्ञान व तकनीकी विषय पर एक सेमिनार का आयोजन प्किया गया। सेमिनार का उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रो धनुष धारी मिश्रा, आई आई टी धनबाद , डॉ संजय कुमार मंजुल पुरातत्व विभाग दिल्ली व प्रो देबी प्रसाद मिश्रा आई आई टी कानपुर के द्वारा दीप प्रज्जवलन करके किया गया।


Body:डॉ संजय कुमार मंजुल जी ने पौराणिक ग्रंथोंके महत्व पर चर्चा  की व भारतीय पुरातत्व के माध्यम से प्राचीन निर्माण का महत्व बताया । डा मंजुल जी ने अपने प्राचीन भारतीय ज्ञान को विश्व पटल पर प्रेषित व पोषित करने की प्रेरणा दी।

प्रो धनुष धारी मिश्रा ने  बताया की अपनी भारतीय प्राचीन परम्पराओं की जड़े बहुत ही सुदृढ़ हैं, उन्होंने चर्चा में विज्ञान को पौराणिक ज्ञान से जोड़कर अपने तर्क दिए। प्रो मिश्रा ने इतिहास को विज्ञान सम्मत व एक दूसरे से जुड़ा हुआ बताया।

देवी प्रसाद मिश्रा आई आई टी कानपुर ने प्राचीन भारत के वास्तुकला के परपेक्ष्य में मंदिर निर्माण की  प्रदौगिकी का विस्तार से वर्णन किया और उत्तर व दक्षिण भारतीय शैलियों की विवेचना की ।
मंदिर, भारतीय ज्ञान परम्परा और विरासत का प्राण केंद्र रहे हैं। इनकी निर्माण शैली बहुत सुंदर व टिकाऊ थे लेकिन इनका संरक्षण करने के लिए शिल्प शास्त्र को अध्धयन करके आज के परिवेश में कारगर बनाना जरूरी है इसके लिए हमारे निर्माण इंजीनियरिंग शिक्षा में इसे शामिल करना अति आवश्यक है। प्रो मिश्रा ने छात्रों का प्राचीन मंदिर निर्माण कला सीखने के लिए आह्वाहन किया ।ताकि हमारे प्राचीन मंदिर  संरक्षित हो सके ।

बाइट :- प्रो देवी प्रसाद मिश्रा , आईआईटी कानपुर



Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.