कानपुर: शहर में अवैध तरीके से चलाये जा रहे नर्सिंग होम्स पर जब शिकंजा कसना शुरू हुआ तो कई नर्सिंग होम्स के पंजीकरण की फाइलें गुम कर दी गईं. मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने सीएचसी अधीक्षकों को इसकी जांच की जिम्मेदारी सौपी है.
कोविड काल में छापेमारी से खुली पोल
दरअसल, कोरोना काल में मरीजों का इलाज कर रहे नर्सिंग होम्स की जब शिकायत मिलनी शुरू हुई, तो स्वास्थ्य महकमा हरकत में आया. कानपुर जिलाधिकारी आलोक तिवारी और सीएमओ अनिल मिश्रा की संयुक्त टीम ने ऐसे नर्सिंग होम्स का औचक निरिक्षण किया था, जिसमे महावीर, डिवाइन, सहारा समेत कई नर्सिंग होम्स में खामिया मिली थीं. इसके बाद सभी नर्सिंग होम्स के पंजीकरण की फाइलों को जांच के लिए मंगाया गया, लेकिन कई फाइलें लापता हो गईं.
स्वास्थ विभाग और नर्सिंग होम्स की जुगलबंदी
यह फाइलें कहां गईं किसी को कुछ पता नहीं. इस पर अब सीएचसी क्षेत्रों के अधीक्षकों को अवैध नर्सिंग होम्स को चिन्हित कर कार्रवाई करने के आदेश दिए गए. इस मामले पर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनिल मिश्रा का कहना है कि अगर पंजीकरण हुआ है तो फाइलें होनी चाहिए. हर सीएचसी अधीक्षकों को जिम्मेदारी दी गई है कि अपने क्षेत्रों में जांच कर कार्रवाई करें. सीएचसी अधीक्षकों को एक हफ्ते का समय दिया गया है. इसके बाद सारे अधीक्षकों को हटाकर नए अधिकारियों से मामले की जांच कराएंगे.